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संसद चाहे तो सरकार धर्मांतरण विरोधी बिल लाने को तैयार है : राजनाथ

नयी दिल्ली: घरवापसी और चर्च पर हमलों जैसे मुद्दों पर विपक्ष के निशाने पर आई सरकार ने आज अपना रिकार्ड स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत अकेला ऐसा देश है जहां अल्पसंख्यक धर्मांतरण विरोधी कानून लाने की मांग नहीं करते हैं और न जो आबादी के स्वरुप में बदलाव को लेकर चिंतित होता है. सरकार […]

नयी दिल्ली: घरवापसी और चर्च पर हमलों जैसे मुद्दों पर विपक्ष के निशाने पर आई सरकार ने आज अपना रिकार्ड स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत अकेला ऐसा देश है जहां अल्पसंख्यक धर्मांतरण विरोधी कानून लाने की मांग नहीं करते हैं और न जो आबादी के स्वरुप में बदलाव को लेकर चिंतित होता है. सरकार ने साथ ही कहा कि अगर संसद चाहे तो वह धर्मांतरण विरोधी विधेयक लाने को तैयार है.

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा कि हम अल्पसंख्यकों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि हम पूरी ताकत से उन्हें सुरक्षा प्रदान करेंगे क्योंकि वे भी भारत के नागरिक है और संविधान सबको बराबरी का अधिकार देता है.

लोकसभा में गृह मंत्रालय की वर्ष 2015 16 के लिए अनुदानों की मांगों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने ‘‘रामजादा-हरामजादा’’ जैसी साम्प्रदायिक टिप्पणियां करने को गलत बताया और साम्प्रदायिक सौहार्द के माहौल को खराब करने का प्रयास करने वालों के खिलाफ कडी कार्रवाई करने की बात कही. सदन ने बाद में मंत्रालय की अनुदान मांगों को अपनी मंजूरी दे दी.

सिंह ने कहा कि भारत ऐसा देश है जहां सभी धर्मो के लोग एक दूसरे के प्रति सम्मान का भाव रखते हैं और सभी धर्मो के लोग फलफूल रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘ मैं सांसदों से आग्रह करुंगा कि अन्य सभी विषय पर राजनीति करें लेकिन देश की एकता और अखंडता के विषय को ध्यान में रखते हुए इस मुद्दे पर राजनीति न करें.’’

कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के बारे में सरकार की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए राजनाथ ने कहा कि जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ति मोहम्मद सईद से बात हुई है और उन्होंने इस उद्देश्य के लिए पहली किश्त के रुप में 50 एकड जमीन देने का वादा किया है.

अलगावादियों के खिलाफ नरेन्द्र मोदी सरकार के नरम रुख अपनाने के विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि आपने देखा कि उसे :मसर्रत आलम: जेल में डाल दिया गया है.गृह मंत्री ने कहा, ‘‘ भारत दुनिया में पहला देश है जो आबादी के स्वरुप में बदलाव आ जाएगा, इसकी भी चिंता नहीं करता है जबकि अन्य देश ऐसे बदलाव नहीं होने देते हैं.’’

धर्मांतरण विरोधी विधेयक मामले को एक बार फिर आगे बढाते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ दुनिया के देशों में अल्पसंख्यक धमा’तरण विरोधी कानून लाने की मांग करते हैं लेकिन भारत में ऐसा नहीं है. धमा’तरण और घरवापसी के बारे में हमसे सवाल किये जाते हैं. मैं कहना चाहूंगा कि एक बार पूरा सदन फैसला कर ले, हम धमा’तरण विरोधी विधेयक पास कराने को तैयार हैं.’’

चर्च पर हमलों के बारे में विपक्षी सदस्यों की चिंताओं पर राजनाथ ने कहा कि कानून एवं व्यवस्था राज्य का विषय है. राज्यों को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए. केंद्र कैसे हस्तक्षेप कर सकता है ? राजनाथ ने कहा कि धार्मिक स्थलों पर हमलों को लेकर हम पर आरोप लगाये जाते हैं. लेकिन अभी ही धार्मिक स्थलों पर हमले हुए हों, ऐसी बात नहीं है, ऐसी घटनाएं पहले से हो रही हैं. इनमें से कई घटनाएं चोरी और तोड फोड की हैं लेकिन हमारे समय की घटनाओं को जरुरत से ज्याद तूल दिया जाता है.

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार पर राजनीतिक कारणों से आक्षेप लगाये जाते हैं और अगर वह आंकडों का उल्लेख करें तब यह स्पष्ट हो जायेगा लेकिन वह ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर राजनीति नहीं करना चाहते हैं क्योंकि इससे कई लोग आहत होंगे और अनावश्यक ‘‘बवाल’’ होगा.

धार्मिक स्थलों पर तोड फोड और अन्य साम्प्रदायिक घटनाओं के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘ अगर यह दिल्ली में होता है तब मैं कडी कार्रवाई करुंगा लेकिन राज्यों में प्रदेश की सरकारों को कार्रवाई करनी होगी.’’ आतंकी संगठन आईएसआईएस के प्रभाव के बारे में गृह मंत्री ने कहा कि भारत इस मामले में सौभाग्यशाली है कि देश के मुस्लिम समाज ने उसे हतोत्साहित करने का काम किया है. मुस्लिम परिवारों ने इस संगठन के प्रति अपने परिजनों को हतोत्साहित किया है. सदन के माध्यम से इसके लिए मैं उन्हें बधाई देता हूं.

साइबर अपराध को गंभीर चुनौती करार देते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि साइबर अपराध न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के समक्ष बडी चुनौती है. इससे निपटने के लिए हमारे पास अभी प्रभावी तंत्र नहीं है. साइबर अपराध को रोकने के विषय पर दो समितियों का गठन किया गया है जो इस बारे में सुझाव देंगे. इसके साथ ही भारत साइबर अपराध केंद्र स्थापित करने की पहल की गई है.

पूर्वोत्तर समेत कुछ अन्य क्षेत्रों में उग्रवाद का जिक्र करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि आजादी के समय से ही वहां उग्रवाद है लेकिन काफी हद तक इन पर काबू करने में कामयाबी मिली है.उन्होंने कहा कि इस विषय पर बातचीत होनी चाहिए और वह बातचीत के पक्षधर हैं. लेकिन उग्रवादी संगठन एनडीपीएफ ने हाल ही में निदरेष आदिवासियों की हत्या की. जो समाज के निदरेश लोगों की हत्या करते हैं, उनसे कोई बातचीत नहीं होगी.

गृह मंत्री ने उल्फा और एनएससीएन आईएन से बातचीत के परिणाम जल्द सामने आने की उम्मीद व्यक्त की.आतंकवाद, माओवादी हिंसा का जिक्र करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर , पूवो्रत्तर और माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में शांति स्थापित करने के लिए सरकार पूरा प्रयास कर रही है. इन स्थानों पर सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में भी कदम उठाये जा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि माओवादी प्रभावित क्षेत्र में शांति स्थापित करना हमारा लक्ष्य है, लेकिन किसी को केवल मौत के घाट उतारकर नहीं. लेकिन कोई अनुसूचित जनजाति या अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों की हत्या करने का प्रयास करेगा तब हमारी सरकार इसे बर्दाश्त नहीं करेगी.

गृह मंत्री ने कहा कि उनके मंत्रालय के लिए बजटीय आवंटन में कमी नहीं आई बल्कि यह बढी है.महिला सुरक्षा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि निर्भया कोष के उपयोग की दिशा में पहल की गई है और महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों की देखरेख के लिए 150 अन्वेषण केंद्र स्थापित करने की पहल की गई है. एसिड हमलों की पीडितों के लिए भी कई पहल किये गए हैं.

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