नयी दिल्ली : आज सीबीआइ के निदेशक रंजीत सिन्हा ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा कल की गयी टिप्पणी को सही ठहराया है. उन्होंने कहा कि निदेशक ने जो कुछ भी कहा वह ठीक है. गौरतलब है कि कल सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ को ऐसा तोता करार दिया था, जो वही बोलता है, जो उसके मालिक बोलते हैं.
सीबीआइ सरकार के तोते की तरह: सुप्रीम कोर्ट
कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले और अन्य मामलों की सीबीआई जांच में केंद्र के हस्तक्षेप को लेकर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को चिंता जाहिर की है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि सीबीआइ सरकार के तोते की तरह है जो वह कहती है सीबीआइ उसे दोहराती है. कोर्ट ने सीबीआइ की स्वतंत्रता पर सवाल उठाते हुये कहा कि सीबीआइ अब स्वतंत्र नहीं उसके कई मालिक हैं. सीबीआइ को स्वतंत्र करना जरूरी हो गया है.
कोयला खदान आवंटन घोटाले में सीबीआइ निदेशक के हलफनामे के अवलोकन के बाद न्यायालय ने कहा कि यह ऐसी अनैतिक कहानी है जिसमें एक तोते के कई मालिक हैं. सीबीआइ अधिकारियों से मिलने और रिपोर्ट के प्रारुप में बदलाव के सुझाव देने के लिये उच्चतम न्यायालय ने प्रधानमंत्री कार्यालय और कोयला मंत्रालय के संयुक्त सचिवों को आड़े हाथ लिया है.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोयला खदान आबंटन घोटाला कांड में मामला दर्ज करने के बाद जांच में कोई ठोस प्रगति नहीं हुयी है.
सीबीआइ को पता होना चाहिए कि सरकार और उसके अधिकारियों के दबावों के आगे कैसे खड़ा होना है. कोर्ट ने का है कि एसआईटी का विकल्प खुला हुआ है. जांच टीम में कोई बदलाव न हो.वहीं दूसरी ओर सरकार के सबसे बड़े वकील अटॉर्नी जनरल ने कानून मंत्री पर जिम्मेदारी डालते हुये का कि न मैने रिपोर्ट देखी है और न मांगी है. मैं कानून मंत्री के कहने पर सीबीआइ से मिला.विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कानून मंत्री का इस्तीफा मांगा है.
गौरतलब है कि सोमवार को कोयला घोटाले में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा दाखिल किया था. हलफनामे में सीबीआई ने माना था कि कानून मंत्री ने स्टेटस रिपोर्ट को देखने के बाद बदलाव के सुझाव दिए थे. सीबीआई ने 9 पन्ने के हलफनामे में सिलसिलेवार तरीके से बताया था कि स्टेटस रिपोर्ट को कानून मंत्री के अलावा और किस-किस ने देखा था. हलफनामे में सीबीआइ ने कहा है कि अटार्नी जनरल जी ई वाहनवती ने भी कोयला घोटाले की स्टेटस रिपोर्ट देखी थी और इसमें बदलाव करवाए थे.