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सी-17 वायुसेना में शामिल,वायु सेना मजबूत

नयी दिल्ली:सीमा पर सैनिकों और टैंकों एवं उपकरणों को जल्द से जल्द पहुंचाने की क्षमता को मजबूती देने के उद्देश्य से सबसे बड़े 70 टन के सी-17 परिवहन विमान को आज हिंडन अड्डे पर वायुसेना के बेड़े में शामिल किया गया है.इससे सेना को मजबूती मिलेगी. भारतीय वायुसेना के अधिकारियों ने यहां बताया कि अमेरिका […]

नयी दिल्ली:सीमा पर सैनिकों और टैंकों एवं उपकरणों को जल्द से जल्द पहुंचाने की क्षमता को मजबूती देने के उद्देश्य से सबसे बड़े 70 टन के सी-17 परिवहन विमान को आज हिंडन अड्डे पर वायुसेना के बेड़े में शामिल किया गया है.इससे सेना को मजबूती मिलेगी. भारतीय वायुसेना के अधिकारियों ने यहां बताया कि अमेरिका से खरीदे गए विमान को रक्षा मंत्री औपचारिक रुप से सेना में शामिल कर दिया है. अमेरिकी सी-17 में करीब 80 टन की क्षमता और 150 सुसज्जित सैनिकों को ढोने की क्षमता है. यह विमान रुस के आईएल-76 की जगह लेगा जो अब तक वायुसेना के बेड़े में शामिल रहा है.

‘‘विमान का परिचालन पूर्वोत्तर राज्यों में ‘एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड’ से और उत्तर व अंडमान निकोबार क्षेत्र के अत्यधिक ऊंचाईवाले क्षेत्रों से किया जा सकता है. हाल के समय में वायुसेना ने सी-17 और सी 130 जे सुपर हरक्यूलस मालवाहकविमानों को शामिल कर रूस निर्मित विमानों से अमेरिका निर्मित विमानों की ओर अपनी निर्भरता बढ़ायी है.
एनएके ब्राउन, प्रमुख, वायुसेना

आईएल-76 की क्षमता करीब 40 टन वजन ढोने की है. वायुसेना ने ऐसे वर्ष 2011 मे हुए समझौते के तहत दस अमेरिकी विमानों का ऑर्डर दिया है और इनमें से तीन भारत को मिल चुके हैं. अमेरिकी वायुसेना अगले वर्ष के अंत तक सभी दस विमान सौंप देंगी. विमान से भारतीय वायुसेना की संचालन क्षमता में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है और आपदा राहत या इस तरह के अभियान के दौरान इसकी पहुंच की क्षमता बढ़ेगी.

दस विमान मिलने के बाद भारतीय वायुसेना अपने बेड़े के लिए छह और विमान खरीदने के विकल्प पर भी विचार कर सकती है. हाल के समय वायुसेना ने रुस के विमानों से निर्भरता छोड़कर अमेरिकी विमानों पर विश्वास करना शुरु कर दिया है.

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