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विचार विमर्श तक टाला जाए खाद्य सुरक्षा विधेयक :मुलायम

नयी दिल्ली : महत्वपूर्ण खाद्य सुरक्षा विधेयक पर मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने की मांग करते हुए समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने आज कहा कि मुख्यमंत्रियों के साथ विचार विमर्श होने तक इस विधेयक को टाल दिया जाए क्योंकि इससे राज्यों पर अतिरिक्त आथिर्क बोझ पड़ेगा. सपा प्रमुख का यह भी कहना था […]

नयी दिल्ली : महत्वपूर्ण खाद्य सुरक्षा विधेयक पर मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने की मांग करते हुए समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने आज कहा कि मुख्यमंत्रियों के साथ विचार विमर्श होने तक इस विधेयक को टाल दिया जाए क्योंकि इससे राज्यों पर अतिरिक्त आथिर्क बोझ पड़ेगा.

सपा प्रमुख का यह भी कहना था कि चुनावों को ध्यान में रखकर यह विधेयक लाया गया है और इस विधेयक से किसानों पर प्रतिकूल प्रभार पड़ेगा. लोकसभा में खाद्य सुरक्षा विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए उन्होंने इस विधयेक को लेकर अनेक सवाल उठाये और कहा कि मुख्यमंत्रियों से सलाह लेना जरुरी था. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाइये और तभी इसको पास किया जाना चाहिए. तब तक इस विधेयक को रोका जाये.

सपा प्रमुख ने कहा कि इस विधेयक के प्रावधानों को लागू करने में राज्यों पर कितना बोझ पड़ेगा और राज्य इस बोझ की भरपाई कैसे करेंगे इस बारे में कुछ नहीं बताया गया है. उन्होंने कहा कि सारा बोझ तो राज्यों पर ही डाला गया है जिनकी आर्थिक हालत पहले से ही खराब है.

किसानों की पूरी उपज को खरीदने की गारंटी दिये जाने की मांग करते हुए सपा नेता ने कहा कि इसके प्रावधानों में यह स्पष्ट नहीं है कि किसानों की पूरी उपज को खरीदा जायेगा. उन्होंने यह भी कहा कि इसमें यह भी दिशानिर्देश होना चाहिए कि देश के सभी राज्यों के साथ एक समान व्यवहार किया जायेगा.

सपा नेता ने सरकार पर चुनाव का ध्यान रखकर यह विधेयक लाने का आरोप मढते हुए कहा कि चुनाव आ गये तो बिल आ गया. जब लोग भूखों मर रहे थे तो यह विधेयक क्यों नहीं लाया गया. हरेक चुनाव से पहले एक उपाय. कभी मनरेगा आ जायेगा कभी कुछ …. गरीबों के लिए कहीं कुछ नहीं … दिखावे के लिए कर दिया.’’ उन्होंने यह भी कहा कि गरीबों की पूरी गणना किये बगैर यह विधेयक लाया गया है उन्होंने कहा, ‘‘गणना तो हैं नहीं मुफ्त देना शुरु कर दिया .. कितनों को देंगे इसका अंदाजा ही चल रहा है. केंद्र की संप्रग सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी के नेता ने कहा कि वह विधेयक का समर्थन करेंगे अगर कुछ संशोधन पेश किया जाये.

जदयू के शरद यादव ने खाद्य सुरक्षा विधेयक को एक साहसी कदम बताया लेकिन साथ ही कहा कि गरीबी हटाने के लिए समय समय पर किये गये उपायों का बहुत नतीजा नहीं निकला है, क्योंकि हमारा ढांचा ऐसा है कि योजनाओं का लाभ गरीबों तक पहुंच ही नहीं पाता.

इस विधेयक के प्रावधानों को लागू करने में राज्यों पर पड़ने वाले अतिरिक्त आथिर्क बोझ का उल्लेख करते हुए यादव ने कहा कि जब तक केंद्र राज्यों पर पड़ने वाले बोझ को नहीं उठाएगा तब तक यह योजना सफल होने वाली नहीं है.

जदयू नेता ने कहा कि इस योजना को लेकर हमारे प्रयास सफल हो इसके लिए ठोस उपाय किये जाने चाहिए. उन्होंने साथ ही भविष्य में इस योजना को सार्वभौमिक बनाये जाने पर जोर दिया और कहा कि अगर भूख से निजात पाने का संकल्प हो जाये तो यह देश आगे बढने से रुकने वाला नहीं.

बसपा के दारा सिंह चौहान ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि अगर इस विधेयक के प्रावधानों का लाभ इमानदारी से गरीबों तक पहुंच जाये तो यह इस विधेयक की बहुत बड़ी सार्थकता होगी. उन्होंने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की खामियों को दूर किये जाने के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता बताई.

खाद्य सुरक्षा भूख से सुरक्षा प्रदान करने की पहलः थामस
खाद्य सुरक्षा विधेयक को ऐतिहासिक करार देते हुए सरकार ने आज कहा कि देश में भूख से सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में एक अहम पहल है और सभी दलों को इसे सर्वसम्मति से पारित कराना चाहिए.

खाद्य सुरक्षा विधेयक को लोकसभा में आज चर्चा के लिए पेश करते हुए उपभोक्ता, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रो. के वी थामस ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण विधेयक है जिसमें 35 किलोग्राम अनाज प्रति परिवार प्रति माह देने के साथ ही छह महीने से लेकर 14 वर्ष के बच्चों को पोषक आहार देने का प्रावधान है.

खाद्य सुरक्षा विधेयक पर तमिलनाडु समेत कुछ राज्यों की आपत्तियों को दूर करने का प्रयास करते हुए मंत्री ने कहा, ‘‘हमने यह निर्णय किया है कि इन राज्यों को पिछले तीन वर्षो के दौरान जो अनाज प्राप्त हो रहा है, उन्हें पूरी तरह से बनाये रखा जायेगा.’’ उन्होंने कहा कि केंद्र पर कुछ वित्तीय बोझ पड़ेगा लेकिन हम इसको वहन करेंगे.

उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून को अमल में लाने के लिए 6.2 करोड़ टन अनाज की जरुरत होगी. प्रो. थामस ने कहा कि गरीब परिवारों की पहचान करने के कार्य में राज्य सरकारों को शामिल किया जायेगा. इस तरह से राज्यों की सहभागिता बढ़ायी जायेगी.

उन्होंने कहा कि तीन वर्ष के लिए प्रति व्यक्ति हर महीने पांच किलोग्राम अनाज दिया जायेगा जिसमें 3 रुपये की दर से चावल, दो रुपये की दर से गेहूं और एक रुपये की दर से मोटा अनाज दिया जायेगा. मंत्री ने कहा, ‘‘ यह तीन वर्ष के लिए होगा और बाद में इसकी समीक्षा की जायेगी. यह 2011 के जनगणना के आधार पर होगा. इस विधेयक में वृहद जवाबदेही और पारदर्शिता को प्रोत्साहित किया गया है और पीडीएस के सामाजिक आडिट की बात कही गई है.’’

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