नयी दिल्ली: कॉर्पोरेट जासूसी मामले में जांच की कडी लंबी होती जा रही है और आज इस मामले में पर्यावरण मंत्रालय तथा संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के दो अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया. हालांकि जांचकर्ताओं का कहना है कि इन दोनों ही जगहों से कोई सरकारी दस्तावेज नहीं चुराया गया.
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कॉर्पोरेट जासूसी मामले में दो और अधिकारी गिरफ्तार
नयी दिल्ली: कॉर्पोरेट जासूसी मामले में जांच की कडी लंबी होती जा रही है और आज इस मामले में पर्यावरण मंत्रालय तथा संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के दो अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया. हालांकि जांचकर्ताओं का कहना है कि इन दोनों ही जगहों से कोई सरकारी दस्तावेज नहीं चुराया गया. अपराध शाखा के अधिकारियों […]
अपराध शाखा के अधिकारियों के लिए यह बात चिंता पैदा करने वाली है कि दोनों के अनुसार वे इस काम में पिछले 15 साल से लगे हुए हैं. पुलिस ने इस मामले में पूछताछ के लिए कुछ और लोगों को हिरासत में लिया और मामले में और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं.संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) रवींद्र यादव ने बताया, ‘‘वन और पर्यावरण मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पीएस जितेंद्र नागपाल (40) और यूपीएससी के एक सदस्य के पीए विपन कुमार (42) को कल देर रात गिरफ्तार कर लिया गया है.’’ उन्होंने बताया, ‘‘कुमार ने 1996 में पेट्रोलियम मंत्रालय में स्टेनोग्राफर ग्रेड डी के तौर पर नौकरी शुरु की थी, जहां उसने 2010 तक काम किया.
वह वहां से या तो खुद या अपने जानकारों की मदद से दस्तावेज चोरी करा रहा था.’’ यादव के अनुसार नागपाल ने भी 1994 में कानून और न्याय मंत्रालय में स्टेनोग्राफर ग्रेड डी के तौर पर काम शुरु किया था. उसने 1994 से 2007 तक अधिकतर समय कानून मंत्रालय में ही काम किया है. केवल 2001 से 2003 तक दो साल रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय में सेवाएं दीं. वह विपन कुमार, लोकेश शर्मा और अन्य लोगों से दस्तावेज हासिल करता था.
पुलिस के मुताबिक दोनों ने बताया था कि वे कई साल से अवैध गतिविधियों में लिप्त हैं. उनकी एक ही ईमेल आईडी थी जिसका इस्तेमाल उसके कुछ मुवक्किलों को दस्तावेज पहुंचाने के लिए किया जा रहा था. उन्हें एक स्थानीय अदालत में पेश किया गया और पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया है.दोनों को दूसरी प्राथमिकी के मामले में गिरफ्तार किया गया है जिसमें पहले लोकेश शर्मा समेत पांच लोगों के नाम थे. शर्मा नोएडा की कंपनी इन्फ्रालाइन कंसल्टेंसी में परामर्शदाता के तौर पर काम करता था. उसे अपराध शाखा ने कॉर्पोरेट जासूसी मामले में दूसरे मॉड्यूल का खुलासा करते हुए सोमवार को गिरफ्तार किया था.
सूत्रों ने बताया कि लोकेश से पूछताछ के बाद इन दोनों के नाम सामने आये जिसके बाद उन्हें पकडा गया. पुलिस को जब दोनों के खिलाफ सबूत मिले तो उन्हें कल देर रात गिरफ्तार कर लिया गया.दिल्ली पुलिस आयुक्त बी एस बस्सी ने मीडिया को बताया कि दोनों पेट्रोलियम मंत्रालय से संबंधित दस्तावेजों का लेनदेन कर रहे थे और अभी तक पुलिस को पर्यावरण मंत्रालय या यूपीएससी से किसी दस्तावेज के चोरी होने का पता नहीं चला है.उन्होंने कहा, ‘‘अभी तक इन दोनों जगहों से दस्तावेजों की चोरी का पता नहीं चला है. दस्तावेज पेट्रोलियम मंत्रालय से जुडे हैं जहां पहले दोनों काम कर चुके हैं.’’बस्सी ने इस बात को भी खारिज कर दिया कि मंत्रालय में दोनों के आला अधिकारी मामले में संलिप्त थे.
उन्होंने कहा, ‘‘अभी तक हुई जांच में किसी अधिकारी की संलिप्तता की ओर इशारा नहीं है जिनके साथ वे काम कर रहे थे. हमें फिलहाल उनसे पूछताछ करने की जरुरत नहीं लगती.’’ कॉर्पाेरेट जासूसी के संदिग्ध मामले में कार्रवाई करते हुए दिल्ली पुलिस ने पिछले गुरुवार को पेट्रोलियम मंत्रालय के दो कनिष्ठ अधिकारियों और तीन अन्य बिचौलियों को गोपनीय सरकारी दस्तावेजों को कथित तौर पर बिजली कंपनियों को लीक करने के मामले में गिरफ्तार किया था.
शुक्रवार को दो उर्जा सलाहकारों शांतनु सैकिया और प्रयास जैन तथा शीर्ष उर्जा कंपनियों के पांच वरिष्ठ अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया जिनमें आरआईएल के शैलेश सक्सेना, एस्सार के विनय कुमार, केयर्न्स के के.के नायक, जुबिलेंट एनर्जी के सुभाष चंद्रा और एडीएजी रिलायंस के रिषी आनंद शामिल हैं.
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