नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने खनन कारोबारी और कर्नाटक के पूर्व मंत्री जी जनार्धन रेड्डी को आज जमानत प्रदान कर दी. जनार्धन रेड्डी अवैध खनन मामले में आरोपी हैं जिनमें उनकी ओबुलापुरम माइनिंग कंपनी (ओएमसी) जुडी है.शीर्ष अदालत ने उन्हें तब जमानत प्रदान की जब सीबीआई ने कहा कि इसमें रेड्डी से संबंधित मामले की जांच का काम पूरा हो गया है और आरोपपत्र एवं पूरक आरोपपत्र दायर किये जा चुके हैं.
एजेंसी की बात को रिकार्ड में दर्ज करते हुए प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एच एल दत्तू के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा, ‘‘ चूंकी जांच एजेंसी को जमानत देने पर कोई आपत्ति नहीं है, हम याचिकाकर्ता (रेड्डी) को जमानत देते हैं.’’ पीठ में न्यायमूर्ति ए के सिकरी और न्यायमूर्ति अरुण मिश्र भी शामिल है और इन्होंने भी अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह और रेड्डी के वकील दुष्यंत दवे की दलील पर विचार किया कि वह करीब चार वर्षो से जेल में हैं.
रेड्डी को जमानत देते हुए पीठ ने कुछ शर्ते भी लगाई जिसमें यह कहा गया है कि रेड्डी को जेल से छोडने के लिए 10.10 लाख रुपये के दो मुचलके पेश करने होंगे और वह अदालत के आदेश के बिना देश से बाहर नहीं जायेंगे। उनसे अपना पासपोर्ट जमा करने का भी निर्देश दिया गया.
शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि वह किसी भी रुप में गवाहों को प्रभावित नहीं करेंगे या साक्ष्यों के साथ छेडछाड नहीं करेंगे.रेड्डी ने उच्च न्यायालय द्वारा उनकी जमानत याचिका रद्द किये जाने को चुनौती देते हुए 2013 में शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था. वह कई आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं और आंध्रप्रदेश जेल में बंद हैं. उन्हें 2011 में गिरफ्तार किया गया था.
जनार्धन रेड्डी और उनके साले बी वी श्रीनिवास रेड्डी (ओएमासी के प्रबंध निदेशक) को कर्नाटक के बेल्लारी से सीबीआई ने 5 सितंबर 2011 को गिरफ्तार किया था और उन्हें हैदराबाद लाया गया था.