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राजनाथ सिंह ने कहा, पड़ोस के पंडित से पूछो 100 साल का ग्रहण बता देंगे

लखनऊ : प्राचीन भारतीय ज्ञान की सराहना करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण की भविष्यवाणी के लिए अमेरिकी वेधशाला की ओर देखने की जरुरत नहीं है बल्कि पडोस का कोई ‘पंडित’ ही इस बारे में सटीक जानकारी दे देगा. राजनाथ ने लखनउ विश्वविद्यालय के दीक्षांत […]

लखनऊ : प्राचीन भारतीय ज्ञान की सराहना करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण की भविष्यवाणी के लिए अमेरिकी वेधशाला की ओर देखने की जरुरत नहीं है बल्कि पडोस का कोई ‘पंडित’ ही इस बारे में सटीक जानकारी दे देगा.

राजनाथ ने लखनउ विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में कहा, ‘‘हमारा मीडिया भ्रमित है. यह बता दिया कि अमेरिकी वेधशाला कहती है कि सूर्य ग्रहण और चंद्रग्रहण फलां तारीख को लगेगा. मैं देखता हूं कि वहां विज्ञान ने कितनी उंचाइयां हासिल की हैं. मत देखो वेधशाला की तरफ, पडोस में कोई भी पंडित जी होंगे, पंचांग खोलेंगे. सौ साल पहले और सौ साल बाद का ग्रहण बता देंगे.’’ प्राचीन भारतीय ज्ञान की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हमारे ऋषियों ने बता दिया है कि 1.96 अरब वर्ष पहले हमारी धरती बन गयी थी. पहले विज्ञान ने इसे नहीं माना था लेकिन बाद में उसे मानना पडा.
जो उन्होंने बताया वह हमारे चैनलों पर चलता है .. अरे पंडित जी से ही पूछ लेते.’’ राजनाथ ने कहा कि दुनिया के किसी भी देश के पास वह ज्ञान नहीं, जो भारत के पास है. चाहे वह त्रिकोणमिति, बीजगणित की या अन्य कोई प्रमेय हों, कोई अन्य देश हमारे ज्ञान के समतुल्य ज्ञान नहीं रखता. उन्होंने छात्रों के ‘आध्यात्मिक विकास’ और उनमें मूल्यों का संचार करने पर जोर देते हुए कहा, ‘‘ब्रह्माण्ड संबंधी भारतीय गणनाएं आधुनिक वैज्ञानिक गणनाओं की ही तरह हैं.’’
गृहमंत्री ने कहा कि युवाओं में दो धाराएं हो गयी हैं. एक वे जो आईटी, मेडिकल और विज्ञान के क्षेत्र में नाम कमा रहे हैं और दूसरे वे जिनके पास ‘हाई टेक’ डिग्री है लेकिन वे आतंकवाद और उग्रवाद में शामिल हैं.राजनाथ ने कहा, ‘‘जो ज्ञान संस्कारों से जुडता है, वह समाज के लिए कल्याणकारी होता है ओर जो ज्ञान संस्कारों से नहीं जुडता, वह समाज के लिए विनाशकारी होता है. जो सभ्यताएं अपने संस्कारों और मूल्यों से कट गयीं, वे लंबे समय तक अस्तित्ववान नहीं रह पायीं. भारत ही है, जिसने बडा हृदय दिखाया और वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश दुनिया को दिया.’’ उन्होंने ‘हाय’ और ‘बाय’ संस्कृति पर आपत्ति करते हुए छात्रों से कहा कि वे ऐसा नहीं करें बल्कि परंपरा का अनुकरण करते हुए अपने माता पिता और बडों के चरण स्पर्श करें.
राजनाथ ने कहा, ‘‘बच्चों को बतायें कि हाय और बाय का कल्चर छूटना चाहिए .. बच्चे मम्मी और पापा को हाय बोलते हैं. यह क्या हो गया है. क्या मां बाप का चरण छूने से कोई छोटा हो जाता है. जो झुकना नहीं जानता, वह जीवन में किसी न किसी समय टूट जाता है.’’उन्होंने कहा कि माता पिता के चरण छूना भारतीय संस्कृति और परंपरा का अंग है.
हमें बच्चों को ये संस्कार देना है कि वे हाय और बाय छोडकर माता पिता के चरण छुएं. गृहमंत्री ने गणितीय फामरूले के जरिए सकारात्मक और नकारात्मक सोच में फर्क को समझाया और छात्रों को सलाह दी कि वे खुद के विकास के लिए नहीं बल्कि दूसरों के विकास के लिए भी कार्य करें.

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