नयी दिल्ली: जनता दल (यू) ने सभी राजनीतिक दलों के सांसदों को न्यायपालिका की आरक्षण विरोधी मानसिकता के खिलाफ लिखा है. पार्टी ने उच्चतम न्यायालय की उस व्यवस्था का विरोध किया है जिसमें कहा गया है कि मेडिकल कालेजों में विशेज्ञता एवं अति विशेषता वाले पाठ्यक्रमों के संकाय पदों की नियुक्ति में कोई आरक्षण नहीं हो सकता.
पांच अगस्त से शुरु हो रहे संसद के मानसून सत्र से पहले इसे एक बड़ा मुद्दा बनाने का प्रयास करते हुए पार्टी अध्यक्ष शरद यादव ने सांसदों से कहा है कि वे पार्टी लाइन से उपर उठकर इस निर्णय के खिलाफ एकजुट हो.
उन्होंने कहा, मैं देश में आरक्षण विरोधी इस कदम के सिलसिले में बेहद पीड़ा और क्षोभ के साथ आपको लिख रहा हूं. मैं उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ के निर्णय (अनुसूचित जाति, जनजाति,ओबीसी) के लिए आरक्षण नीति के खिलाफ एम्स के संकाय सदस्य संघ बनाम भारत सरकार :को पढ़कर बेहद स्तब्ध और दुखी हूं.
यादव ने कहा, देश की 80 प्रतिशत आबादी को प्रभावित करने के कारण इस मामला का भारी राष्ट्रीय महत्व है. इस मामले की सुनवाई और निस्तारण जिस प्रकार से किया गया..इस निर्णय ने स्पष्ट तौर पर आरक्षण विरोधी रवैये तथा आरक्षण नीति को कमतर करने के इस सरकार के छिपे मकसद को आगे किया है. पूर्व प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने एम्स संकाय संघ के अनुरोध पर 18 जुलाई को यह फैसला सुनाया था.