अहमदाबाद : इशरत जहां मुठभेड़ मामले में गत तीन जुलाई को सीबीआई द्वारा पहला आरोप-पत्र दायर किए जाने के बाद गुजरात उच्च न्यायालय कल आगे की सुनवाई करेगा. न्यायालय इस मामले की जांच की निगरानी कर रहा है. निचली अदालत में आरोप-पत्र दाखिल करने वाली सीबीआई ने मुठभेड़ को फर्जी करार दिया था. सीबीआई ने कहा था कि गुजरात पुलिस और खुफिया ब्यूरो ने यह कार्रवाई संयुक्त रुप से की. इस मामले में गुजरात के सात पुलिस अधिकारियों को आरोपी जबकि कई अन्य को गवाह बनाया गया है.
निलंबित आईपीएस अधिकारी जी एल सिंघल, एन के अमीन, डी जी वंजारा, सेवानिवृत डीएसपी जे जी परमार, डीएसपी तरुण बारोट, कमांडो अनाजू चौधरी और फरार चल रहे एडीजीपी पी पी पांडेय को आरोपी बनाया गया है.आरोप-पत्र के मुताबिक, इशरत को मारने के मुद्दे पर वंजारा और सिंघल के बीच मतभेद थे. वंजारा ने सिंघल से कहा था कि उन्हें और खुफिया ब्यूरो के तत्कालीन संयुक्त निदेशक राजेंद्र कुमार को आला राजनीतिक अधिकारियों से मुठभेड़ की मंजूरी मिली है.
सीबीआई इस मामले में पूरक आरोप-पत्र भी दायर कर सकती है, जिसमें कुछ और अधिकारियों को भी नामजद किए जाने की संभावना है. अहमदाबाद में 15 जून 2004 को हुई इस मुठभेड़ में 19 साल की इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्राणोश पिल्लई, अमजद अली राणा और जीशान जोहर को मार गिराया गया था. उस वक्त पुलिस ने दावा किया था कि चारों गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या के मकसद से शहर में दाखिल हुए थे.