देहरादून : उत्तराखंड सरकार पर पिछले महीने आयी भीषण प्राकृतिक आपदा के बाद भी सोये रहने का आरोप लगाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी ने आज कहा कि अगर शासन समय रहते चेत गया होता, तो सैंकड़ों जिन्दगियों को बचाया जा सकता था.प्रभावित इलाकों का दौरा करने के बाद यहां संवाददाताओं से खंडूरी ने कहा, ‘पहले तो सरकार ने मौसम विभाग द्वारा 14 जून को भारी बारिश की चेतावनी को नजरअंदाज किया और फिर 17 जून को आयी आपदा के बाद भी सोई रही और सैकड़ों श्रद्धालुओं को उनके हाल पर छोड़ दिया.’ आपदा से सर्वाधिक प्रभावित केदारघाटी के प्रत्यक्षदर्शियों के कथनों का उदाहरण देते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि आपदा आने के कई दिन बाद तक लोग अपने लिये सुरक्षित ठिकानों की तलाश में इधर-उधर दौड़ते रहे.
उन्होंने कहा, ‘त्रसदी के कई दिन बाद तक राज्य सरकार ने ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की, जिससे यहां के इलाके के भूगोल से अपरिचित श्रद्धालुओं को इधर-उधर भागने से रोका जा सके और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा सके. इससे खासतौर पर केदारघाटी में मरने वालों की संख्या काफी बढ़ गयी.’ खंडूरी ने कहा कि अगर आपदा के आने के तुरंत बाद ही आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी जाती और सरकारी मशीनरी हरकत में आ जाती, तो जानमाल के नुकसान को काफी कम किया जा सकता था.खंडूरी ने आरोप लगाया कि आपदा को आये एक महीने से भी ज्यादा समय बीतने के बावजूद राज्य में ऐसे कई गांव हैं जहां प्रभावितों को मुआवजा या आर्थिक सहायता मिलना तो दूर अभी तक नुकसान का आंकलन भी नहीं हो पाया है. केंद्र पर सीमा सड़क संगठन को धनराशि न आवंटित करने का आरोप लगाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर समय से पैसा मिल गया होता, तो उसने क्षतिग्रस्त सड़कों को काफी तेजी से दुरुस्त कर दिया होता.
उन्होंने कहा कि केंद्र ने चालू वित्त वर्ष में सीमा सड़क संगठन को एक पैसा भी नहीं दिया. हालांकि जब भाजपा ने इस मुद्दे को उठाया, तो उसे करीब 50 करोड़ रुपये की धनराशि उपलब्ध आवंटित कर दी गयी.खंडूरी ने कहा, ‘आपदा को आये एक माह से उपर होने के बावजूद केदारनाथ,बदरीनाथ और गंगोत्री सहित सभी प्रमुख मार्ग अब तक बंद हैं.’ खंडूरी ने केंद्र से उत्तराखंड के बाढ़ प्रभावित लोगों के प्रति ज्यादा संवेदनशीलता दिखाते हुए उन्हें खाद्य सुरक्षा विधेयक में सुझाये गये सबसे कम दामों पर गेंहू और चावल कराने का भी आग्रह किया.भाजपा नेता ने दावा किया कि केंद्र उत्तराखंड को गेंहू और चावल उत्तर प्रदेश से भी ज्यादा दरों पर उपलब्ध करा रहा है. उन्होंने कहा, ‘इससे राज्य और केंद्र में कांग्रेस सरकारों की कथनी और करनी में साफ फर्क पता चलता है.’