!!राजेन्द्र कुमार, लखनऊ.!!
लखनऊ:बसपा का यह इतिहास है कि अपने विरोधियों के खिलाफ उसे जब आक्रामक तेवर दिखाना होता है तो वह रैली या सम्मेलन के जरिए अपने जनाधार का प्रदर्शन करती है. बसपा प्रमुख मायावती रविवार 7 जुलाई को राजधानी के रमाबाई अंबेडकर मैदान पर दोहराने जा रही हैं. सूबे में जारी राजनीतिक सक्रियता में कांग्रेस की कोशिश जहां बसपा के वोट बैंक में सेंध लगाकर यूपी में अपनी खोई राजनीतिक जमीन वापस पाने की है.
तो दूसरी तरफ सपा-भाजपा अब ज्यादा आक्रामक होकर केंद्र सरकार से मुकाबिल होने को कमर कस रहे हैं. ऐसे में बसपा प्रमुख मायावती ने कांग्रेस, सपा और भाजपा की धमक को ध्वस्त करने के लिए लखनऊ में शक्ति प्रदर्शन का सहारा लिया है.
बसपा का दावा है कि रविवार को लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर मैदान में दस लाख से अधिक लोग जुटेंगे और यूपी के इतिहास में ब्राह्मण समाज के लोगों का यह सबसे बड़ा जमावड़ा होगा.इसी भीड़ के बल पर मायावती यह साबित करना चाहती है कि सूबे की सत्ता में ना होने के बाद भी बसपा का वोटबैंक एकजुट है.
ब्राह्मण समाज के लोग पूरी तरह से बसपा के साथ हैं और ना तो कांग्रेस बसपा के वोट बैंक में सेंध लगा सकती है, ना सपा के यूपी की सत्ता पर काबिज होने का असर बसपा के जनाधार पर पड़ा है. भाजपा में नरेन्द्र मोदी के प्रभावी होने के बाद भी बसपा का सवर्ण वोटबैंक एकजुट है और सूबे में बसपा की लोकप्रियता का ग्राफ उतना ही ऊंचा है, जितना की 2007 के विधानसभा चुनाव के समय था.
बसपा ने रविवार को होने वाले जमावड़े को प्रदेश स्तरीय ब्राह्मण भाईचारा सम्मेलन का नाम दिया है. सूबे की हर विधानसभा क्षेत्र से तीन हजार समर्थकों को लाने का लक्ष्य मायावती ने पार्टी नेताओं को पूरा करने का फरमान सुनाया है. यह लक्ष्य पूरा हो सके इसके लिए मायावती बसपा महासचिव सतीश चन्द्र मिश्र को सूबे में 30 से अधिक ब्राह्मण भाईचारा सम्मेलनों को संबोधित करने के लिए भेजा.
कहा जा रहा है कि सतीश चन्द्र मिश्र को ब्राह्मण समाज ने इस बार बहुत जबज्जो नहीं दी, बसपा कोआडिनेटरों से मायावती को यह पता चला तो उन्होंने सात जुलाई को प्रदेश स्तरीय ब्राह्मण भाईचारा सम्मेलन लखनऊ में आयोजित करने का निर्णय ले लिया. ठीक इसी तरह का सममेलन मायावती ने वर्ष 2007 के पहले आयोजित किया था, जिसके बाद वह सूबे की सत्ता पर काबिज हो गई थी. इस बार मायावती की मंशा केंद्र की सत्ता में बसपा को पहुंचना है. अभी तक बसपा केंद्र की किसी सरकार में शामिल नहीं हुई है परन्तु इस बार के लोकसभा चुनावों में मायावती देश भर में 40 सांसदों को जिताकर केंद्र की सत्ता में बसपा की अहम भूमिका चाहती है. रविवार को यहां मायावती अपनी इस मंशा का इजहार कर बसपा समर्थकों को चुनावी तैयारी में जुटने का निर्देश देंगी.
अब तक हुई बसपा की प्रमुख रैली और सम्मेलन
24 जून 1984 को बसपा की स्थापना के बाद कांशीराम द्वारा दिल्ली के लालकिला मैदान पर.
19 जुलाई 1994 को लखनऊ के बेगम हजरतमहल पार्क में दलबदल विरोधी रैली.
16 दिसम्बर 1995 को लखनऊ के बेगम हजरतमहल पार्क में सावधान रैली.
4 जनवरी 1998 को मुम्बई के शिवाजी पार्क में रैली.
20 जनवरी 2002 को लुधियाना में हाहाकार रैली.
28 सितम्बर 2002 को लखनऊ के अम्बेडकर मैदान में निंदा एवं धिक्कार रैली.
13 मार्च 2004 को लखनऊ अम्बेडकर मैदान में पर्दाफाश रैली.
9 जून 2005 को लखनऊ अम्बेडकर मैदान में ब्राहमण महासम्मेलन.
9 अगस्त 2008 को लखनऊ के रमाबाई अम्बेडकर मैदान में सावधान रहो, आगे बढ़ो रैली.
15मार्च 2010 को बसपा की स्थापना के 25वर्ष पूरे होने पर संकल्प रैली.
14 नवंबर 2011 को ब्राह्मण भाईचारा सम्मेलन लखनऊ में.
27 नवंबर 2011 दलित, पिछड़ा वर्ग सम्मेलन लखनऊ में.
18दिसंबर 2011 मुस्लिम क्षत्रिय एवं वैश्य सम्मेलन रमाबाई अंबेडकर मैदान लखनऊ.
09 अक्टूबर 2012 महासंकल्प रैली, रमाबाई अंबेडकर मैदान लखनऊ.