वाराणसीः राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि 2014 को लोकसभा चुनाव में बीजेपी के दिग्गज नेता नरेंद्र मोदी लखनऊ या वाराणसी से चुनाव लड़ सकते हैं.
बीजेपी राष्ट्रीय सचिव और यूपी के सहप्रभारी रामेश्वर चौरसिया ने कहा था कि मोदी वाराणसी, इलाहाबाद या लखनऊ से लड़ सकते है. लेकिन बाद में अपने बयान से पीछे हटते हुए बाद में चौरसिया ने कहा इस विषय पर अंतिम फैसला केंद्रीय कमिटी का होगा. प्रमुख अंग्रेजी अखबार ‘मेल टुडे’ के अनुसार, राजनाथ सिंह भी इस बार गाजियाबाद के बजाय लखनऊ से चुनाव लड़ना चाहते हैं. बीजेपी के एक सीनियर नेता के हवाले से बताया, ‘राजनाथ शांत रहकर मोदी की राह में बाधाएं खड़ी कर रहे हैं.
मोदी हिंदुत्व के प्रतीक हैं और उनकी मौजूदगी भर से राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस उत्तर प्रदेश में वोटरों का ध्रुवीकरण करा सकता है. ऐसी स्थिति में हिंदू वोटर बीजेपी के पक्ष में लामबंद हो सकते हैं. लेकिन राजनाथ ने मोदी के प्रभाव को कुंद करने के लिए हाल में यह बयान दिया कि वह समावेशी राजनीति में विश्वास करते हैं और मुस्लिमों को विश्वास जीतना चाहते है.
सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाले यूपी और बिहार. अगर पार्टी को 200 का आंकड़ा पाना है तो इन दोनों राज्यों में कम-से-कम 50 फीसदी सीटों पर बीजेपी का कमल खिलाना होगा इसलिए, मॉनसून थोड़ा कम होते ही मोदी अपने अभियान की औपचारिक शुरुआत अटल बिहारी वाजपेयी की कर्मभूमि लखनऊ से करेंगे. इस बीच राज्य के प्रभारी महासचिव और मोदी के विश्वासपात्र अमित शाह सहप्रभारियों के साथ संगठन को दुरुस्त करने में लगे हुए हैं. सितंबर से मार्च के बीच छह-सात महीनों में सघन प्रचार अभियान चलाया जाएगा. इसमें सभी बड़े नेताओं को जोड़ा जाएगा.
मोदी के तमाम प्रयासों के बीच रामेश्वर चौरसिया ने यह कहकर हलचल पैदा कर दी कि मोदी आगामी लोकसभा चुनाव में वाराणसी संसदीय सीट से खड़े हो सकते हैं. कहीं न कहीं उनके इस बयान से पार्टी के अंदर की खलबली का अंदाजा तो सहज लगाया जा सकता है.