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दिल्ली में सरकार गठन : SC ने की LG की तारीफ, सुनवाई 11 नवंबर तक टली

नयी दिल्ली : दिल्ली में सरकार बनाने को लेकर जारी गतिरोध के बीच मामले की सुनवाई 11 नवंबर तक के लिए सुप्रीम कोर्ट ने टाल दी है. कोर्ट ने राज्यपाल की कोशिश की तारीफ करते हुए कहा कि देश में इससे पहले भी अल्पमत की सरकार बन चुकी है. राज्यपाल के द्वारा सभी पार्टियों से […]

नयी दिल्ली : दिल्ली में सरकार बनाने को लेकर जारी गतिरोध के बीच मामले की सुनवाई 11 नवंबर तक के लिए सुप्रीम कोर्ट ने टाल दी है. कोर्ट ने राज्यपाल की कोशिश की तारीफ करते हुए कहा कि देश में इससे पहले भी अल्पमत की सरकार बन चुकी है. राज्यपाल के द्वारा सभी पार्टियों से बात करने के कदम को कोर्ट ने सकारात्मक बताया है. मामले पर कोर्ट 11 नवंबर को अपना फैसला देगी.

कोर्ट ने राज्यपाल को विकल्प तलाशने के लिए और वक्त दिया है. अब राज्यपाल को संभावना तलाशनी है यदि ऐसा नहीं होता है तो दोबारा चुनाव भी कराए जा सकते हैं.हाल में मीडिया में आई खबरों का जिक्र करते हुए प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने कहा, ‘‘मैंने अखबारों में जो भी पढा है, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि उप राज्यपाल ने सकारात्मक कदम उठाए हैं.’’

पीठ ने विधानसभा भंग करने की मांग के साथ याचिका दायर करने वाली आम आदमी पार्टी (आप) के वकील प्रशांत भूषण से कहा कि वह कुछ समय इंतजार करें क्योंकि उप राज्यपाल ने राष्ट्रीय राजधानी में राजनीतिक पक्षों के साथ सलाह मशविरे की प्रक्रिया शुरु कर दी है.

इस पीठ में न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति एके सिकरी, न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल और न्यायमूर्ति अरुण मिश्र भी शामिल हैं.सरकार के गठन की संभावना पर पीठ ने कहा, ‘‘किसी राजनीतिक दल के बाहर से समर्थन से अल्पमत की सरकार बन सकती है.’’भूषण ने हालांकि कहा कि विधानसभा में राजनीतिक दलों की स्थिति के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी में सरकार के गठन की कोई संभावना नहीं है.

पीठ ने आप के वकील से 11 नवंबर तक इंतजार करने को कहा जब यह पुन: मामले पर सुनवाई करेगी. इसने कहा, ‘‘हमें हमेशा उम्मीद रखनी चाहिए.’’उप राज्यपाल ने कल दिल्ली में सरकार के गठन की संभावना तलाशने के लिए राजनीतिक दलों को आमंत्रित करने का फैसला किया था.

पूर्व में केंद्र ने शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि सरकार बनाने के लिए भाजपा को आमंत्रण देने के उप राज्यपाल के प्रस्ताव पर राष्ट्रपति अपनी सहमति दे चुके हैं. न्यायालय ने मुद्दे पर देरी के लिए केंद्र और उप राज्यपाल की आलोचना भी की थी और कहा था कि राष्ट्रपति शासन अनंतकाल तक नहीं चल सकता. इसने पूछा था कि अधिकारी तेजी से काम करने में क्यों विफल रहे ?

दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा में वर्तमान में किसी पार्टी को साधारण बहुमत के लिए 34 विधायकों के समर्थन की जरुरत है. 70 में से तीन सीटें खाली हैं जो अगले महीने के अंत में उप चुनाव से भरी जानी हैं.

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई थी कि वो दिल्ली में जल्द सरकार बनाए. कोर्ट ने सख्त लहजे में ये कहा था कि ज्यादा दिन तक जनता को राष्ट्रपति शासन में नहीं रखा जा सकता. जनता का अधिकार है कि उसे चुनी हुई सरकार मिले. पांच महीने तक कोर्ट के बार बार हिदायत के बाद भी सरकार ने इसपर कोई पहल नहीं की.

गौरतलब है कि बुधवार को राज्यपाल ने इस मामले में सभी पार्टियों से बात करने की बात की थी जिसकी कोर्ट ने तारीफ भी की है. दिल्‍ली में सरकार बनाने के राष्‍ट्रपति की सहमती के बाद भी अभी कोई फैसला नहीं लिया जा सका है.

उप-राज्यपाल ने की राजनाथ सिंह से मुलाकात

राष्ट्रपति शासन जारी रहने पर उच्चतम न्यायालय की फटकार के दूसरे दिन उप-राज्यपाल नजीब जंग ने बुधवार को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात करके दिल्ली के राजनीतिक हालात पर चर्चा की. सूत्रों ने कहा कि उप-राज्यपाल ने गृहमंत्री को बताया कि दिल्ली में सरकार गठन की संभावनाओं को तलाशने के लिए वह सभी राजनीतिक दलों को बुलायेंगे. आम आदमी पार्टी की सरकार के इस्तीफे के बाद 17 फरवरी से दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू है. केंद्र सरकार ने मंगलवार कोउच्चतम न्यायालय को बताया था कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रीय राजधानी में सरकार बनाने के लिए भाजपा को आमंत्रित करने के दिल्ली के उप राज्यपाल के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. सूत्रों ने बताया कि जंग की राजनाथ सिंह के साथ यह मुलाकात करीब आधे घंटे चली.

केजरीवाल ने उप राज्यपाल से की सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग

दिल्ली में फिर से चुनाव कराने के लिए जोर दे रही आम आदमी पार्टी ने आज उप राज्यपाल से सर्वदलीय बैठक की मांग की. ‘आप’ के समन्वयक अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को ट्वीट किया ‘‘हम मांग करते हैं कि उप राज्यपाल को गुरुवार को सर्वदलीय बैठक बुलाना चाहिए, शाम तक अंतिम निर्णय लेना चाहिए तथा उस बारे में कल अदालत को अवगत कराना चाहिए.’ राष्ट्रीय राजधानी में ‘आप’ फिर से चुनाव कराने की मांग कर रही है और उसने उप राज्यपाल पर भाजपा का ‘पक्ष लेने’ का आरोप लगाया है.

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