रामपुर: अनूठे सांप्रदायिक सद्भाव का परिचय देते हुए यहां समीप के एक गांव में एक मुस्लिम व्यक्ति ने अपनी एक मुंहबोली हिंदू विधवा बहन के अंतिम संस्कार का इंतजाम किया.यह अनोखी और दिल को छू लेने वाली घटना यहां से करीब दस किलोमीटर दूर मूंधा पांडे गांव के मौलागढ मोहल्ले की है. कहानी कुछ ऐसी है कि अपने पति की मौत के बाद यशोदा देवी अपनी मां के साथ बेहद गरीबी की हालत में एक झोपडी में रह रही थी.
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मुस्लिम भाई ने हिंदू बहन का अंतिम संस्कार किया
रामपुर: अनूठे सांप्रदायिक सद्भाव का परिचय देते हुए यहां समीप के एक गांव में एक मुस्लिम व्यक्ति ने अपनी एक मुंहबोली हिंदू विधवा बहन के अंतिम संस्कार का इंतजाम किया.यह अनोखी और दिल को छू लेने वाली घटना यहां से करीब दस किलोमीटर दूर मूंधा पांडे गांव के मौलागढ मोहल्ले की है. कहानी कुछ ऐसी […]
गांव से मिली खबरों के अनुसार, उसकी हालत देखकर द्रवित उसी गांव के असलम बेग ने यशोदा को अपनी ‘‘राखी बहन’’ बना लिया और उससे अपील की कि वह उन्हें अपने बडे भाई जैसा समझे. इसके बाद , असलम ने यशोदा के परिवार के लिए घर का इंतजाम किया और यहां तक कि उसकी पैसे से भी मदद की. 15 साल तक दोनों के बीच यह रिश्ता बना रहा और दोनों एक दूसरे के यहां तीज त्यौहार में बाखूबी शामिल होते रहे.लेकिन कल जब असलम ‘‘भाई दूज’’ के लिए यशोदा के घर जा ही रहे थे तो पता चला कि बीमारी के कारण उनकी बहन का देहांत हो गया.
यशोदा के रिश्तेदारों ने मौलागढ में ही उसका अंतिम संस्कार करने की सोची लेकिन असमल ने पार्थिव शरीर को गढमुक्तेश्वर ले जाने पर जोर दिया.असलम यशोदा के पार्थिव शरीर और उसके रिश्तेदारों को अपने खर्च पर गढमुक्तेश्वर में गंगा नदी के तट पर ले गए और वहां उसका अंतिम संस्कार किया.
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