वाई बी प्रसाद
64 वर्षीय योजना आयोग का अंत समीप है. 26 अगस्त, 2014 को नौ-नौ विशिष्ट विशेषज्ञों के दो दलों में आम सहमति हुई कि योजना आयोग समाप्त हो. दोनों दल उच्चस्तरीय थे जिन्हें अंतिम अनुशंसा करनी थी. इनमें ख्यातिप्राप्त अर्थशास्त्री और राजनीतिक हस्तियां थीं – प्रोणब सेन, यशवंत सिन्हा, विमल जालान, एमजे अकबर, सौमित्र चौधरी, वाइके अलघ, सुमित बोस, टीएन नीनान, राजीव कुमार, टीसीए श्री निवास आदि. दोनों दल इस बिंदु पर भी निर्विरोध सहमत हुए कि
(क) पंचवर्षीय योजना प्रणाली समाप्त हो. (ख) वर्तमान आर्थिक-सामाजिक लक्ष्यों के अनुरूप ग्रोथ संकेतक निर्मित हो,(ग) वित्तीय आवंटन विषयक कार्य वित्त आयोग/ राज्य सरकारों द्वारा संपादित हों और(घ) योजना आयोग के स्थान पर जो भी संस्था गठित हो उसे वैदिक आधार दिया जाये.
27 अगस्त, 1914 को पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) के निवेशों के आलोक में सिंधुश्री खुल्लर सचिव, योजना आयोग ने एक टिप्पणी सभी मंत्रलयों को अग्रसारित की और अनुशंसित प्रस्तावों पर उनके विचार की अपेक्षा की गयी. सचिव खुल्लर की प्रसारित टिप्पणी में पांच मुख्य बदलावों के संकेत हैं.
(क) नयी संस्था के कृत्य एवं कर्तव्य मूलत: आधारभूत संरचना, खनन, ऊर्जा (पारंपरिक एवं नवीन), जल संरक्षण-संवर्धन, पथ-परिवहन, पोर्ट-एयरपोर्ट, औद्योगिक-मैनुफैक्चरिंग, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण आदि प्रक्षेत्रों में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप कार्यक्रमों का कार्यान्वयन.
(ख) विकास प्रक्षेत्रों में राज्य सरकारों द्वारा पहल एवं प्रोत्साहन.
(ग) योजना आयोग के आकार में काट-छांट – वर्तमान कार्यरत प्रमुख 1000 अधिकारियों की सूची उनके कृत्य एवं उत्तरदायित्वों की सूचना सहित टिप्पणी हेतु संलग्न की गयी है. वर्तमान सदस्यों एवं अधिकारियों/ कर्मियों की संख्या में कमी और तकनीकी एवं दक्ष विशेषज्ञों की नियुक्ति पर बल दिया गया है, जो संरचना प्रक्षेत्र से जुड़े हों.
(घ) सामाजिक प्रक्षेत्र में सम्प्रति चालू फ्लैगशिप कार्यक्रमों में तकरीबन 1000 बदलाव प्रस्तावित हुए हैं.
नयी संस्था का नाम विकास की आत्मा और ज्ञान-विज्ञान आधारित संपादित किये जानेवाले कार्य को प्रतिबिंबित करें. इस बिंदु पर टिप्पणी अपेक्षित है.
नया नाम क्या हो?
15 अगस्त, 2014 को लाल किले से अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों पर ध्यान दें :-
‘हम प्लानिंग कमीशन को रिप्लेस करेंगे एक नयी संस्था से, जिसकी नयी डिजाइन हो, नया ढांचा हो, नयी काया और नयी आत्मा हो, नयी सोच और नयी रोशनी हो और जो नयी दिशा में नेतृत्व करे – पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप को बढ़ावा मिले, राष्ट्र के संसाधनों और राष्ट्र की युवा शक्ति की उपयोगिता बढ़े, राज्य सरकारों की विकास की आकांक्षाओं को प्रोत्साहन मिले और राज्य सरकारें और संघीय ढांचा (फेडरल स्ट्रक्चर) सुदृढ़ हों.’
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रधानमंत्री योजना आयोग के नये नाम और नये काम के संदर्भ में अंतिम निर्णय लेने के पूर्व संभवत: योजना आयोग के सभी पूर्व उपाध्यक्षों (जो जीवित हैं) और राज्य सरकारों से विमर्श करेंगे. अरुण मैरा, सदस्य योजना आयोग, बताते हैं कि 2010 में मनमोहन सरकार के निदेश पर योजना आयोग को रीवैम्प करने के संबंध में राज्य सरकारों, कॉरपोरेट संस्थानों, किसान संगठनों, अर्थशास्त्रियों एवं अन्य प्रमुख स्टेक होल्डरों के साथ बैठकों कर विचार -विमर्श और अध्ययन किया. 1000 पृष्ठों की रिपोर्ट केंद्र सरकार को समर्पित की, जिसे अब तक संभवत: पढ़ा भी नहीं गया है. एक अन्य सदस्य सोमनाथ का कहना है कि प्रधानमंत्री तो स्वयं योजना आयोग के अध्यक्ष हैं, लेकिन एक साल में मुश्किल से दो दिन भी योजना आयोग को नहीं दे पाते हैं.
भारत में प्लानिंग परंपरा
1931 : सोवियत संघ के सात वर्षीय योजना प्रणाली के अंतर्गत अजिर्त दुर्दान्त आर्थिक प्रगति और कैपिटलिस्ट देशों में 1929-30 में व्याप्त दयनीय बाजार मंदी और बदतर होती आर्थिक स्थिति ने पूरे विश्व को योजना का मार्ग अपनाने को उद्वेलित किया. इन घटनाओं ने भारतीय नेताओं को योजनाबद्ध विकास की ओर उत्प्रेरित किया. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने प्रस्ताव पास किया.
1934 : ब्रिटिश सेक्रेटरी ऑफ स्टेट (जार्ज स्कूटर) ने ब्रिटिश पार्लियामेंट में लिये गये निर्णय के तर्ज पर भारत में भी आर्थिक परामर्शदात्री समिति गठन का प्रस्ताव सेंट्रल एसेंबली में लाया. किंतु भारतीय सदस्यों (जीडी बिरला, पी ठाकुर दास) द्वारा मांग किये जाने पर कि भारतीय आर्थिक समिति को निर्णय लेने और कार्यान्वयन कराने की शक्ति दी जाये. बात आगे नहीं बढ़ सकी.
1936 : डॉ एम विश्वेश्वरैया द्वारा तैयार विकास योजना का स्वागत.