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सारदा घोटाला मामले में कारोबारी गिरफ्तार

नयी दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो ने सारदा चिटफंड घोटाले में कथित भूमिका के लिए एक चाय बगान के मालिक और प्रभावशाली कारोबारी संधीर अग्रवाल को कोलकाता में गिरफ्तार किया है. सीबीआई ने कंपनी के चेयरमैन सुदीप्ता सेन तथा ईस्ट बंगाल क्लब के अधिकारी देबव्रत सरकार के साथ अग्रवाल से गहन पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार […]

नयी दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो ने सारदा चिटफंड घोटाले में कथित भूमिका के लिए एक चाय बगान के मालिक और प्रभावशाली कारोबारी संधीर अग्रवाल को कोलकाता में गिरफ्तार किया है. सीबीआई ने कंपनी के चेयरमैन सुदीप्ता सेन तथा ईस्ट बंगाल क्लब के अधिकारी देबव्रत सरकार के साथ अग्रवाल से गहन पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार किया.

सीबीआई सूत्रों ने बताया कि राजनीतिक और कारोबारी हलकों में खासा प्रभाव रखने वाले अग्रवाल को बीती शाम हिरासत में लिया गया.उन्होंने बताया कि अग्रवाल की गिरफ्तारी इस मायने में काफी अहम मानी जा रही है कि उन्होंने अपने संपर्को का इस्तेमाल करते हुए सेन को सेबी जैसी नियामक इकाइयों की कार्रवाई से कथित रुप से बचाया था.संदेह है कि अग्रवाल ने सेबी तथा अन्य नियामक इकाइयों के साथ बिचौलियो के रुप में काम किया और सेन को उनकी कार्रवाई से बचाया. सीबीआई सूत्रों ने यह जानकारी दी.

समझा जाता है कि सेन ने सीबीआई को बताया कि अग्रवाल ने उसे बचाने के लिए , उसके खिलाफ सेबी तथा अन्य नियामक इकाइयों को कार्रवाई करने से रोकने के लिए कथित रुप से करोडों रुपये की मोटी रकम ली थी.

सीबीआई सूत्रों ने बताया कि जांच के दौरान यह महसूस किया गया कि आगे की जांच के लिए अग्रवाल की हिरासत महत्वपूर्ण है. सारदा समूह के खिलाफ चार प्राथमिकी हैं जिनमें यह आरोप लगाया गया है कि कंपनी के अधिकारियों तथा उनके सहयोगियों ने कथित रुप से हजारों निवेशकों को चूना लगाया. इसके अलावा पोंजी कंपनियों के खिलाफ ओडिशा में भी 44 एफआईआर दर्ज हैं.

उच्चतम न्यायालय ने सारदा चिटफंड घोटाले की जांच का काम सीबीआई के हवाले किया था और राज्य सरकारों से कहा था कि वे मामले की जांच में सीबीआई टीम की मदद के लिए सभी प्रकार की सहायता उपलब्ध कराएं. सीबीआई ने संयुक्त निदेशक राजीव सिंह की अगुवाई में एक विशेष जांच दल का गठन किया था जिसे सेबी तथा भारतीय रिजर्व बैंक की भूमिका की भी जांच करनी थी.

न्यायाधीश टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की पीठ ने अपने आदेश में कहा था, ‘‘अभी तक की गयी जांच सेबी जैसे नियामक प्राधिकारों, कंपनियों के रजिस्ट्रार तथा आरबीबाई के अधिकारियों की भूमिका पर सवाल लगाती है जिनके अधिकार क्षेत्र और संचालन क्षेत्रों के भीतर न केवल घोटाले ने जन्म लिया बल्कि बेरोकटोक फलता फूलता रहा. ’’

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