नयी दिल्ली: संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा में सी-सैट के मुद्दे पर आज राज्यसभा में गहमागहमी रही. सरकार ने आज यूपीएससी परीक्षा पैटर्न पर उठे मामले के हल के लिए राज्य सभा में कोई समय सीमा देने से इनकार कर दिया. लेकिन उन्होंने फिर यह आश्वस्त किया कि जल्द ही इस मामले का हल निकाल लिया जाएगा.
गौरतलब है कि सरकार पिछले कुछ दिनों से इस मामले में टालमटोल कर रही है. कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि एक सप्ताह के भीतर मामला सुलझा लिया जाएगा. आज छठा दिन है. अब सरकार कह रही है कि हम कोई समयसीमा नहीं दे सकते लेकिन इस मामले को जल्द सुलझा लिया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक अब इससे छात्रों को भी सरकार की कथनी और करनी पर संदेह होने लगा है. अगर कल की समय सीमा के अंदर सरकार कोई निर्णय नहीं ले पाती है तो छात्रों का विरोध-प्रदर्शन तेज हो सकता है.
वहीं आज राज्यसभा में भी इसको लेकर करीब एक घंटे तक बहस हुई.जदयू सहित विपक्ष के कई दलों ने सरकार को घेरते हुए उस पर फैसले को टालने का आरोप लगाया और इसके तत्काल समाधान की मांग की जबकि सरकार ने सदन को आश्वासन दिया कि इस मुद्दे पर गौर करके जल्द निर्णय किया जाएगा.
जितेंद्र सिंह के पूर्व के बयान को दिलाया याद
राज्यसभा में जदयू के शरद यादव ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने उच्च सदन में बयान दिया था कि यूपीएससी मुद्दे का समाधान सात दिनों के भीतर कर लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि मंत्री को बयान दिये हुए छह दिन हो गये हैं और सरकार को बताना चाहिए कि क्या वह कल तक इसका समाधान निकाल लेगी.
उन्होंने कहा कि यह केवल हिंदी भाषी बच्चों से जुडा मामला नहीं है बल्कि सारे देश की क्षेत्रीय भाषाएं इससे जुडी हैं. उन्होंने सरकार को आगाह किया कि मामले को बिगाडिये मत. यह आंदोलन पूरे देश में फैल सकता है.
विपक्ष ने लगाया सिर्फ आश्वासन का आरोप
यादव ने कहा कि सरकार ने इस मुद्दे पर भूख हडताल कर रहे बच्चों को आश्वासन देकर उनका अनशन समाप्त करा दिया लेकिन सरकार ने अभी तक अपने आश्वासन की दिशा में कुछ भी नहीं कहा.
गोयल ने किया सरकार का बचाव
भाजपा के विजय गोयल ने उनकी इस मांग का विरोध करते हुए कहा कि जब इस मामले में गृहमंत्री का बयान आ चुका है तो अब इस मुद्दे को फिर से उठाने की जरुरत नहीं है.