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#गणेश चतुर्थीः कहीं नारियल तो कहीं रेत से बने भगवान गणेश, मनमोहक रूपों का कीजिए दर्शन

नयी दिल्ली: आज देशभर के अलग-अलग हिस्सों में गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जा रहा है. उल्लासपूर्ण वातावरण में विभिन्न पूजा पंडाल भक्तों द्वारा लगाए गए ‘गणपति बप्पा मोरया’ के जयघोष से गुंज रहा है. इस बार सारा फोकस इको फ्रेंडली गणेश-उत्सव मनाने पर है. यानी कि मूर्तियों में कैमिकल युक्त रंगो सहित अन्य साज-सज्जा […]

नयी दिल्ली: आज देशभर के अलग-अलग हिस्सों में गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जा रहा है. उल्लासपूर्ण वातावरण में विभिन्न पूजा पंडाल भक्तों द्वारा लगाए गए ‘गणपति बप्पा मोरया’ के जयघोष से गुंज रहा है. इस बार सारा फोकस इको फ्रेंडली गणेश-उत्सव मनाने पर है. यानी कि मूर्तियों में कैमिकल युक्त रंगो सहित अन्य साज-सज्जा के सामानों का कम प्रयोग. मूर्तिकारों ने भी इसका ध्यान रखते हुए गणेश की भव्य प्रतिमाओं अलग-अलग रूपों में बनाई हैं.

अलग-अलग रूपों में दिखे गणपति

इस बार गणपति बप्पा किसी पूजा पंडाल में कमल पर बैठे हैं तो कहीं वीणा बजाते हुए दिख रहे हैं. कहीं उन्होंने बालरुप धारण किया हुआ है तो कहीं दर्जनों गजराज के साथ विराजमान हैं. किसी-किसी पंडाल में गणपति सात घोड़ों से खींचे जाने वाले भव्य रथ की सवारी करते हुए नजर आ रहे हैं. कहीं किसी पंडाल में गणेशजी नटखट अंदाज में मोदक खाते हुए दिख रहे हैं. इसके अलावा कहीं भगवान गणेश राजसी अंदाज में सिंहासन पर विराजमान नजर आए तो कहीं योद्धा के वेश में रौद्र रुप दिखाया. आईए, इस खबर में हम आपको दिखाते हैं विघ्नहर्ता की कुछ मनमोहक तस्वीरें….

सुदर्शन पटनायक ने भी किया नमन

महान मूर्तिकार सुदर्शन पटनायक ने उड़ीसा के पुरी तट पर रेत से भगवान गणेश की मनमोहक प्रतिमा का निर्माण किया. इसके साथ ही सुदर्शन पटनायक ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति पीएम मोदी की सराहना करते हुए लोगों से इको-फ्रेंडली त्यौहार मनाने को कहा. इसके अलावा पटनायक ने लोगों से सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं करने का आग्रह किया है.

नारियल से बना दी गणपति की प्रतिमा

बेंगलुरू में भक्तों ने गणपति बप्पा की एक अनोखी मूर्ति बनाई जिसमें तकरीबन 9 हजार नारियल का इस्तेमाल किया गया है. उनकी सवारी मूषकराज को बनाने में भी नारियल का इस्तेमाल किया गया है.

इन रूपों में भी भक्तों को भाये गणपति

इस तस्वीर में गणपति गंभीर मुद्रा में नजर आ रहे हैं. ये उनका व्यस्क रुप है. उनके एक हाथ में विशाल पात्र है तो वहीं दूसरे हाथ में फरसा. एक हाथ में उन्होंने कमलदल थामा हुआ है. साथ ही इस मूर्ति में गणपति ने स्वर्ण मुकुट धारण किया हुआ है.

इस मूर्ति में बप्पा बालरूप में नजर आ रहे हैं. उनका हाथ आशीर्वाद मुद्रा में है. पृष्ठभूमि में दर्जनों की संख्या में गजराज नजर आ रहे हैं.

वहीं एक अन्य प्रतिमा में भगवान गणेश अनंत ब्रह्मांड की बीच नजर आ रहे हैं. उनके आसपास कुछ अंतरिक्षयात्री चहलकदमी कर रहे हैं. चारों ओर उपग्रहों और तारों को विचरण करते हुए दिखाया गया है. कुछ मानवनिर्मित उपग्रह भी यहां दिखाई पड़ रहा है.

भगवान गणेश की ये मूर्ति बहुत की मनमोहक है. गणपति हाथ में त्रिशुल थामें बालरूप में नजर आ रहे हैं. वो शेषनाग की कुंडली पर बैठे हैं जहां विशालकाय सांप ने अपने कई सारे फनों से उन पर छाया किया हुआ है.

इस तस्वीर में गणपति संन्यासी अवतार में नजर आ रहे हैं. वो किसी बरगद के पेड़ के नीचे बैठे हैं और ऐसा लगता है कि काफी सालों से तपस्या में लीन हैं.

वहीं एक अन्य मनमोहक मूर्ति में भगवान गणेश नर्म घास के गलीचे पर विराजमान हैं और मूसलाधार बारिश हो रही है. गणपति की सवारी मूषकराज पत्ते का छाता बनाकर अपने स्वामी को बारिश से बचाने की कोशिश करते हुए नजर आ रहे हैं.

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