'सपने वे नहीं होते, जो आपको रात में सोते समय नींद में आए बल्कि सपने वे होते हैं, जो रात में सोने ही न दें.'
ऐसी बुलंद सोच रखने वाले 'मिसाइलमैन' अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम (एपीजे अब्दुल कलाम) भारतीय मिसाइल प्रोग्राम के जनक कहे जाते हैं. आज उनकी पुण्यतिथि है. चार साल पहले 27 जुलाई को उनका निधन मेघालय के शिलांग में हुआ था. यहां वो लेक्चर देने गए थे. कलाम ने अपने आखिरी कुछ घंटे ऐसे बिताए जो यादगार है. उनकी आखिरी इच्छा, उनके आखिरी शब्द, सब हमें बताते हैं कि वो देश के लिए कितना सोचते थे.
भारत की 'अग्नि' मिसाइल को उड़ान देने वाले मशहूर वैज्ञानिक अब्दुल कलाम आईआईएम शिलॉन्ग में लेक्चर दे रहे थे तभी उन्हें दिल का दौरा पड़ा. आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टर कुछ नहीं कर सके. 83 वर्ष के कलाम दुनिया से विदा ले चुके थे. जब कलाम ने देश के सर्वोच्च पद यानी 11वें राष्ट्रपति की शपथ ली थी तो देश के हर वैज्ञानिक का सर फख्र से ऊंचा हो गया था.
वे 'मिसाइलमैन' और 'जनता के राष्ट्रपति' के रूप में लोकप्रिय हुए. आइए जानें उनके जीवन से जुड़े वो खास पहलू जो शायद आपको न पता हों.

कलाम का बचपन : कामयाबी के शिखर तक पहुंचने की आपने यूं तो हजारों कहानियां पढ़ी होंगी लेकिन ऐसी ही एक जीती-जागती कहानी है पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की. 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में पैदा हुए कलाम साहब का पूरा जीवन देश सेवा में समर्पित रहा. अपने व्यस्त जीवन में भी कलाम साहब ने कभी पठन-पाठन से खुद को दूर नहीं किया. उन्होंने कुल 34 किताबें लिखीं, जिनमें ज्ञान का भंडार है.
कलाम अपने परिवार में काफी लाड़ले थे, लेकिन उनका परिवार छोटी-बड़ी मुश्किलों से हमेशा ही जूझता रहता था. उन्हें बचपन में ही अपनी जिम्मेदारियों का एहसास हो गया था. उस वक्त उनके घर में बिजली नहीं हुआ करती थी और वे केरोसिन तेल का दीपक जलाकर पढ़ाई किया करते थे. अब्दुल कलाम मदरसे में पढ़ने के बाद सुबह रामेश्वरम् के रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर जाकर समाचार पत्र बेचते थे.
वो एक मछुआरे के बेटे थे, उन्होंने कई व्याख्यानों में इसका जिक्र किया कि वो शुरुआती जीवन में अखबार बेचते थे. कौन जानता था कि ये लड़का बड़ा होकर देश का चोटी का वैज्ञानिक बनेगा, और राष्ट्रपति पद की शोभा बढ़ाएगा. करोड़ों युवाओं के प्रेरणास्रोत कलाम अपनी मीठी जुबान से हजारों की भीड़ को सम्मोहित कर लेते थे.
उनसे जुड़ी ये बातें भी जानिए
1962 में कलाम इसरो में पहुंचे. इन्हीं के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहते भारत ने अपना पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बनाया. 1980 में रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के समीप स्थापित किया गया और भारत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया. कलाम ने इसके बाद स्वदेशी गाइडेड मिसाइल को डिजाइन किया. उन्होंने अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें भारतीय तकनीक से बनाईं. 1992 से 1999 तक कलाम रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार भी रहे.
.jpg?auto=format%2Ccompress)
इस दौरान वाजपेयी सरकार ने पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर टेस्ट भी किए और भारत परमाणु हथियार बनाने वाले देशों में शामिल हो गया. कलाम ने विजन 2020 दिया. इसके तहत कलाम ने भारत को विज्ञान के क्षेत्र में तरक्की के जरिए 2020 तक अत्याधुनिक करने की खास सोच दी गई. कलाम भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे.
1982 में कलाम को डीआरडीएल (डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट लेबोरेट्री) का डायरेक्टर बनाया गया. उसी दौरान अन्ना यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टर की उपाधि से सम्मानित किया. कलाम ने तब रक्षामंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. वीएस अरुणाचलम के साथ इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (आईजीएमडीपी) का प्रस्ताव तैयार किया. स्वदेशी मिसाइलों के विकास के लिए कलाम की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गयी.
इसके पहले चरण में जमीन से जमीन पर मध्यम दूरी तक मार करने वाली मिसाइल बनाने पर जोर था. दूसरे चरण में जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल, टैंकभेदी मिसाइल और रिएंट्री एक्सपेरिमेंट लॉन्च वेहिकल (रेक्स) बनाने का प्रस्ताव था. पृथ्वी, त्रिशूल, आकाश, नाग नाम के मिसाइल बनाए गए. कलाम ने अपने सपने रेक्स को अग्नि नाम दिया.
सबसे पहले सितंबर 1985 में त्रिशूल फिर फरवरी 1988 में पृथ्वी और मई 1989 में अग्नि का परीक्षण किया गया. इसके बाद 1998 में रूस के साथ मिलकर भारत ने सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने पर काम शुरू किया और ब्रह्मोस प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की गई. ब्रह्मोस को धरती, आसमान और समुद्र कहीं भी दागी जा सकती है. इस सफलता के साथ ही कलाम को मिसाइल मैन के रूप में प्रसिद्धि मिली और उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.

कलाम को 1981 में भारत सरकार ने पद्म भूषण और फिर, 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया. भारत के सर्वोच्च पद पर नियुक्ति से पहले भारत रत्न पाने वाले कलाम देश के केवल तीसरे राष्ट्रपति हैं. उनसे पहले यह मुकाम सर्वपल्ली राधाकृष्णन और जाकिर हुसैन ने हासिल किया था.
राष्ट्रपति का सफरः 18 जुलाई 2002 को कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे. इन्हें भारतीय जनता पार्टी समर्थित एनडीए घटक दलों ने अपना उम्मीदवार बनाया था जिसका वामदलों के अलावा समस्त दलों ने समर्थन किया था. 25 जुलाई 2002 को उन्होंने संसद भवन के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी. 25 जुलाई 2007 को उनका कार्यकाल समाप्त हो गया था.