डॉक्टर्स भगवान का रूप होते है, हम ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि जन्म और मृत्यू ऊपर वाले के हाथ में है लेकिन डॉक्टर को भी ऊपर वाले ने यह अधिकार दिया है, कि वह किसी का जीवन बचा सकें. शायद इसलिए हम डॉक्टर्स को भगवान का रूप मानते हैं. आज 29 वां डॉक्टर्स डे है इससे पहले की आज हम डॉकटर्स डे के मौके पर सीधे मुद्दे पर आयें पहले समझ लेते हैं कि डॉक्टर्स डे का इतिहास क्या है.
Advertisement
डॉक्टर्स डे पर जानिये कैसी है देश की सेहत
डॉक्टर्स भगवान का रूप होते है, हम ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि जन्म और मृत्यू ऊपर वाले के हाथ में है लेकिन डॉक्टर को भी ऊपर वाले ने यह अधिकार दिया है, कि वह किसी का जीवन बचा सकें. शायद इसलिए हम डॉक्टर्स को भगवान का रूप मानते हैं. आज 29 वां डॉक्टर्स डे है […]
भारत में डॉक्टर्स डे की शुरुआत 1991 में गयी गयी. जुलाई की पहली तारीख को यह दिवस मनाया जाता है. इस दिन देश में पौराणिक चिकित्सक और डॉ बिधान चंद्र रॉय का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है. यह पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री भी थे. इनका जन्म 1 जुलाई 1882 को बिहार के पटना शहर में हुआ. इसी दिन 80 साल की उम्र में इनका निधन हो गया.
कोलकाता में मेडिकल से स्नातक की पढ़ाई करने के बाद 1911 में लंदन चले गये और वहां MRCP और FRCP की डिग्री हासिल कर स्वदेश लौट गये. डॉ बिधान चंद्र रॉय चिकित्सक के साथ- साथ शिक्षाविद और स्वतंत्रता सेनानी भी थे. महात्मा गांधी के आंदोलन में शामिल रहे और बापू के अनशन के दौरान उनका ध्यान भी रका. आजादी के बाद वह भारतीय राष्ट्रयी कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए और बंगाल के मुख्यमंत्री भी बने. फरवरी 1961 में उन्हें भारत रत्न से नवाजा गया. उनकी मृत्यू 1976 में हो गयी. ऐसे महान व्यक्ति को सम्मान देने के लिए ही डॉक्टर्स डे मनाया जाता है.
देश में हालात क्या हैं
31 जनवरी तक देश में राज्य चिकित्सा परिषदों और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) में पंजीकृत डॉक्टरों की संख्या 11,57,771 है. लेकिन अनुमान है कि इनमें से 80 फीसदी ही चिकित्सा कार्य के लिए उपलब्ध होते हैं. ये अनुमान एमसीआइ ने भी जाहिर किया था. इसके अलावा देश में 7.88 फीसदी आयुर्वेदिक, यूनानी और होम्योपैथी के डॉक्टर भी हैं जिनमें से 6.30 लाख ही काम के लिए उपलब्ध होते हैं. देश में डॉक्टरों की कमी की बात सरकार भी मानती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के तय मानकों के अनुसार, यह अनुपात प्रति एक हजार व्यक्तियों पर एक होना चाहिए. इस लिहाज से देखें तो यह अनुपात तय मानकों के मुकाबले 11 गुना कम है. देश में 11,082 की आबादी पर मात्र एक डॉक्टर. देश में चिकित्सा शिक्षा की स्थिति बड़ी अजीबोगरीब है. मेडिकल कॉलेज खुलवाने के लिए राज्य सरकार मंजूरी देती है. इसे कोई फंडिंग नहीं होती है. बिहार और यूपी में आबादी के लिहाज से मेडिकल सीटें भी काफी कम रही हैं. बिहार में मौजूदा कॉलेजों में सीटें काफी कम हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, बिहार में 28,391 लोगों पर एक डॉक्टर. 31 जनवरी, 2019 तक के आंकड़ों के मुताबिक, देश में एलोपैथिक डॉक्टरों की संख्या 11.57 लाख है. जिन चार राज्यों में देश के आधे डॉक्टर रजिस्टर्ड हैं वे हैं-आंध्र प्रदेश (1,00,587), कर्नाटक (1,22,875), महाराष्ट्र (1,73,384) और तमिलनाडु (1,33,918).
राज्यों की स्थिति क्या है
उत्तर प्रदेश के 25 हजार सरकारी अस्पतालों में 13 हजार डॉक्टर हैं जबकि जबकि प्रदेश में बढ़ती आबादी और मरीजों की संख्या के लिहाज से यह संख्या तकरीबन 45 हजार होनी चाहिए. बिहार में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस की वजह से अब तक 150 से अधिक बच्चों की जानें जा चुकी हैं. इसमें सबसे अधिक संख्या मुजफ्फरपुर से है. कॉलेज श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (एसकेएमसीएच) में आपातकालीन कक्ष में एक दिन में 500 रोगियों की देखभाल के लिए केवल चार डॉक्टर और तीन नर्स हैं और दवाओं और उपकरणों की कमी है.
10 जून को कोलकाता के एनआरएस अस्पताल में एक मरीज की मौत के बाद भड़के तीमारदारों ने डॉक्टरों के साथ मारपीट की थी. इस घटना में कुछ डॉक्टर गंभीर रूप से घायल हो गए थे. घटना से आक्रोशित डॉक्टर हड़ताल पर चले गए.300 से ज्यादा डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया. धीरे-धीरे पश्चिम बंगाल में शुरू हुई डॉक्टरोंं की हड़ताल पूरे देश में फैल गई.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement