नयी दिल्ली : राज्यसभा में बुधवार को उस समय एक अप्रत्याशित नजारा देखने को मिला जब राजद के मनोज झा ने सामान्य वर्ग को रोजगार एवं शिक्षा में आरक्षण देने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए एक ‘झुनझुना’ दिखाया.
झा ने संविधान (124वां संशोधन) विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए दावा किया कि इस विधेयक के जरिये सामान्य वर्ग को महज एक झुनझुना दिखाया जा रहा है. इसके बाद उन्होंने अपने पास से एक झुनझुना निकाल कर दिखाया. राजद सदस्य ने कहा कि यह झुनझुना हिलता भी है और बजता भी है. किंतु सरकार आरक्षण के नाम पर जो झुनझुना दिखा रही है वह केवल हिलता है, बजता नहीं है.
मनोज झा ने विधेयक का पुरजोर विरोध किया और कहा कि उनका मानना है कि सरकार संविधान के मूलभूत ढांचे के साथ छेड़छाड़ कर रही है. उन्होंने कहा कि संविधान सभा ने व्यापक विचार-विमर्श के बाद संविधान तैयार किया था. झा ने आरोप लगाया कि संविधान की आत्मा को मारने का प्रयास किया जा रहा है. राजद सदस्य ने कहा कि आरक्षण मनरेगा या कोई अन्य कार्यक्रम नहीं है, यह प्रतिनिधित्व का मामला है. उन्होंने निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू करने तथा जातिगत आबादी के आंकड़ों को सार्वजनिक किये जाने की मांग की. उन्होंने दलित मुस्लिमों को भी आरक्षण के दायरे में लाये जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि सरकार ठहरे हुए पानी में कंकड़ डाल रही है और स्थिति का परीक्षण कर रही है.
चर्चा में हिस्सा लेते हुए तेदेपा के वाईएस चौधरी ने विधेयक का समर्थन करते हुए आरोप लगाया कि इसे जल्दीबाजी में लाया गया है. उन्होंने कहा कि यह एक संविधान संशोधन विधेयक है और इसलिए पहले लाया जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि हम चाहते थे कि इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजा जाता. टीआरएस के सदस्य बंदा प्रकाश ने भी इसका समर्थन किया. हालांकि, उन्होंने महिला आरक्षण विधेयक को भी पारित कराये जाने की मांग की. उन्होंने पिछड़े वर्गों के लिए अलग मंत्रालय बनाये जाने की मांग की. माकपा केई करीम ने कहा कि वह विधेयक के सिद्धांत का समर्थन करते हैं, लेकिन इस विधेयक से मकसद पूरा नहीं होगा. देश में विकास का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि देश में आम लोगों का नहीं, बल्कि एक खास वर्ग का ही विकास हुआ. मनोनीत सदस्य नरेंद्र जाधव ने भी इस विधेयक का समर्थन किया.