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राजनीतिक दलों पर आरटीआई:भाजपा सहमत,कांग्रेस असहमत

नयी दिल्ली : देश के प्रमुख राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार के तहत लाने के केंद्रीय सूचना आयोग के फैसले पर भाजपा ने जदयू, कांग्रेस और माकपा से अलग रुख अपनाते हुए आज कहा कि वह ऐसे हर नियम, कानून और निर्देश का पालन करेगी जिससे पारदर्शिता मजबूत हो. भाजपा के सहयोगी दल जदयू […]

नयी दिल्ली : देश के प्रमुख राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार के तहत लाने के केंद्रीय सूचना आयोग के फैसले पर भाजपा ने जदयू, कांग्रेस और माकपा से अलग रुख अपनाते हुए आज कहा कि वह ऐसे हर नियम, कानून और निर्देश का पालन करेगी जिससे पारदर्शिता मजबूत हो.

भाजपा के सहयोगी दल जदयू सहित कांग्रेस और माकपा ने छह प्रमुख राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के अंतगर्त लाने के केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के कल के निर्णय की आलोचना करते हुए उसे अस्वीकार्य बताया है.सीआईसी के फैसले का विरोध नहीं करने की बात करते हुए भाजपा के प्रवक्ता कैप्टन अभिमन्यु ने यहां कहा, हम ऐसे किसी नियम, कानून या आदेश के विरोध में नहीं हैं जिनसे शुचिता को बल मिले और परदर्शिता मजबूत हो तथा जो सब दलों पर लागू हो. उनसे सवाल किया गया था कि क्या जदयू और कांगे्रस की तरह भाजपा भी सीआईसी के उक्त निर्णय के विरोध में है.इसे चुनौती देने से इनकार करते हुए उन्होंने कहा, भाजपा को सीआईसी के इस निर्णय से कोई फर्क नहीं पड़ता. हम शुरु से शुचिता के पक्षधर रहे हैं और उसका पालन कर रहे हैं. चुनाव आयोग और आयकर के हर आदेश का हमने पालन किया. हम अपने खातों का नियमित लेखा-जोखा कराते रहे हैं.जदयू द्वारा सीआईसी के निर्णय का विरोध किए जाने को लेकर इस मुद्दे पर राजग में विभाजन के सवाल पर भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि सहयोगी दलों के अलग मत हो सकते हैं.वहीं कांग्रेस ने आज राजनीतिक दलों को आरटीआई कानून के दायरे में लाने संबंधी सीआईसी के निर्णय से पूरी तरह असहमति जतायी और कहा कि इस तरह की अति क्रांतिकारिता से लोकतांत्रिक संस्थाओं को नुकसान होगा.कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने यहां संवाददाताओं से कहा, हम इससे पूरी तरह असहमत है. हमें यह स्वीकार्य नहीं है. उन्होंने कहा, कहीं ऐसा न हो कि इस तरह की अति क्रांतिकारिता के चक्कर में हम कहीं बहुत बड़ा नुकसान न कर बैठें.केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने कल कहा था कि राजनीतिक पार्टियां सार्वजनिक प्राधिकार हैं और आरटीआई अधिनियम के तहत नागरिकों के प्रति जवाबदेह हैं.सीआईसी ने कहा था कि छह राष्ट्रीय पार्टियां कांग्रेस, भाजपा, राकांपा, माकपा, भाकपा और बसपा का परोक्ष रुप से केंद्र सरकार की ओर से खासा वित्तपोषण किया गया है और आरटीआई अधिनियम के तहत उनकी प्रकृति सार्वजनिक प्राधिकार की है क्योंकि वे सार्वजनिक कृत्य करती हैं.सीआईसी की पूर्णपीठ के आदेश के बाद पार्टियां अपने कोष के स्रोतों और अन्य मुद्दों पर नागरिकों के प्रति जवाबदेह होंगी कि वे कैसे धन खर्च करती हैं और चुनाव के लिए उम्मीदवारों का चयन कैसे करती हैं. वहीं केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि आरटीआई उद्देश्यों का व्यवहारिक नियंत्रण रखना जरूरी है क्योंकि उन्हें बेकाबू होने की इजाजत नहीं दी जा सकती.

खुर्शीद ने कहा कि आरटीआई देश में अब भी विकास की प्रक्रिया में है और इसकी पहुंच और दायरे जांचे-परखे जा रहे हैं. विदेश मंत्री ने कहा, आरटीआई का एक तर्क है और यह उसके आदेशों में अभिव्यक्त होता है. तर्क को विभिन्न स्तर पर परखा जाएगा जिसमें अदालतें भी शामिल हैं.

उन्होंने कहा, मैं समझता हूं कि हमें आरटीआई की विकासशील प्रकृति के प्रति साफ तौर पर संवेदनशील होना चाहिए लेकिन इसके साथ ही मैं समझता हूं कि आरटीआई उद्देश्यों का व्यवहारिक नियंत्रण रखना जरुरी है क्योंकि उन्हें बेकाबू होने की इजाजत नहीं दी जा सकती.

बहरहाल, खुर्शीद ने इसपर सीधे कोई टिप्पणी करने से परहेज किया कि क्या इस अधिनियम को राजनीतिक दलों पर लागू किया जाए.

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