नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने देशभर की निचली अदालतों में न्यायिक अधिकारियों के पांच हजार से अधिक रिक्त पदों पर सोमवार को संज्ञान लिया और सभी 24 उच्च न्यायालयों के साथ ही राज्यों से सूचना मांगी और इतनी रिक्तियों को पूरी तरह से अस्वीकार्य बताया.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्ववाली एक पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत उच्चतम न्यायालय को मिली असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल किया और सभी 24 उच्च न्यायालयों और 36 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे उसे रिक्तियों जैसे मुद्दों और उस समयसीमा के बारे में अवगत करायें जिसमें उन्हें भरा जा सकता है. पीठ में न्यायमूर्ति एसके कौल भी शामिल थे. पीठ ने उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री और सभी उच्च न्यायालयों की रजिस्ट्री के बीच हुए संवाद पर गौर किया. पीठ ने कहा कि देश में निचली अदालतों में उच्च और निम्न स्तर के न्यायिक अधिकारियों के 22,036 पद हैं और आज की तारीख में 5,133 पद खाली हैं.
पीठ ने कहा, इस अदालत की रजिस्ट्री द्वारा विभिन्न उच्च न्यायालयों की रजिस्ट्री से एकत्रित सूचना से पता चलता है कि 4,180 पद भरने के लिए भर्ती प्रक्रिया या प्रक्रियाएं वर्तमान में जारी हैं और उपरोक्त भर्ती प्रक्रियाएं विभिन्न राज्यों में विभिन्न स्तरों पर हैं. पीठ ने कहा कि सूचना से यह भी पता चलता है कि 1324 पदों को भरने के लिए भर्ती प्रक्रियाएं अभी शुरू नहीं हुई हैं. पीठ ने कहा, वर्तमान रिक्तियों जितनी बतायी गयी हैं वह पूरी तरह से अस्वीकार्य है. अदालत की रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाता है कि वह स्वत: संज्ञान रिट याचिका दर्ज करें. पीठ ने इस बारे में सूचना मांगी कि हायर जूडिशियल सर्विस और लोअर जुडिशियल सर्विस में नियुक्ति के लिए प्रक्रिया कब शुरू हुई थी और यह कब तक पूरी होगी.
पीठ ने राज्यों और उच्च न्यायालयों से पूछा कि क्या जारी प्रक्रिया को पूरा करने में जो समय लगने की उम्मीद है उसे कम किया जा सकता है. अदालत ने कहा कि ये सूचनाएं उच्चतम न्यायालय के सेक्रेटरी जनरल को 31 अक्तूबर या उससे पहले मुहैया करा दी जाये. अदालत ने मामले को एक दिन बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया. न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ताओं श्याम दीवान, केवी विश्वनाथन, विजय हंसरिया और अधिवक्ता गौरव अग्रवाल को न्यायमित्र नियुक्त किया और उनसे मामले में सहायता करने के लिए कहा.