11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

UN को उपराष्ट्रपति की सलाह – पाक प्रायोजित आतंकवाद से निपटने की ठोस कार्ययोजना बनाये

नयी दिल्ली : उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने सीमावर्ती इलाकों में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का मुद्दा उठाते हुए संयुक्त राष्ट्र से इस स्थिति से निपटने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाने का आह्वान किया है. नायडू ने सोमवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए पाकिस्तान का नाम लिये बिना […]

नयी दिल्ली : उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने सीमावर्ती इलाकों में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का मुद्दा उठाते हुए संयुक्त राष्ट्र से इस स्थिति से निपटने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाने का आह्वान किया है.

नायडू ने सोमवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए पाकिस्तान का नाम लिये बिना कहा कि भारत का एक पड़ोसी शांति की बात करता है, लेकिन आतंकवाद को ‘बढ़ावा और सहायता’ भी पहुंचाता है. उन्होंने कहा, आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते हैं. संयुक्त राष्ट्र सहित अनेक देशों के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और कानूनविदों को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा, आतंकवाद मानवता का शत्रु है. कुछ तत्व इसे धर्म के नाम पर फैला रहे हैं, लेकिन कोई भी धर्म हिंसा की बात नहीं करता है. भारत हिंसा के दर्द से पीड़ित है. पश्चिमी देश जब इससे पीड़ित होते हैं तब वे इस समस्या का अहसास करते हैं.

नायडू ने संयुक्त राष्ट्र से आह्वान किया कि आतंकवाद से निपटने के लिए यथाशीघ्र ठोस कार्ययोजना को अंतिम रूप दे जिससे इसे बढ़ावा देने और पोषित करनेवालों को रोका जा सके. इस दौरान उन्होंने वैचारिक असहमति के नाम पर आतंकवाद और कट्टरता के सहारे सामाजिक तनाव फैलाने की बढ़ती प्रवृति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि विघटनकारी असहमति किसी भी सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं हो सकती. नायडू ने कहा, असहमति के लोकतांत्रिक अधिकार को ढाल बनाकर आतंकवाद और कट्टरता को बढ़ावा देनेवाली ताकतें वैश्विक शांति के लिए खतरा बन गयी हैं. शांति की पहल करनेवाले भारत सहित अन्य देश इस खतरे से जूझ रहे हैं. इसलिए समय आ गया है जब विश्व समुदाय इस मुद्दे पर एकजुट होकर गंभीरता से सोचे.

नायडू ने कहा कि आयोग की स्थापना की रजत जयंती के अवसर पर आयोजित यह सम्मेलन इस दिशा में विचार मंथन का महत्वपूर्ण माध्यम बन सकता है. उन्होंने सम्मेलन में हिस्सा ले रहे, विभिन्न देशों के कानूनविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से इस समस्या के समाधान की ठोस कार्ययोजना पर मंथन करने का आह्वान किया. नायडू ने कहा कि सभी के सुख और कल्याण का दुनिया को संदेश देनेवाले देश भारत ने मानवाधिकारों की पेरिस उद्घोषणा 1992 के अनुरूप महिलाओं, बच्चों, बुज़ुर्गों, उपेक्षित और अल्पसंख्यकों सहित समाज के सभी वर्गों के नागरिक अधिकारों के संरक्षण हेतु सार्थक प्रयास किये हैं. उनकी आज साफ झलक पंचायती स्तर पर महिला आरक्षण और विधायिकाओं में हर वर्ग के उचित प्रतिनिधित्व के रूप में दिखती है. हालांकि, उपराष्ट्रपति ने मानवाधिकारों की बहाली प्रक्रिया में सम्यक निगरानी और संतुलन की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि आतंकवाद और कट्टरपंथी हिंसा प्रभावित सीमावर्ती एवं अन्य राज्यों में मानवाधिकारों के दुरुपयोग पर निगरानी जरूरी है.

नायडू ने कहा, कुछ लोगों को लगता है कि वैचारिक असहमति के नाम पर निर्दोष लोगों को मारने और सार्वजनिक सम्पत्ति को नष्ट करने का उन्हें अधिकार है. लोकतंत्र में विरोधी मत होना जरूरी है, लेकिन इसके नाम पर किसी को मारने का हक किसी को नहीं होता. उन्होंने कहा, कट्टरपंथी निर्दोष मासूमों को मारते हैं और फिर इनके विरुद्ध करवाई करने पर अगले दिन मानवाधिकार का दावा किया जाता है. नायडू ने इस मामले मे एक खास वर्ग की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा, मानवाधिकार देश के विरुद्ध बोलने की आजादी नहीं देता. उन्होंने कहा कि भारत ने अपने दो प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, कई सांसद और विधायकों को कट्टरपंथी हिंसा में खोया है. अब समय आ गया है कि अधिकारों के दुरुपयोग को रोकने पर चर्चा हो.

इस मौके पर नायडू ने आर्थिक भ्रष्टाचार को भी मानवाधिकार के हनन से जोड़ते हुए कहा कि आर्थिक विषमता नागरिक अधिकारों के हनन का कारण बनती है. भारत ने नोटबंदी जैसे कारगर कदम उठाकर गरीबी, सामाजिक अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक युद्ध नवंबर 2016 में छेड़ दिया था. नोटबंदी को सही कदम बताते हुए नायडू ने कहा कि गरीबों के बैंक खाते खुलवाने का महत्व उन्हें नोटबंदी के बाद समझ आया था, जब अर्थव्यवस्था से असंबद्ध धन बैकों में आकर अर्थतंत्र का हिस्सा बना. उन्होंने कालेधन को भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचार को मानवाधिकार हनन की अहम वजह बताते हुए कहा कि विश्व समुदाय को कालाधन उजागर करने के लिए वैश्विक संधि की पहल करनी चाहिए. इसे विश्व शांति और विकास के लिए जरूरी बताते हुए नायडू ने कहा, अगर सीमा पर तनाव होगा तो देश में विकास प्रभावित होगा.

इस अवसर पर आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एचएल दत्तू ने कहा कि मानवाधिकार संरक्षण के मामले में भारत के बेहतर प्रदर्शन से दुनिया वाकिफ है. उन्होंने कहा कि आयोग मानवाधिकार हनन की 98 प्रतिशत शिकायतों का निपटारा करने में सक्षम है और इसमें आयोग के दिशा-निर्देशों का सरकारों एवं प्रशासन द्वारा उचित पालन करने की अहम भूमिका है. इससे पहले केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा ने भी मानवाधिकारों के तार्किक अनुपालन की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि इसके दुरुपयोग को रोकना एक चुनौती है और सरकार इस दिशा में उचित कदम उठा रही है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें