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‘ओपन ए डोर’ में मिलेगा रहने का आश्रय, जातिवाद व संप्रदायवाद का दंश झेल रहे लोगों के लिए दक्षिणी कोलकाता में शुरू हुआ अभियान

नेशनल कंटेंट सेल गांव की मेहनतकश जिंदगी से युवा भागकर शहर पहुंचते हैं, लेकिन महानगरों में पहुंचने पर उन्हें बेरोजगारी और आवास की समस्या से दो-चार होना पड़ता है. महानगरों में किराये का मकान लेने के लिए कभी उन्हें ठेकेदारों के चुंगल में फंसना पड़ता है, तो कभी संप्रदायवाद जैसे शब्दों का दंश झेलना पड़ता […]

नेशनल कंटेंट सेल

गांव की मेहनतकश जिंदगी से युवा भागकर शहर पहुंचते हैं, लेकिन महानगरों में पहुंचने पर उन्हें बेरोजगारी और आवास की समस्या से दो-चार होना पड़ता है. महानगरों में किराये का मकान लेने के लिए कभी उन्हें ठेकेदारों के चुंगल में फंसना पड़ता है, तो कभी संप्रदायवाद जैसे शब्दों का दंश झेलना पड़ता है. संप्रदायवाद के कारण ही लोगों को महानगरों में किराये के मकान मिलने में काफी समस्या का सामना करना पड़ता है.

देश में जातिय भेदभाव के कारण महानगरों में मकान मिलने में काफी परेशानी होती है. इसी जातिवाद का दंश झेल रहे डॉ आलम ने दक्षिणी कोलकाता में अपने तीन दोस्तों के साथ मिलकर ‘ओपन ए डोर’ अभियान की शुरुआत की है. यह अभियान मुख्यत: मुस्लिम किरायदारों के खिलाफ हो रहे भेदभाव को रोकने के लिए शुरू किया गया है.

इस अभियान के तहत समाज के उन लोगों को किराये का मकान मिलेगा, जिनके ऊपर कोई आपराधिक मामला न हो और वह भेदभाव वाला प्रवृति का न हो. डॉ आलम से संघपति अभियान (एसए) ने संपर्क किया था. इसके बाद उन्होंने मुस्लिम किरायदारों के साथ हो रहे भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाया और मकान मलिक और पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्वक जुड़कर उनकी समस्या का समाधान करते हैं. दक्षिण कोलकाता में ‘ओपन ए डोर’ का प्रसार-प्रसार जोरों से किया जा रहा है.

अलग-अलग स्थानों पर पम्लेट लगाये जा रहे हैं. इस अभियान से जुड़ी छात्र तन्वी सुल्तान ने बताया कि फ्लैट तलाशने को दौरान सांप्रदायिक टिप्पणी हुईं, लेकिन डॉ आलम की मदद से हमें उसी अपार्टमेंट में रहने की जगह मिली.

अबतक 30 जरूरतमंद लोगों को मिली है मदद

एसए ने अपने सोशल मीडिया समूह ‘पीपुल्स यूनिटी’ के माध्यम से लगभग 30 जरूरतमंद लोगों मदद की है. संघपति अभियान घर, अपार्टमेंट और गेस्ट हाउस के लिए डेटाबेस प्रदान करता है, जिसमें संपत्ति के स्थान, मालिकों के संपर्क का विवरण और किराये की जानकारी शामिल है.

डॉ आलम के साथ हुआ था भेदभाव

दक्षिण कोलकाता में किराये के मकान में रह रहे डॉ आलम के साथ पड़ोसियों ने भेदभाव किया था. इसके अलावा उनके तीन दोस्तों को भी मकान से बेदखल करने को कहा गया था. उनके साथ सांप्रदायिक टिप्पणी की गयी थी. इसके बाद डॉ आलम से संघपति अभियान (एसए) ने संपर्क किया था और उनकी समस्यों का समाधान किया. इससे प्रेरित होकर डॉ अफताब आलम ने ‘ओपन ए डोर’ अभियान शुरू किया है.

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