अमरावती : हैदराबाद विश्वविद्यालय के शोधार्थी रहे रोहित वेमुला की मां राधिका वेमुला ने इस बात से इनकार किया कि अपने बेटे की मौत को लेकर भाजपा को निशाना बनाने के लिए उन्हें पैसे दिये गये थे. वर्ष 2016 में रोहित वेमुला की आत्महत्या ने एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया था. राधिका ने कल मीडिया के सामने कहा, ‘ यह पूरी तरह झूठ है. किसी ने मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या भाजपा की आलोचना करने के लिए पैसे नहीं दिये. मैं उन्हें अपने बेटे की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराती हूं. ‘
गौरतलब है कि रेल मंत्री पीयूष गोयल ने विपक्ष पर राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए इस घटना का फायदा उठाने का आरोप लगाया था. राधिका ने कहा , ‘ मैंने ऑनलाइन मीडिया से बस यह कहा था कि इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने मेरे बेटे की मौत के बाद मुझे घर खरीदने के लिए कुछ पैसे दिए थे. लेकिन वह कोई रैली में भाग लेने या प्रधानमंत्री या भाजपा की आलोचना करने के लिए नहीं थे.’
गौरतलब है कि कल रेल मंत्री पियूष गोयल ने रोहित वेमुला मामले में बयान देकर इस मसले को एकबार फिर चर्चा में ला दिया है. उन्होंने कल वेमुला की मां के ताजा बयान का जिक्र करते हुए आरोप लगाया था कि वेमुला की मां के ताजा बयान ने विपक्ष का चेहरा बेनकाब कर दिया. गोयल ने इस मामले को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, राहुल गांधी को देश से माफी मांगनी चाहिए.
गौरतलब है कि रोहित वेमुला की मां ने मुस्लिम लीग के नेताओं पर आरोप लगाते हुए कहा था कि इन नेताओं ने उन्हें 20 लाख रूपये देने का वादा किया था. इन्होंने अपना वादा पूरा नहीं किया. विपक्ष पर निशाना साधते हुए गोयल ने कहा, मेरे पास जानकारी है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने वेमुला के परिवार को मंच पर जगह दी और बयान देने के लिए कहा, इसका खुलासा होना चाहिए कि इस कदम के पीछे क्या मंशा रही होगी . राहुल गांधी को इस पर राजनीति करने के लिए माफी मांगनी चाहिए. रोहित वेमुला की मां का हम सबके सामने है. मुझे ऐसा लगता है कि अपना बयान बदलने के लिए उन पर दबाव बनाया गया हो और हो सकता है कुछ पैसे दिये गये हों.
क्या है मामला
हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के पीएचडी छात्र रोहित वेमुला ने 17 जनवरी 2016 को आत्महत्या कर ली थी. रोहित दलित समुदाय के थे और उन्हें कुछ साथियों के साथ हॉस्टल से निकाल दिया गया था. बताया जाता है कि यूनिवर्सिटी ने उसका 25,000 रुपये प्रतिमाह का फेलोशिप भी रोक दिया था, कारण यह था कि उसने याकूब मेनन को मृत्युदंड दिये जाने का विरोध किया था, वह मृत्युदंड का विरोध करते थे. वे अंबेडकर स्टूडेंट एसोसियएशन के मेंबर थे और उसके बैनर तले कई मुद्दों को उठाते थे. मृत्युदंड का विरोध किये जाने पर उनके खिलाफ जांच चल रही थी, जिसके कारण फेलोशिप बंद हो गया था और फिर हास्टल से भी निकाल दिया गया, जिसके कारण रोहित ने एक भावुक पत्र लिखकर आत्महत्या कर ली. घटना सामने आने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया था. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने उन्हें गुंडा बताया था.