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उपग्रह डेटा के इस्तेमाल से हार्वर्ड ने किया अध्ययन कहा, पराली जलाने से दिल्ली में प्रदूषण दोगुणा

बोस्टन/ नयी दिल्ली: हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने नासा के उपग्रह डेटा का इस्तेमाल कर एक अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला कि दिल्ली में अक्तूबर और नवंबर को फैले दमघोंटू प्रदूषण में से आयी आंधी के लिए जिम्मेदार खेतों में जलाई जाने वाली पराली है. उत्तर पश्चिम भारत में ढेर सारे किसान फसल कटाई के मौसम के […]

बोस्टन/ नयी दिल्ली: हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने नासा के उपग्रह डेटा का इस्तेमाल कर एक अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला कि दिल्ली में अक्तूबर और नवंबर को फैले दमघोंटू प्रदूषण में से आयी आंधी के लिए जिम्मेदार खेतों में जलाई जाने वाली पराली है.

उत्तर पश्चिम भारत में ढेर सारे किसान फसल कटाई के मौसम के बाद खेतों में पराली जलाते हैं ताकि अपने खेतों को अगली फसल के लिए तैयार किया जा सकें. पिछले कुछ वर्षों से हर शरद ऋतु में नई दिल्ली में प्रदूषण के कारण धुंध छा जाती है जिससे राष्ट्रीय राजधानी गैस चैम्बर में तब्दील हो जाती है.

हार्वर्ड विश्वविद्यालय और नासा के शोधकर्ताओं ने अब पाया कि पंजाब में पराली जलाने के मौसम अक्तूबर और नवंबर में पराली जलाना दिल्ली में भयंकर प्रदूषण का कारण है. पराली जलाने से दिल्ली में दोगुना प्रदूषण हुआ.
एसईएएस में स्नातक के छात्र डेनियल एच कसवर्थ ने कहा, ‘‘ पराली जलाने के पीक मौसम के दौरान कुछ दिन दिल्ली में वायु प्रदूषण विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्वच्छ वायु के मानकों से करीब20 गुना ज्यादा है.” यह अध्ययन‘ एनवायरमेंटल रिसर्च लेटर्स’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है. इसमें नासा के उपग्रह से भेजे गए डेटा का इस्तेमाल किया गया है.

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