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डोकलाम विवाद के बाद पहली बार चीन-भारत सीमा वार्ता 22 को

नयी दिल्ली : भारत और चीन यहां शुक्रवार को अगले दौर की सीमा वार्ता करेंगे. गर्मियों के महीने में दोनों देशों के बीच डोकलाम में 73 दिनों तक चले सैन्य गतिरोध के बाद पहली बार यह वार्ता होगी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बुधवार को एक संक्षिप्त बयान जारी कर कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार […]

नयी दिल्ली : भारत और चीन यहां शुक्रवार को अगले दौर की सीमा वार्ता करेंगे. गर्मियों के महीने में दोनों देशों के बीच डोकलाम में 73 दिनों तक चले सैन्य गतिरोध के बाद पहली बार यह वार्ता होगी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बुधवार को एक संक्षिप्त बयान जारी कर कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) एवं सीमा विवाद पर विशेष प्रतिनिधि अजीत डोभाल के न्योते पर चीन के विशेष प्रतिनिधि यांग जियेची 22 दिसंबर को विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता के लिए भारत का दौरा करेंगे.

वार्ता से पहले चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता न सिर्फ सीमा मुद्दा चर्चा के लिए एक उच्च स्तरीय माध्यम है, बल्कि रणनीतिक संचार के लिए भी एक मंच है. हुआ ने कहा कि 2017 में चीन-भारत संबंध सामान्य तौर पर अच्छा रहा, लेकिन डोकलाम घटना ने दोनों देशों के लिए एक बड़ी चुनौती पेश की. हमें भविष्य में इस तरह की किसी तकरार को टालने के लिए इस घटना से सबक सीखना चाहिए.

गौरतलब है कि चीन और भारत के सैनिक डोकलाम में 16 जून से एक दूसरे के सामने डटे हुए थे. दरअसल, भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को वहां एक सड़क बनाने से रोक दिया था. बाद में, 28 अगस्त को भारत ने दोनों देशों की सेनाओं के बीच तकरार खत्म होने की घोषणा की. चीन उस इलाके में सड़क बना रहा था, जिस पर भूटान अपना दावा करता है.

इससे पहले चीन ने मंगलवारको कहा था कि डोकलाम की घटना द्विपक्षीय समझौतों के लिए एक बड़ी परीक्षा थी और भविष्य में इस तरह की किसी स्थिति से बचने के लिए इससे सबक सीखा जाना चाहिए. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने बीजिंग में एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, विशेष प्रतिनिधियों की यह बैठक न केवल सीमा मुद्दे पर विचार-विमर्श के लिए, बल्कि रणनीतिक संवाद के लिए एक मंच भी होगी. उन्होंने कहा कि बैठक में प्रमुख अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान होगा. हुआ ने कहा, वर्ष 2017 में चीन-भारत संबंध आमतौर पर अच्छे रहे हैं, लेकिन डोकलाम की घटना दोनों देशों के लिए एक बड़ी परीक्षा बन गयी थी. हमें भविष्य में इस तरह की किसी घटना से बचने के लिए इससे सबक सीखना चाहिए.

हुआ ने कहा, सीमा क्षेत्र में शांति बनाये रखने के लिए हमें अपने ऐतिहासिक समझौतों का पालन करना चाहिए और इसके साथ ही भारत-चीन संबंधों की रक्षा करनी चाहिए. डोकलाम गतिरोध के वार्ता पर पड़े प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को विदेश मंत्री वांग यी की हाल में नयी दिल्ली की यात्रा के दौरान भी उठाया गया था. वांग रूस, भारत और चीन (आरआइसी) के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए गये थे. इस बैठक से इतर वांग ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी बातचीत की थी. हुआ ने कहा कि वांग ने सुषमा स्वराज के साथ हुई बैठक में डोकलाम मुद्दे के बारे में बात की थी.

3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) जम्मू कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक है. इसमें से 220 किलोमीटर सीमा सिक्किम में पड़ती है. दोनों पक्ष विवाद को सुलझाने के लिए अब तक विशेष प्रतिनिधियों की बातचीत के 19 दौर आयोजित कर चुके हैं. डोकलाम गतिरोध 16 जून को तब शुरू हुआ था जब पीएलए की योजना क्षेत्र में एक सड़क बनाने की थी और इस क्षेत्र में भूटान ने दावा किया था. भारतीय सैनिकों के हस्तक्षेप के बाद इसे रोका गया. भारत और चीन के बीच परस्पर समझौते के बाद 28 अगस्त को यह गतिरोध समाप्त हुआ था.

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