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मैसूर राजघराने में 400 साल बाद आया नन्हा राजकुमार, दादी गाएंगी लोरी, रानी का शाप हुआ खत्म

बेंगलुरु/मैसूर : कर्नाटक के मैसूर के वॉडेयार राजघराने में 400 साल बाद किसी शिशु का जन्म हुआ है. बुधवार की रात्रि शाही परिवार के घर एक पुत्र का जन्म हुआ.इससे इस महल में खुशी का माहौल है. हर किसी के चेहरे पर उल्लास है.आखिर सदियों बाद उनके महल के राजकुमार को जो जन्म हुआ है. […]

बेंगलुरु/मैसूर : कर्नाटक के मैसूर के वॉडेयार राजघराने में 400 साल बाद किसी शिशु का जन्म हुआ है. बुधवार की रात्रि शाही परिवार के घर एक पुत्र का जन्म हुआ.इससे इस महल में खुशी का माहौल है. हर किसी के चेहरे पर उल्लास है.आखिर सदियों बाद उनके महल के राजकुमार को जो जन्म हुआ है. इससे पहले 400 सालों से इस राजवंश का स्वाभाविक व प्राकृतिक ढंग से विस्तार नहीं हो रहा था. मैसूर के राजघराने के मौजूदा राजा यदुवीर कृष्णदत्ता वॉडेयार भी गोद ली हुई संतान हैं और पिछले साल मई में हुई ताजपोशी के बाद अब वे पिता बने हैं. उनकी पत्नी त्रिशिखा ने बुधवार की रात बेंगलुरु में एक पुत्र को जन्म दिया. राजा घोषित किये जाने के बाद यदुवीर कृष्णदत्ता वॉडेयार व त्रिशिखा से पिछले साल जून में विवाह हुआ था. यदुवीर को मैसूर के दिवंगत राजा श्रीकांतदत्त वॉडेयार एवं उनकी पत्नी प्रमोददेवी वाॅडेयर ने कुछ साल पूर्व गोद लिया था. राजा श्रीकांतदत्त यदुवीर के चचेरे दादा थे.

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क्याथीमान्यता?

मैसूर राजघराने में अबतक संतान नहीं पैदा होने के पीछे एक किवदंती है. मान्यता है कि 17वीं सदी में पड़ोसी राज्य श्रीरंगपट्टना में मैसूर के राजा ने हमला कर दिया, जिसके बाद वहां की रानी भाग गयी. इसके बाद मैसूर की सेना ने उन्हें खोज निकाला तब रानी ने कावेरी नदी में कूद कर जान दे दी, लेकिन जान देने से पहले मैसूर केराजा को उन्होंने श्राप दिया कि उन्हें कभी संतान नहीं होगी. इसके बाद से मैसूर के राजाओं को बीते 400 सालों से संतान नहीं हो रही थीऔर बुधवार को इस राजघराने में नये शिशु आने के बाद यह मान्यता ध्वस्त हो गयी.

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