नयी दिल्ली : पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका के पास ऐसे कोई सबूत नहीं हैं, जिससे यह साबित होता हो कि इस्लामाबाद को अमेरिकी आतंकी हमले के साजिशकर्ता ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान में होने के बारे में कोई जानकारी थी. उन्होंने यहां एचटी लीडरशिप समिट में कहा कि जब नवंबर 2008 में मुंबई में आतंकी हमला हुआ, आतंकी नेटवर्क को खत्म करने के लिए अमेरिका भी भारत जितना ही बेचैन था. और, भारत सरकार की मदद के लिए अमेरिकी खुफिया विभाग के जवानों की तैनाती की गयी.
पाकिस्तान से पैदा आतंक के बारे में पूछे जाने पर ओबामा ने कहा कि परेशानी का कारण यह नजरिया है कि पाकिस्तान के कुछ खास आतंकवादी संगठन और पाकिस्तान के अंदर विभिन्न सरकारी संस्थाओं से जुड़े तत्वों के बीच संबंध हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या पाकिस्तान सरकार को ऐबटाबाद में ओसामा के छिपने की जानकारी थी, ओबामा ने कहा, हमारे पास ऐसे कोई सबूत नहीं हैं जिससे इस बात की पुष्टि होती हो कि पाकिस्तान सरकार को ओसामा बिन लादेन के वहां होने के बारे में कोई जानकारी थी, लेकिन इस पर हमने जाहिर तौर पर गौर किया. जो मैंने कहा, उसके आगे गौर करने के लिए इसे मैं आपके ऊपर छोड़ता हूं. अमेरिकी नौसेना ने मई 2011 में ऐबटाबाद में हमला करके ओसामा को मार गिराया था जो अपने परिवार और करीबियों के साथ छिपकर वहां रह रहा था.
यह पूछे जाने पर कि क्या वह भारत और अमेरिका की परमाणु ऊर्जा कंपनियों जीई और वेस्टिंगहाउस के बीच भारत में परमाणु रिएक्टर बनाने की दिशा में कम प्रगति पर निराश हैं, उन्होंने कहा कि उनकी भूमिका अमेरिकी कंपनियों को अवसर मुहैया कराना था. ओबामा ने कहा कि अमेरिका ने भारत को 48 सदस्यीय परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में जगह दिलाने के लिए बहुत मेहनत की. उन्होंने किसी देश का नाम लिये बिना कहा, हमें हर देश से सहयोग नहीं मिला. यह पूछे जाने पर कि क्या वह इसके लिए चीन को जिम्मेदार ठहराते हैं, ओबामा ने कहा, अंतरराष्ट्रीय मामलों में, किसी खास देश की मंशा में भेद करना मुश्किल है. मैं स्पष्ट रूप से यह कहने का खतरा मोल नहीं लूंगा कि चीन की आपत्तियां उसकी प्रतिस्पर्धा के नजरिये पर आधारित है.
ओबामा ने कहा कि भारत को अपनी मुस्लिम आबादी की कद्र करनी चाहिए और उनका ध्यान रखना चाहिए जो खुद को इस देश से जुड़ा हुआ और भारतीय मानते हैं. उन्होंने कहा कि इस विचार को सुदृढ़ किये जाने की जरूरत है. पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 2015 में बतौर राष्ट्रपति भारत के आखिरी दौरे पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बंद कमरों में हुई बैठक के दौरान धार्मिक सहिष्णुता की जरूरत और किसी भी पंथ को मानने के अधिकार पर बल दिया था. वर्ष 2009 से 2017 के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति रहे ओबामा ने अपनी यात्रा के आखिरी दिन भी इसी तरह की टिप्पणी की थी. भारत से जुड़े एक सवाल के जवाब में ओबामा ने देश की बड़ी मुस्लिम आबादी का जिक्र किया, जो सफल, जुड़ा हुआ और खुद को भारतीय मानती है. ओबामा ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण रूप से कुछ अन्य देशों के साथ ऐसा नहीं है.
इससे पूर्व बराक ओबामा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. इस साल जनवरी में व्हाइट हाऊस छोड़ने के बाद दोनों नेताओं की यह पहली मुलाकात है. मोदी ने ट्वीट किया, पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा से एक बार फिर मुलाकात प्रसन्नता की बात है. उनके नेतृत्व में ओबामा फाउंडेशन के तहत शुरू की गयी नयी पहल के बारे में जानकारी मिली और भारत अमेरिकी सामरिक गठजोड़ को और मजबूत बनाने पर उनकी सोच से अवगत हुआ. उल्लेखनीय है कि ओबामा गुरुवारको दिल्ली आये हैं और यहां एक मीडिया संगठन की ओर से आयोजित शिखर सम्मेलन को संबोधित किया. ओबामा पहले अमेरिकी राष्ट्रपति थे जो भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बने. अपने कार्यकाल के दौरान भारत की दो बार यात्रा करनेवाले ओबामा पहले अमेरिकी राष्ट्रपति थे.