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पैराडाइज पेपर्सः हिंदुजा बंधुआें ने समूह की कंपनियों को कर्ज से उबारने के लिए अपनाया ये रास्ता

नयी दिल्लीः देश में व्यापक पैमाने पर लीक हुए पैराडाइज पेपर्स् मामले में इस बात का खुलासा किया गया है कि हिंदुजा बंधुआें ने समूह की कंपनियों को कर्ज के बढ़ते बोझ से उबारने के लिए ट्रस्ट बनाकर टैक्स बचाने का रास्ता अख्तियार किया आैर उन्होंने एप्पलबाय के साथ मिलकर काम किया है. पैराडाइज पेपर्स […]

नयी दिल्लीः देश में व्यापक पैमाने पर लीक हुए पैराडाइज पेपर्स् मामले में इस बात का खुलासा किया गया है कि हिंदुजा बंधुआें ने समूह की कंपनियों को कर्ज के बढ़ते बोझ से उबारने के लिए ट्रस्ट बनाकर टैक्स बचाने का रास्ता अख्तियार किया आैर उन्होंने एप्पलबाय के साथ मिलकर काम किया है. पैराडाइज पेपर्स में कानूनी कंपनी एप्पलबाय के मुख्यतः 1.34 करोड़ दस्तावेज हैं. इस कंपनी का कार्यालय बरमूडा आैर अन्य स्थानों पर बने हैं.

इसे भी पढ़ेंः पैराडाइज पेपर क्या है? आइसीआइजे क्यों और कैसे कर रहा है इसे लीक?

जर्मन के एक अखबार आैर अमेरिका स्थित इंटरनेशनल कंसोर्टियम आॅफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स के साथ मिलकर अंग्रेजी के अखबार इंडियन एक्सप्रेस में इस बात का खुलासा किया गया है कि हिंदुजा बंधुआें ने समूह की कंपनियों को कर्ज से उबारने की खातिर कानूनी कंपनी एप्पलबाय के साथ के मिलकर वर्ष 2014-15 के दौरान जर्सी आधारित रोजल ट्रस्टीज (चैनल आइसलैंड्स) लिमिटेड आेर नोवाट्रस्ट लिमिटेड को एक ट्रस्ट द एकाॅर्न ट्रस्ट का गठन किया.

एप्पलबाय के रिकाॅर्ड्स के हवाले से द इंडियन एक्सप्रेस ने इस बात का खुलासा किया है कि हिंदुजा समूह करीब 25 बिलियन डाॅलर के साथ कारोबार कर रहा था, जबकि उसकी विभिन्न कंपनियों में 1,00,000 से अधिक लोग काम कर रहे थे. पैराडाइज पेपर्स में एप्पलबाय दस्तावेज के मुताबिक, हिंदुजा बंधुआें ने समूह की एक होल्डिंग कंपनी की करीब 78 बिलियन से अधिक कर्ज को माफ करने के लिए प्रभावी तरीके से एक ट्रस्ट का गठन किया. इस ट्रस्ट का गठन यह जानते हुए किया गया कि इसके गठन के बाद हिंदुजा परिवार को फायदा होगा.

इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित समाचार के अनुसार, इस नये ट्रस्ट के गठन के बाद शुरुआती दौर में इसकी ट्रस्टियों द्वारा कंपनी के खातों पर हस्ताक्षर करने में संकोच करने पर ट्रस्टी हिंदुजा बंधुआें में प्रकाश हिंदुजा से भविष्य के किसी भी क्षतिपूर्ति निकालने के बाद सहमत हुए थे, जाे उन्हें भविष्य के किसी भी नुकसान से बचाते हैं.

नूनी सलाह के बाद ट्रस्टियों के सामने यह पेश किया गया था कि कर्ज से मुक्ति पाने के लिए अपनाये जा रहे इस रास्ते को कर बचाव योजना के रूप में नहीं माना जायेगा. रिकाॅर्ड यह बताते हैं कि कंपनी की आेर से 30 जून, 2007 से तीन दिसंबर, 2007 के बीच यह कर्ज लिये गये थे.

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