नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) निजी दूरसंचार कपंनियों के खातों का लेखा-परीक्षण कर सकता हैं क्योंकि ये कंपनियां स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल के बदले अपने राजस्व का एक हिस्सा सरकार को देती हैं.
न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और विक्रमजीत सेन की पीठ ने कहा कि कैग इस बात के आकलन के लिए लेखा-परीक्षण कर सकता है कि कंपनियां सरकार को अपनी आय में से उचित हिस्सा दे रही हैं या नहीं. अदालत ने दूरसंचार कपनियों के संगठनों द्वारा दायर विभिन्न याचिकाओं पर यह आदेश दिया.
याचिका दायर करने वालों में एसोसिएशन ऑफ यूनिफाइड टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स ऑफ इंडिया (एयूटीएसपी) और सेल्यूलर आपरेटर्स ऐसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) शामिल हैं. इन याचिकाओं में दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी गई जिसमें इन कंपनियों के खातों के कैग द्वारा लेखा-परीक्षण को हरी झंडी दी गयी थी.
उच्च न्यायालय ने कहा था कि कैग का यह कर्तव्य है कि वह दूरसंचार कपंनियों का लेखा-परीक्षण करे क्योंकि उनकी आय का कुछ हिस्सा भारत के समेकित कोष (कन्सोलिडेटेड फंड ऑफ इंडिया) में जाता है.उच्चतम न्यायालय ने इन याचिकाओं पर 3 फरवरी को केंद्र और कैग से जवाब मांगा था.