जयपुर : राजस्थान विधानसभा के अंदर और बाहर मचे राजनीतिक बवाल के बाद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने विवादित अध्यादेश को सिलेक्ट कमिटी के पास भेज दिया है. विपक्ष ने मामले को लेकर जोरदार हंगामा किया जिसके बाद राजे बैकफुट पर आ गयी. जानकारी के अनुसार राजे ने कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों से इस मसले पर बातचीत के बाद यह निर्णय लिया. इस फैसले का भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने स्वागत किया है. उन्होंने कहा है कि बिल को विधान सभा की सिलेक्ट कमिटी को भेजा जाना एक स्मार्ट मूव है. राजे ने अपने लोकतांत्रिक स्वभाव का परिचय दिया है.
Smart move by Vasundara to send the Bill to Select Committee of the Vidhan Sabha. She has demonstrated her democratic nature
— Subramanian Swamy (@Swamy39) October 24, 2017
विवादित अध्यादेश को सिलेक्ट कमिटी के पास भेजने के बाद राजस्थान विधानसभा में जोरदार हंगामा हुआ जिसके बाद विधान सभा को दोपहर 1 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया. कांग्रेस पार्टी इस अध्यादेश को वापस लेने की मांग कर रही है. यहां उल्लेख कर दें कि राजस्थान हाई कोर्ट में दो जनहित याचिकाएं दायर होने और विधानसभा में मचे हंगामे के बाद सोमवार शाम को वसुंधरा राजे ने चार वरिष्ठ मंत्रियों और भाजपा चीफ अशोक परनामी को ‘विवादित’ और ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ कहे जा रहे आदेश पर चर्चा करने के लिए बुलाया था.
इस आदेश के कारण सरकार को लगातार विपक्ष और पार्टी के अंदर ही आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. भाजपा के दो विधायक भी इसे ‘काला कानून’ बता रहे थे.
विधानसभा में हुआ जमकर हंगामा
राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने विपक्ष के भारी हंगामे के बाद दंड विधियां राजस्थान संशोधन विधेयक को विधानसभा की प्रवर समिति के पास भेजने का प्रस्ताव रखा जिसे ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई. बैठक शुरू होते ही विपक्ष ने किसानों की पूर्ण कर्ज माफी का मुद्दा उठाया और हंगामा शुरू कर दिया. इसी बीच गृहमंत्री कटारिया ने दंड विधियां राजस्थान संशोधन विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजने का प्रस्ताव रखा जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी. कटारिया ने कहा कि प्रवर समिति अपनी रिपोर्ट विधानसभा के अगले सत्र में पेश करेगी. इससे पहले, संसदीय कार्य मंत्री राजेन्द्र राठौड ने विधेयक पर बीती रात मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई एक बैठक की जानकारी देते हुए कहा कि गृहमंत्री इस संबंध में सदन में वक्तव्य देना चाहते हैं. कटारिया ने कहा कि सरकार ने दंड विधियां संशोधन अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही जारी किया है. गृहमंत्री की अपनी पार्टी के वरिष्ठ विधायक घनश्याम तिवाडी से नोंकझोंक भी हुई. विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजे जाने की मंजूरी के बाद सदन में इस मुद्दे को लेकर चल रहा हंगामा रुक गया, लेकिन विपक्ष ने किसानों की कर्ज माफी के मुद्दे पर आसन के समक्ष आकर हंगामा किया. अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दोपहर एक बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी.
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आप भी जाने क्या है अध्यादेश में
राजस्थान सरकार ने एक अध्यादेश जारी किया है जिसके अनुसार दंड प्रक्रिया संहिता व भारतीय दंड संहिता में संशोधन किया है. अध्यादेश के तहत राज्य सरकार की मंजूरी के बिना शिकायत पर जांच के आदेश देने और जिसके खिलाफ मामला लंबित है, उसकी पहचान सार्वजनिक करने पर रोक लगा दी गयी है. अध्यादेश की मानें तो, राज्य सरकार की मंजूरी नहीं मिलने तक जिसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाना है, उसकी फोटो, नाम, एड्रेस और परिवार की जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती है. इसकी अनदेखी करने पर 2 साल की कैद और जुर्माने का प्रावधान किया गया है. 7 सितम्बर को जारी अध्यादेश के अनुसार, सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत अदालत शिकायत पर सीधे जांच का आदेश नहीं दे सकेगी. अदालत, राज्य सरकार से अनुमति मिलने के बाद ही जांच के आदेश दे सकेगी.