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गिरफ्तारी से बचने के लिए हनीप्रीत हाइकोर्ट की शरण में, राम रहीम ने भी सजा सुनाये जाने को दी चुनौती

नयी दिल्ली/चंडीगढ़ : डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को बलात्कार के दो मामलों में दोषी ठहराये जाने के बाद से फरार चल रही हनीप्रीत इंसां ने अंतरिम अग्रिम जमानत की मांग को लेकर सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. यह जानकारी हनीप्रीत के वकील ने दी. वहीं, जेल में […]

नयी दिल्ली/चंडीगढ़ : डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को बलात्कार के दो मामलों में दोषी ठहराये जाने के बाद से फरार चल रही हनीप्रीत इंसां ने अंतरिम अग्रिम जमानत की मांग को लेकर सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. यह जानकारी हनीप्रीत के वकील ने दी. वहीं, जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने दो साध्वियों से बलात्कार के मामले में विशेष सीबीआइ अदालत द्वारा 20 साल की कैद की सजा सुनाये जाने को चुनौती देते हुए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अपील दायर की.

जेल में बंद डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह की दत्तक पुत्री प्रियंका तनेजा उर्फ हनीप्रीत उन 43 लोगों की सूची में शीर्ष पर है जिनकी हरियाणा पुलिस को राम रहीम को बलात्कार के मामलों में दोषी ठहराने जाने के बाद हुई हिंसा की घटनाओं के संबंध में तलाश है. इससे पहले पुलिस ने हनीप्रीत के खिलाफ एक लुकआउट नोटिस जारी किया था. हनीप्रीत के वकील प्रदीप कुमार आर्य ने बताया कि उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की है. आर्य ने बताया कि मामले की जल्दी सुनवाई के लिए मंगलवारको कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल के नेतृत्ववाली पीठ के समक्ष उल्लेखित किया जायेगा.

राम रहीम को पंचकूला की एक विशेष सीबीआइ अदालत ने 25 अगस्त को दोषी ठहराया था. उसके बाद हरियाणा के पंचकूला और सिरसा जिलों में हिंसा और आगजनी हुई थी जिसमें 41 लोग मारे गये थे और कई अन्य घायल हो गये थे. सीबीआइ अदालत ने 28 अगस्त को राम रहीम को 2002 में साध्वियों से बलात्कार करने के लिए 20 वर्ष की सजा सुनायी थी. हनीप्रीत 25 अगस्त को राम रहीम के साथ विशेष सीबीआइ अदालत गयी थी. राम रहीम को दोषी ठहराये जाने के बाद हनीप्रीत उसके साथ उस विशेष हेलीकाॅप्टर में भी साथ गयी थी जो उसे पंचकूला से रोहतक ले गया था.

वहीं, गुरमीत राम रहीम ने दो साध्वियों से बलात्कार के मामले में विशेष सीबीआइ अदालत द्वारा 20 साल की कैद की सजा सुनाये जाने को चुनौती देते हुए सोमवार को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अपील दायर की. बचाव पक्ष के वकील विशाल गर्ग नरवाना ने कहा, हमने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अपील दायर की. इसके माध्यम से हमने सीबीआइ अदालत के आदेश को चुनौती दी है. उन्होंने कहा कि कई आधारों पर सीबीआइ अदालत के फैसले को चुनौती दी गयी है. उन्होंने कहा, एक आधार यह है कि घटना के बाद सीबीआइ द्वारा महिलाओं के बयान दर्ज करने में छह साल की देरी की गयी. उन्होंने कहा कि सीबीआइ ने दावा किया है कि दोनों महिला अनुयायियों का 1999 में यौन उत्पीड़न किया गया और एजेंसी ने 2005 में बयान दर्ज किया. नरवाना ने आरोप लगाया कि सीबीआइ ने पीड़िता के बयान का कुछ हिस्सा छिपा भी लिया.

विवादास्पद बाबा इस समय रोहतक की सुनारिया जेल में है. पंजाब एंव हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को अप्रैल, 2002 में भेजे गये एक गुमनाम पत्र सिरसा में डेरा सच्चा सौदा के मुख्यालय में महिला अनुयायियों के कथित यौन शोषण करने की शिकायत की गयी थी. उच्च न्यायालय ने मई, 2002 में सिरसा जिला एवं सत्र अदालत को इस आरोप की जांच करने का निर्देश दिया जब जिला अदालत ने यौन शोषण की संभावना का संकेत दिया तब सितंबर, 2002 में उच्च न्यायालय ने यह मामला सीबीआइ को सौंप दिया. सीबीआइ ने दिसंबर 2002 में राम रहीम के खिलाफ बलात्कार एवं अपराधिक धौंसपट्टी का मामला दर्ज किया था.

उधर, पंचकूला की एक विशेष सीबीआइ अदालत ने रंजीत सिंह हत्याकांड में फिर से बयान दर्ज कराने की मांग करते हुए राम रहीम सिंह के पूर्व ड्राइवर खट्टा सिंह द्वारा दायर अर्जी सोमवार को खारिज कर दी. खट्टा के वकील नवकिरण सिंह ने कहा, (खट्टा सिंह का) आवेदन यहां की सीबीआइ अदालत ने खारिज कर दिया है. विशेष सीबीआइ अदालत पत्रकार राम चंदर छत्रपति और डेरा के पूर्व प्रबंधक रंजीत सिंह की हत्या के मामलों की सुनवाई कर रही है. दोनों ही मामलों में राम रहीम सिंह मुख्य षडयंत्रकर्ता है. खट्टा सिंह ने हत्याकांड में डेरा प्रमुख के खिलाफ गवाही देने के लिए 16 सितंबर को अर्जी लगायी थी. बचाव पक्ष के वकील ने उसकी अर्जी का जोरदार विरोध किया. खट्टा सिंह ने 2007 में राम रहीम सिंह के खिलाफ बयान दिया था, लेकिन वह 2012 में अपने उस बयान से पलट गया था. उसके वकील ने कहा था कि डेरा के पूर्व प्रबंधक रंजीत सिंह की हत्या के मामले में गवाह उसका मुवक्किल खट्टा सिंह अपने बयान से इसलिए पलट गया क्योंकि वह राम रहीम और उसके गुंडों के दबाव में था. जुलाई, 2002 में डेरा के पूर्व प्रबंधक रंजीत सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी.

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