नयी दिल्ली : रोहिंग्या मुस्लिम मामले पर गुरुवार को दिन भर खबर चली कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा फाइल किया है. जिसमें कहा गया कि रोहिंग्या मुस्लिम भारत में नहीं रह सकते. लेकिन खबर चलने के बाद सरकार ने साफ किया कि इस तरह के कोई भी हलफनामा कोर्ट में सरकार की ओर से दायर नहीं किया गया है.
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने कहा, रोहिंग्या मुस्लिम को भारत में नहीं रहने देने को लेकर कोई भी हलफनामा फाइल नहीं किया गया है. दिनभर आज मीडिया में खबर चली कि रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस म्यांमार भेजने के मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया.
मीडिया में जो खबरें चली उसके अनुसार दाखिल हलफनामे में कोर्ट में सरकार ने कहा था कि रोहिंग्या भारत में नहीं रह सकते हैं. रोहिंग्या देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं. हालांकि केंद्रीय मंत्री के बयान के बाद यह साफ हो गया कि सरकार की ओर से कोई भी हलफनामा दायर नहीं किया गया है.
इधर भारत ने बांग्लादेश में म्यामां से आये रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों के लिये गुरुवार को 53 टन राहत सामग्री भेजी. पड़ोसी बौद्ध बहुल देश म्यामां में जातीय हिंसा के बाद ये रोहिंग्या मुस्लिम बड़ी तादाद में बांग्लादेश आ गये. बांग्लादेश ने बड़ी तादाद में शरणार्थियों के आने से वहां उपजी समस्याओं के बारे में भारत को सूचित किया था, जिसके कुछ दिन बाद भारत की ओर से सहायता की यह पहली खेप पहुंची है.
नयी दिल्ली में बांग्लादेश के उच्चायुक्त सैयद मुआज्जम अली ने पिछले सप्ताह विदेश सचिव एस जयशंकर से मुलाकात कर रोहिंग्याओं के मुद्दे पर विस्तार में चर्चा की थी. नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा गया, बांग्लादेश में बड़ी तादाद में आ रहे शरणार्थियों के चलते उपजे मानवीय संकट के जवाब में भारत सरकार ने बांग्लादेश की सहायता करने का फैसला किया है. इसमें कहा गया कि राहत सामग्री में प्रभावित लोगों के लिये तुरंत आवश्यक सामग्री जैसे कि चावल, दाल, चीनी, नमक, खाद्य तेल, चाय, नूडल्स, बिस्कुट, मच्छरदानी इत्यादि शामिल हैं.
* रोहिंग्या उग्रवादियों ने कहा : वैश्विक आतंकवाद से कोई संबध नहीं
म्यामां में सक्रिय रोहिंग्या उग्रवादियों ने कहा कि वैश्विक आतंकवादी समूहों के साथ उनका किसी तरह का संबंध नहीं है. इससे एक दिन पहले ही अलकायदा ने कहा था कि मुसलमान रोहिंग्या लोगों के मकसद के साथ खड़े हों.
अराकान रोहिंग्या सालवेशन आर्मी (आरसा) ने कहा कि वह रोहिंग्या लोगों की रक्षा करने का प्रयास कर रहा है जो म्यामां में लंबे समय से उत्पीड़न के शिकार हैं. म्यामां में रोहिंग्या लोगों को नागरिकता नहीं मिली हुई है.