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लोकसभा में मजदूरी संहिता विधेयक 2017 पेश, 40 करोड़ श्रमिको को होगा सीधा फायदा

नयी दिल्ली : सरकार ने आज लोकसभा में मजदूरी संहिता विधेयक 2017 पेश किया जिसमें केंद्र को सार्वभौम न्यूनतम मजदूरी तय करने का अधिकार दिया गया है और इससे असंगठित क्षेत्र के 40 करोड़ श्रमिकों को लाभ होने की उम्मीद है. लोकसभा में श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारु दत्तात्रेय ने मजदूरी संहिता विधेयक 2017 पेश […]

नयी दिल्ली : सरकार ने आज लोकसभा में मजदूरी संहिता विधेयक 2017 पेश किया जिसमें केंद्र को सार्वभौम न्यूनतम मजदूरी तय करने का अधिकार दिया गया है और इससे असंगठित क्षेत्र के 40 करोड़ श्रमिकों को लाभ होने की उम्मीद है. लोकसभा में श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारु दत्तात्रेय ने मजदूरी संहिता विधेयक 2017 पेश किया. इसके माध्यम से चार कानूनों – मजदूरी संदाय अधिनियम 1936, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948, बोनस संदाय अधिनियम 1965 और समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 को मिलाकर उसे सरल और सुव्यवस्थित बनाने का प्रस्ताव किया गया है.

दत्तात्रेय ने कहा, ‘इसका मकसद श्रम अधिनियमितियों को सुसंगत, सरल और व्यवस्थित बनाना है. किसी भी स्थिति में श्रमिकों के अधिकारों का हनन नहीं होगा. यह श्रमिकों की मजदूरी के संदर्भ में ऐतिहासिक बदलाव लाने वाला होगा और देश में पहली बार सार्वभौम न्यूनतम मजदूरी लागू होने का मार्ग प्रशस्त होगा.’

मंत्री ने कहा कि उन्होंने विधेयक का मसौदा तैयार करते समय मजदूर संघों के साथ राज्यों के श्रम मंत्रियों और सचिवों के साथ बैठक की थी. दत्तात्रेय ने कहा कि असंगठित क्षेत्र के 40 करोड़ मजदूर सार्वभौम न्यूनतम मजदूरी का लाभ उठा पायेंगे. यह विधेयक व्यापक परिदृश्य में लाया गया है. मजदूरों के शोषण की कोई आशंका नहीं रहेगी. मंत्री ने कहा कि देश में 44 श्रम कानून है और इन्हें चार संहिता के माध्यम से समाहित किया गया है.

आज जो विधेयक पेश किया गया है, वह मजदूरी संहिता से संबंधित है. आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने विधेयक पेश करने का विरोध करते हुए कहा कि विधेयक जल्दबाजी में पेश किया गया है.

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