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गूगल की नौकरी छोड़ समोसा बेच रहा मुंबई का मुनाफ, टर्नओवर 50 लाख के पार

मुंबई : हर आदमी की ख्वाहिश होती है कि वह बड़ी कंपनी में ऊंची तनख्वाह की नौकरी करे. लोगों को अच्छी कंपनी की नौकरी मिल भी जाती है. यदि गूगल जैसी कंपनी में किसी को नौकरी मिल जाये, तो वह एक तरह से निश्चिंत ही हो जाता है. लेकिन, कोई अपनी मां की खातिर गूगल […]

मुंबई : हर आदमी की ख्वाहिश होती है कि वह बड़ी कंपनी में ऊंची तनख्वाह की नौकरी करे. लोगों को अच्छी कंपनी की नौकरी मिल भी जाती है. यदि गूगल जैसी कंपनी में किसी को नौकरी मिल जाये, तो वह एक तरह से निश्चिंत ही हो जाता है. लेकिन, कोई अपनी मां की खातिर गूगल की नौकरी छोड़ कर समोचा बेचने लगे, तो इसे क्या कहेंगे?

निश्चित तौर पर ऐसा करनेवाले को लोग ‘सनकी’ ही बुलायेंगे. लेकिन, एक सनकी ने ऐसा किया और महज दो साल में 50 लाख रुपये का व्यवसाय खड़ा कर दिया. मजे की बात है कि मुनाफ कपाड़िया और उसकी मां नफीसा कपाड़िया के ‘द बोहरी किचन’ में सिर्फ दो दिन ही लोगों को खाने का मौका मिलता है. बड़े-बड़े सितारे मुंबई के इस मां-बेटे के खाने के दीवाने हैं.

‘द बोहरी किचन’ आज यह मुंबई के सबसे लोकप्रिय फूड डेस्टिनेशन में से एक है. संभवतः सबसे महंगा भी. इसकी शुरुअात वर्ष 2015 में हुई थी. तब एक प्लेट की कीमत 700 रुपये थी. मुनाफ और उसकी मां ने ग्राहकों को अपने घर में लजीज व्यंजन का लुत्फ उठाने का मौका दिया. पहले ई-मेल के जरिये लोगों को इस योजना की जानकारी दी गयी.

बाद कपाड़िया परिवार ने फेसबुक पर अपने बिजनेस को प्रोमोट करना शुरू किया. फिर एक पार्टनर भी मिल गया. अब उनका व्यवसाय तेजी से फल-फूल रहा है. सपनों की नगरी मुंबई में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जो अपने घर का खाना मिस करते हैं. ऐसे कुछ गिने-चुने लोगों के लिए ही मुनाफ और उनकी मां यह किचेन चलाती हैं. यही वजह है कि उन्होंने ‘द बोहरी किचन’ का टैगलाइन ‘घर का खाना’ रखा है.

इस किचन को फेमस बनाया एक व्यंजन ने. ‘स्मोक्ड मटन कीमा समोसा’. सीधे शब्दों में कहें, तो ‘मटन समोसा’. सिने जगत के बड़े-बड़े स्टार ‘मटन समोसा’ का आनंद लेने यहां आते हैं. जो नहीं आ पाते, होम डिलीवरी का ऑर्डर करते हैं. बोहरी किचन के ग्राहकों में आशुतोष गोवारिकर, फरहा खान, रानी मुखर्जी और हुमा कुरैशी जैसी हस्तियां शामिल हैं.

यहां बताना प्रासंगिक होगा कि मुंबई के नार्सी मनजी से एमबीए करने के बाद कई साल तक मुनाफ ने देश में ही नौकरी की. बाद में गूगल से बुलावा आया और अमेरिका चले गये. वहां मन नहीं लगा. अपने वतन लौट आये और मां की सलाह पर समोसा बनाने और बेचने का फैसला किया. इसके बाद मां-बेटे ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. उनका व्यापार दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करने लगा.

मुनाफ कहते हैं कि कुछ पाने के लिए सब कुछ झोंक देना होता है. कठोर फैसले लेने होते हैं. उनकी इच्छा है कि उनका ‘द बोहरी किचन’ मुंबई से बाहर निकले. पूरे देश में उनके रेस्तरां खुलें. यहां तक कि देश के बाहर भी ‘बोहरी किचन’ का विस्तार हो. इतने बड़े सपने देखनेवाले मुनाफ को विश्व की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘फोर्ब्स’ ने अपने कवर पर प्रकाशित किया था.

पत्रिका ने मुनाफ की स्टोरी को शीर्षक दिया था ‘30 अंडर 30’. इसमें पत्रिका ने लिखा, ‘यह है भारत की नयी पौध, निर्भय, प्रयोगवादी और त्वरित कार्रवाई करनेवाला. कौन रोक लेगा इन्हें?’ इतना ही नहीं, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय वेब चैनलों और न्यूज चैनलों ने भी मुनाफ पर स्पेशल स्टोरी बनायी है.

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