नयी दिल्ली : सत्तर के दशक में जब भाजपा का पूर्ववर्ती संगठन जनसंघ अपनी पहचान बना ही रहा था और दक्षिण में उसका कोई आधार नहीं था, तब आंध्र प्रदेश का एक युवा पार्टी कार्यकर्ता अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी जैसे दिग्गजों के पोस्टर लगाने में व्यस्त रहता था. ‘जी हां’ वो कोई और नहीं था उसका नाम मुप्पावरापू वेंकैया नायडू था जिसे एनडीए ने उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है.
एक साधारण राजनीतिक कार्यकर्ता के उन दिनों से वेंकैया नायडू ने राजग के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार चुने जाने तक का सफर तय किया है. यही कारण है कि उन्होंने मंगलवार को नामांकन दाखिल करने के बाद पार्टी को मां बताया है. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि युवा काल में ही मेरी मां का निधन हो गया था और तब से पार्टी ने मां की तरह मुझे संभाला….उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी मिलना मेरे लिए गर्व की बात है.
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उपराष्ट्रपति पद पर नायडू का काबिज होना तय माना जा रहा है. आंध्र प्रदेश के नेल्लूर जिले के एक सीधे-सादे कृषक परिवार से ताल्लुक रखने वाले भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नायडू को उनकी वाक् क्षमता के लिए जाना जाता है. आंध्र प्रदेश विधानसभा में दो बार सदस्य रह चुके नायडू कभी लोकसभा के सदस्य नहीं रहे. हालांकि वह तीन बार कर्नाटक से राज्यसभा में पहुंच चुके हैं और फिलहाल उच्च सदन में ही राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को नायडू को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुने जाने के बाद उनके लिए तेलुगू के शब्द ‘गारु ‘ का इस्तेमाल किया जो किसी को सम्मान देने के लिए बोला जाता है. एक समय आडवाणी के करीबी रहे नायडू ने 2014 के आम चुनावों से पहले प्रधानमंत्री पद के लिए मोदी का जोरदार समर्थन किया. उम्मीदवार चुने जानें के पूर्व नायडू सूचना प्रसारण और शहरी विकास मंत्रालयों का कामकाज संभाल रहे थे. वह मोदी सरकार में संसदीय कार्य मंत्री भी रह चुके हैं.
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अटल बिहारी वाजपेयी के समय राजग की पहली सरकार में 68 वर्षीय नायडू ग्रामीण विकास मंत्री रहे. वह जुलाई 2002 से अक्तूबर 2004 तक लगातार दो कार्यकाल में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. 2004 के लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार के बाद उन्होंने पद छोड़ दिया. आपातकाल के समय नायडू एबीवीपी के कार्यकर्ता रहे और जेल में भी रहे. मोदी सरकार में संसदीय कार्य मंत्री के नाते उन्होंने संसद में सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध की स्थिति में सोनिया गांधी समेत विपक्ष के नेताओं से संपर्क साधकर गतिरोध को दूर करने का प्रयास किया.
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अपने भाषण और वक्तव्यों में तुकांत शब्द बोलने के कारण भी उन्हें अच्छा वक्ता माना जाता है.