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#नौकरी_चाहिए_भाषण_नहींः रोजगार में गिरावट को लेकर ट्विटर पर मोदी सरकार के खिलाफ आक्रामक हुए लोग

नयी दिल्लीः रोजगार में आयी गिरावट हो लेकर शुक्रवार को माइक्रो ब्लाॅगिंग साइट ट्विटर पर अचानक लोग मोदी सरकार के खिलाफ आक्रामक हो गये. देश में रोजगार क्षेत्र में आयी गिरावट की रिपोर्ट सामने आने के बाद ट्विटर पर लोगों ने ‘#नौकरी_चाहिए_भाषण_नहीं’ के नाम से ट्रेंड ही चला दिया, जिसमें दो दर्जन से भी अधिक […]

नयी दिल्लीः रोजगार में आयी गिरावट हो लेकर शुक्रवार को माइक्रो ब्लाॅगिंग साइट ट्विटर पर अचानक लोग मोदी सरकार के खिलाफ आक्रामक हो गये. देश में रोजगार क्षेत्र में आयी गिरावट की रिपोर्ट सामने आने के बाद ट्विटर पर लोगों ने ‘#नौकरी_चाहिए_भाषण_नहीं’ के नाम से ट्रेंड ही चला दिया, जिसमें दो दर्जन से भी अधिक लोगों ने केंद्र में सत्तासीन मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ रोष दिखाया. ट्विटर पर भारत में नौजवानों को दिये जाने वाले रोजगार में आयी गिरावट के बाद लोगों ने देसी-विदेशी मीडिया में प्रकाशित लेखों को शेयर कर मोदी सरकार पर जमकर अपना भड़ास निकाला.

https://twitter.com/MMSthoughts/status/875580215631634432

ट्विटर पर मनमोहन शुक्ला ने अपने ट्विटर एकाउंट से profit.ndtअ, timesofindia, hindustantimes.com, thehindubusinessline.com, firstpost.com आैर deccanchronicle.com आदि वेबसाइटों पर रोजगार में आयी गिरावट से जुड़ी प्रकाशित रिपोर्ट को शेयर करते हुए मोदी सरकार पर हमले किये हैं. इसके अलावा, राॅफल रिपब्लिक, एनएमएफएआे, इरशाद अली, राकेश के आदि ने भी अनेक मीडिया वेबसाइटों पर प्रकाशित खबरों को शेयर कर मोदी सरकार पर निशाना साधा. वहीं, कुछ लोगों ने 23 मर्इ, 2017 को बीबीसी की आेर से प्रकाशित खबरों का हवाला देकर भी मोदी सरकार को निशाने में लिया है.

अभी हाल ही के दिनों में सरकार की आेर से पेश किये गये आंकड़ों में यह बताया गया है कि रोजगार के मामले में बीते 10 सालों के दौरान काफी गिरावट दर्ज की गयी है. आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2009-2010 में जहां 8 लाख 70 हजार नये लोगों को रोजगार दिया गया था, वहीं 2016 के दौरान भारत में केवल 1 लाख 35 हजार ही रोजगार के अवसर पैदा किये गये. कहा यह जा रहा है कि वर्ष 2010 के दौरान देश में जितनी नयी नौकरियां मिल रही थीं, आज उसका सातवां हिस्सा ही उपलब्ध है.

इस खबर को भी पढ़ेंः आइटी में छंटनी ला सकती है पूरा जॉबलेस विकास का दौर

भारत में 60 प्रतिशत आबादी नौजवानों की है, जो किसी भी देश के नौजवानों की आबादी से कहीं ज़्यादा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा कहते रहे हैं कि ये युवा आबादी भारत की सबसे बड़ी शक्ति है. इसी साल ‘ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट’ यानी ‘ओईसीडी’ के एक सर्वेक्षण के अनुसार, 15 साल से 29 साल के युवकों में 30 प्रतिशत ऐसे हैं, जिनके पास कोई रोजगार नहीं है और ना ही उनको किसी तरह की ट्रेनिंग ही दी गयी है, ताकि उन्हें रोज़गार मिल सके.

2016 में ‘इंडिया स्पेंड’ ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसके मुताबिक़ पिछले 30 सालों में भारत में सिर्फ 70 लाख नए रोजगार ही आये, जबकि जरूरत ढाई करोड़ नयी नौकरियों की थी. अर्थशास्त्री और श्रमिक संगठन आर्इटी क्षेत्र की नौकरियों में छंटनी से चिंतित हैं, क्योंकि सिर्फ आईटी क्षेत्र की जो 5-6 कंपनियां हैं, उन्होंने पिछले कुछ महीनों में 56 हजार कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है. आईटी क्षेत्र के व्यापार समूह ‘नैसकॉम’ का कहना है कि विपरीत परिस्थितियों के बावजूद एक आईटी क्षेत्र ऐसा है, जहां सबसे ज़्यादा रोज़गार का सृजन हो रहा है. ‘नैसकॉम’ के अध्यक्ष आर चंद्रशेखर के अनुसार, केवल वर्ष 2016-17 में इस क्षेत्र ने 1.7 लाख नई नौकरियां दी हैं.

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