गर्भावस्था के शुरुआती महीने में मितली लगना या उलटी होना सामान्य बात है. 70-80% महिलाओं में ऐसे लक्षण दिख सकते हैं, मगर एक से दो प्रतिशत महिलाओं में यह परेशानी काफी अधिक हो सकती है. इस समस्या के कारण पानी और अन्न का एक दाना भी नहीं पचता है.
इस कारण शरीर में जल व अन्य रसायनों की कमी हो सकती है. एसिड-बेस इम्बैलेंस भी हो सकता है. कभी-कभी स्थिति गंभीर होने के कारण भी मृत्यु भी हो सकती है. जब लगातार उलटी के कारण खून में कीटोन की मात्रा बढ़ जाये व पांच प्रतिशत वजन में गिरावट आये, तो उस स्थिति को हाइपर एमेसिस ग्राइडेनम कहते हैं. ऐसे में कुछ अन्य लक्षण भी हो सकते हैं. जैसे-भूख न लगना, घबराहट महसूस करना, चिड़चिड़ापन, मुंह में लार का अधिक बनना, कमजोरी और चक्कर आने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं. ऐसे में ब्लड ग्लूकोज में कमी, मुंह सूखने, पेशाब में कमी आने की भी शिकायत हो सकती है.
जांच व उपचार
इन लक्षणों के दिखाई देने पर कुछ विशेष जांच की जरूरत होती है. जांच में पेशाब में कीटोन मिल सकता है. रक्त में सोडियम और पोटैशियम की कमी होती है. लिवर में एंजाइम बढ़ जाता है. इसके अलावा यूरिन कल्चर, थायरॉयड टेस्ट एवं अल्ट्रासाउंड भी किया जाता है.
यह समस्या जुड़वा बच्चों के होने या मोलर प्रेग्नेंसी की अवस्था में अधिक होती है. इस अवस्था में थायरॉक्सिन हॉर्मोन की मात्रा बढ़ने से भी ये लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं. हालांिक इन समस्याओं के होने का मूल कारण एचसीजी हॉर्मोन में बढ़ोत्तरी को माना गया है. यह समस्या सामान्य रूप से 12-14 हफ्ते की प्रेग्नेंसी के बाद ठीक हो जाती है. इस रोग से ग्रसित कुछ महिलाएं काफी बीमार हो जाती हैं और उन्हें हॉस्पिटल में भी भरती होना पड़ सकता है.
उपचार : यदि इस समस्या के कारण डीहाइड्रेशन या अन्य िकसी प्रकार की परेशानी हुई हो, तो सबसे पहले शरीर में इलेक्ट्रोलाइट के लेवल में सुधार किया जाता है. इससे सेहत में काफी हद तक सुधार होता है.
उलटी को रोकने के लिए कुछ दवाएं भी दी जाती हैं. अदरक के सेवन से भी काफी फायदा देखा जाता है. ऐसे केस में एक्यूप्रेशर भी काफी प्रभावी है. यदि इनमें से कोई भी उपचार अपनाने पर मरीज की हालत में सुधार न हो, तो गर्भपात कराने तक की नौबत आ सकती है.
क्या होती हैं जटिलताएं
कभी-कभी अधिक उलटी होने के कारण कुछ गंभीर समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है-
इसके कारण खाने की नली फट सकती है और मुुंह से खून भी आ सकता है. फेफड़े में रुकावट भी हो सकती है. ब्रेन में विटामिन बी1 की कमी से भी दुष्प्रभाव पड़ सकता है. इससे अंधेपन और बेहोशी जैसी समस्याएं हो सकती हैं. लिवर में सूजन भी हो सकती है. गिरगी के दौरे आना, बेहोशी या मृत्यु भी होने का खतरा होता है.
किडनी में भी खराबी आ सकती है. पैर की नसों में खून भी जम सकता है. हालांकि उलटी कई अन्य कारणों से भी हो सकती है, जैसे-पथरी, एपेंडिक्स में सूजन, गैस्ट्राइटिस और पेशाब में संक्रमण इसके प्रमुख कारण हैं.
यह समस्या आंतों में सूजन के कारण भी हो सकती है. अत: इन बीमारियों से संबंधित जांच भी जरूरी है. ऐसे में महिलाओं को अधिक देर तक भूखे नहीं रहना चाहिए. चिकनाहट युक्त भोजन से भी बचना चाहिए.