डॉ प्रीति राय
स्त्री रोग विशेषज्ञ इनसाइट केयर क्लिनिक बूटी मोड़, रांची
एक दंपति इलाज कराने आये. पत्नी की उम्र 28 वर्ष और पति की उम्र 32 साल थी. शादी के पांच साल बाद भी वे नि:संतान थे. महिला को अनियमित मासिक की भी शिकायत थी. मैंने उन्हें कुछ जरूरी जांच कराने की सलाह दी. जांच में पति के शुक्राणु नॉर्मल थे.
पत्नी की जांच भी करायी गयी. टीसी, डीसी, इएसआर, थायरॉयड लेवल, एचएसजी और अल्ट्रासाउंड कराया गया. महिला को किसी भी प्रकार की कोई हॉर्मोनल समस्या नहीं थी. गर्भाशय भी ठीक था. एक्स-रे करने पर पता चला कि दोनों ट्यूब्स में भी कोई समस्या नहीं थी. हालांकि अल्ट्रासाउंड से पता चला कि उसमें अंडे नहीं बन रहे हैं.
उसका एएमएच लेवल टेस्ट कराया गया, जो आपेक्षित से कम था. उस महिला को अंडे बनने की दवा दी गयी तथा आइयूआइ प्रोसिड्योर से पति के शुक्राणु को अंडाणु से फर्टीलाइज कराके महिला के गर्भ में डाला गया. पहली बार आइयूआइ में गर्भ नहीं ठहरा. अत: दूसरी बार कोशिश की गयी. इस बार का प्रयास सफल हो गया और महिला में गर्भ ठहर गया. अभी वह तीन महीने से गर्भवती है. अल्ट्रासाउंड में देखा गया है कि शिशु नॉर्मल है.
क्या है आइयूआइ
इंट्रायूटेराइन इन्सेमिनेशन या आइयूआइ एक प्रक्रिया है, जिसमें तेज गतिवाले शुक्राणुओं को मृत शुक्राणुओं से अलग किया जाता है और उसे फर्टिलाइज कराके स्त्री के गर्भाशय में डाला जाता है, ताकि गर्भ ठहर सके.
कब पड़ती है जरूरत
– यदि स्पर्म किसी अन्य डोनर से लिया गया हो.
– यदि दिव्यांगता या किसी अन्य समस्या के कारण संबंध बनाने में अक्षम हों.
– यदि पुरुष को कोई यौन संक्रामक रोग हो, जिसके महिला में भी होने की आशंका हो, तब इसका सहारा लिया जाता है.