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एक छोटी-सी कोशिश ने दी बिजनेस वुमेन की पहचान, पढ़ें प्रीति की कहानी

कहते हैं अगर आप में कोई काबिलियत है, तो दुनिया की कोई भी बाधा या मुश्किल उसे सामने आने से नहीं रोक सकती. प्रीति अरोड़ा की एक छोटी-सी शुरुआत ने आज उन्हें पहचान दे दी है. मूल रूप से पटना सिटी की रहनेवाली प्रीति अरोड़ा ने दसवीं भी पास नहीं की थी और 16 वर्ष […]

कहते हैं अगर आप में कोई काबिलियत है, तो दुनिया की कोई भी बाधा या मुश्किल उसे सामने आने से नहीं रोक सकती. प्रीति अरोड़ा की एक छोटी-सी शुरुआत ने आज उन्हें पहचान दे दी है.

मूल रूप से पटना सिटी की रहनेवाली प्रीति अरोड़ा ने दसवीं भी पास नहीं की थी और 16 वर्ष की उम्र में ही उनकी शादी हो गयी. प्रीति का ससुराल तो दिल्ली में है, लेकिन पति के कंशट्रक्शन का बिजनेस पटना में है. सो करीब 30-32 वर्षों तक पटना के बोरिंग रोड इलाके में रहना हुआ और इस दौरान अपने घर-परिवार और बच्चों की देखभाल आदि में ही व्यस्त रहीं.

गृहप्रवेश से खुला ‘लक्ष्मी’ के आगमन का मार्ग
करीब डेढ़ वर्ष पूर्व पति के बिजनेस की वजह से प्रीति सपरिवार जयपुर शिफ्ट कर गयीं. वहां अपने घर के गृहप्रवेश में आनेवाले सभी मेहमानों को रिटर्न गिफ्ट के तौर पर उन्होंने अपने हाथ से बनाये कैंड्ल्स दिये. उनमें से कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी शेयर कीं, जो कि लोगों को बेहद पसंद आये. कुछ समय बाद उनके एक रिश्तेदार ने उन्हें कुछ और कैंडल्स बनाने के लिए कहा. उसके बाद एक दोस्त से भी उन्हें कैंडल्स का ऑर्डर मिला. बस फिर क्या ! यह सिलसिला चल पड़ा. कभी व्हाट्सएप्प, तो कभी फेसबुक और कभी व्यक्तिगत जान-पहचान के जरिये प्रीति को ऑर्डर मिलते गये. धीरे-धीरे उनकी पहचान एक बिजनेस वुमेन के तौर पर बनती गयीं.

बचपन से ही हैं क्रिएटिव माइंड
प्रीति का क्रिएटिव माइंड हमेशा से ही काफी एक्टिव था. बचपन से ही वह घर की टूटी-फूटी और बेकार पड़ी चीजों को जोड़-तोड़ कर तरह-तरह के सजावटी सामान बनाती रहती थीं. वह कहती हैं- ”जब हमलोग जयपुर शिफ्ट हुए, उस समय तक मेरे बच्चे बड़े हो चुके थे. बेटी फिलहाल कोलकाता में जॉब कर रही है और बेटा बिजनेस में पिता का हाथ बंटा रहा है. घर-परिवार का काम बहू ने संभाल रखा है. ऐसे में मेरे पास काफी खाली समय बच जाता है. इसी वजह से मुझे अपनी हॉबी को रोजगार के रूप में विकसित करने का आइडिया आया. वो कहते हैं न कि ”जब जागो, तभी सवेरा.”

पांच सौ रुपये से शुरू किया था काम
प्रीति द्वारा बनाये गये डेकोरेटिव आइटम्स में दीयों की एक-से-एक वेरायटी हैं. इसके अलावा वह बंदनवार, फ्लोरल रंगोली, फ्लोरल ज्वेलरी, हैंगिग आर्टपीस आदि कई तरह के खूबसूरत आइटम्स बनाती हैं. उनकी मानें, तो वह सारे आइटम्स अकेले ही बनाती हैं और इसके लिए वह खुद दिल्ली, कोलकाता तथा जयपुर जाकर कच्चा माल खरीदती हैं. प्रीति ने मात्र पांच सौ रुपये में अपने इस बिजनेस को शुरू किया था. आज डेढ़ वर्षों में उनकी सालाना कमाई 50 हजार रुपये तक पहुंच गयी है. अब तक जयपुर के कई जगहों में अपना स्टॉल लगा चुकी हैं. इस साल पटना के उद्यमिता विकास संस्थान की ओर से आयोजित महिला उद्यमी मेले में पहली बार भागीदारी का मौका मिला. वह हर राज्य में अपने उत्पादों के स्टॉल लगाना चाहती हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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