प्रो (डॉ) राजीव वर्मा
डीएचएमएस, त्रिवेणी होमियो क्लिनिक, पटना
मो : 9334253989
करीब दो वर्ष पहले मेरे क्लिनिक में 65 वर्षीय एक व्यक्ति आये. वे तीन वर्षों से एनलार्ज प्रोस्टेट नामक रोग से ग्रसित थे. शुरू में इसके लिए एलोपैथी की दवा ली. कुछ दिनों तक दवा लेने के उपरांत रोग ठीक नहीं हुआ, तो एलोपैथ चिकित्सक ने सर्जरी कराने की सलाह दी, तब उन्हें किसी ने सलाह दी कि आप कुछ दिनों तक होमियोपैथिक इलाज कराकर देखें, क्योंकि कुछ सर्जरी के रोगों में होमियोपैथिक दवा कारगर साबित होती है. तब उनके परिवार के सदस्य उन्हें मेरे क्लिनिक पर लेकर आये. मैंने सबसे पहले उनके केस के बारे में पूरी जानकारी ली. रोगी ने बताया कि वे सरकारी ऑफिस में क्लर्क के पद से रिटायर हुए हैं. रिटायरमेंट के बाद से वे इस रोग से ग्रसित हैं.
उन्हें पेशाब करने के बाद अंत में बूंद-बूंद करके निकलता रहता है, पेशाब बार-बार लगता रहता है, रात में सोते समय तीन-चार बार पेशाब लगता है. पेशाब करते समय दर्द भी कभी-कभी होता है. पेशाब की धार में कमी आ गयी है. कभी-कभी पेशाब करने पर जोर अधिक लगाना पड़ता है. मैंने रोगी को सर्वप्रथम सबल सेरूलाता (sabal serrulata) और हाइड्रेंजिया (hydrangea) की मदर टिंचर शक्ति में 10-10 बूंद रोजाना सुबह, दोपहर और रात को आधा कप पानी के साथ लेने के लिए दिया. इसके साथ ही थूजा एक एम शक्ति की दवा चार बूंद 15 दिनों के अंतराल पर लेने कहा तथा चिमाफिला (chimaphila) 30 शक्ति एवं कोनियम मैकुलैटम 30 शक्ति में चार-चार बूंद रोजाना सुबह और रात को लेने को कहा. साथ में कैल्केरिया फ्लोरिका (calcarea fluorica) 12x शक्ति की दवा में चार-चार गोली रोजाना सुबह, दोपहर और रात को लेने को कहा तथा रोगी को छह सप्ताह बाद आने को कहा.
रोगी ने वैसा ही किया. छह सप्ताह तक दवा लेने के बाद जब वे मेरे पास आये, तो उन्होंने बताया कि अब उन्हें काफी आराम है. मैंने रोगी को कहा इसी दवा को तीन माह तक लेने और फिर मिलने को कहा. तीन माह बाद जब रोगी आये, तो उन्होंने कहा कि अब वे बिल्कुल ठीक हैं. मैंने उनको दवा देना बंद कर दिया और कहा कि आपको कभी भी किसी प्रकार कोई तकलीफ हो तो ही मेरे पास आएं.
एनलार्ज प्रोस्टेट : पुरुषों में उम्र बढ़ने के साथ कई तरह की बीमारियां परेशान करती हैं. अधिकतर रोग 50-55 की उम्र के बाद ही लोगों को परेशान करते हैं. ऐसी ही एक बीमारी है प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना. इस ग्रंथि के बढ़ने से परे यूरेथ्रा (Urethra) पर दबाव पड़ता है, जिससे बार-बार पेशाब जाना, सोते वक्त पेशाब का लीक होना, पेशाब की धार में कमी आना जैसे लक्षण दिखते हैं, जोकि प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने का संकेत देता है. एनलार्ज प्रोस्टेट को बिनाइन प्रोस्टेट हाइपरप्लेसिया (बीपीएच) भी कहते हैं. वैसे पुरुष जिनकी आयु 50 वर्ष या उससे अधिक है, उन्हें बिनाइन प्रोस्टेट हाइपरप्लेसिया होने का खतरा अधिक होता है. अंडकोष में बनने वाला हाॅर्मोन टेस्टोस्टेराॅन बीपीएच के विकसित होने में मदद करता है. 40 वर्ष की आयु तक इस रोग के होने की आशंका बहुत कम होती है. यह रोग आनुवंशिक है. यदि परिवार में पहले किसी को यह रोग हुआ है, तो आपको भी अपनी नियमित जांच कराते रहनी चाहिए. ऐसे तो यह रोग हृदय रोगियों में अधिक होने का खतरा होता है, पर जिन लोगों में मोटापा, हाई बीपी, डायबिटीज, पेरिफेरल आर्टरी डिजीज अनियमित जीवन शैली, शारीरिक सक्रियता में कमी, धूम्रपान, असंतुलित खान-पान आदि के लक्षण हैं, में इस तरह का खतरा अधिक होता है.