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बाइक कारखानों में महिलाएं भी पुरुषों के साथ कर रही हैं काम
नयी दिल्ली : हीरो मोटोकोर्प, बजाज ऑटो और यामाह के कारखानों में इन दिनों बदलाव की बयार बह रही है. वहां दोपहिया वाहनों के विनिर्माण कार्य में पुरुषों का काम माने जाने वाली जगहों पर अब महिलाकर्मी भी काम कर रही हैं. महिला सशक्तिकरण के आह्वान पर दोपहिया कंपनियां महिलाओं को भी विनिर्माण के काम […]
नयी दिल्ली : हीरो मोटोकोर्प, बजाज ऑटो और यामाह के कारखानों में इन दिनों बदलाव की बयार बह रही है. वहां दोपहिया वाहनों के विनिर्माण कार्य में पुरुषों का काम माने जाने वाली जगहों पर अब महिलाकर्मी भी काम कर रही हैं. महिला सशक्तिकरण के आह्वान पर दोपहिया कंपनियां महिलाओं को भी विनिर्माण के काम में जगह देने लगी हैं.
ये कंपनियां ऐसा माहौल तैयार कर रही हैं जहां महिलाएं कारोबार वृद्धि में योगदान दे सकें. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन कंपनियों ने पाया कि महिलाएं विनिर्माण के काम में न केवल पुरुषों के समतुल्य हैं बल्कि उनकी उपस्थिति से काम का माहौल भी सुधर जाता है. वर्ष 2012 में यामहा मोटर इंडिया ने स्कूटरों की एसेंबली लाइन चलाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के समन्वय से पिंक एसेंबली लाइन पहल का प्रयोग किया. इसी तरह, हीरो मोटो कोर्प ने महिलाओं को अपने विनिर्माण परिचालन में लाने के लिए परियोजना तेजस्वनी शुरू की है. बजाज ऑटो का चकन (महाराष्ट्र में) एसेंबली संयंत्र है.
वहां सभी महिला कर्मचारी हैं तथा वे डोमिनार 400 और पल्सर आर एस 200 जैसी महंगी मोटरसाइकिलें बनती हैं. महिलाओं के पुरुषों के साथ काम के इस पहल को सकारात्मक नजरीये से देखा जा रहा है.
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