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Prabhat Khabar Special: विलुप्त होती कला को बचाने के साथ-साथ लोगों को आत्मनिर्भर बना रही हैं सुमति

सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राज्यों की सूची में शुमार बिहार के लोगों को दूसरे राज्यों में लोग एक अलग नजरिये से देखते हैं. ऐसी स्थिति में कुछ लोग अपनी पहचान छुपा लेते हैं, तो कुछ अपनी खास पहचान बना लेते हैं. बिहार की सुमति जालान, जो पारंपरिक कला को बचाने के लिए ‘बिहार्ट’ नाम से अपना उद्यम चला रही हैं.

सौम्या ज्योत्सना

पढ़ाई के सिलसिले में ज्यादातर समय पटना से बाहर रहीं 43 वर्षीया सुमति जालान ने हमेशा महसूस किया कि दूसरे राज्यों में बिहारियों को एक अलग ही नजरिये से देखा जाता है और उनका काफी मखौल उड़ाया जाता है. जब वह लोगों को बताती थीं कि वह भी बिहार से हैं, तो लोग उन्हें कहते थे कि आप बिहारी बिल्कुल भी नहीं लगती हैं. इस दौरान वह कई ऐसे लोगों से भी मिलीं, जो खुद को बिहारी कहलाने से भी हिचकिचाते थे. यह देख उन्हें काफी बुरा लगता था. उसके बाद सुमति जलान ने तय कर लिया कि वह कुछ ऐसा जरूर करेंगी, जिससे हर बिहारी को उनकी संस्कृति और इतिहास पर गर्व हो सके.

बिहार लौटने पर सुमति जलान ने अपने सपने को साकार करने के लिए तैयारी शुरू कर दी. आज वह ‘बिहार्ट’नाम का एक स्टार्टअप चला रही हैं. यही नहीं, इसके जरिये वह बिहार की सुजनी, मंजूषा जैसी पारंपरिक कला के साथ-साथ चिंगारी, फिशनेट और झरना जैसी बुनाई को संवारने की दिशा में काम कर रही हैं.

सुमति कहती हैं, ‘‘लोग मधुबनी पेंटिंग को छोड़कर बिहार के बारे में कुछ नहीं जानते थे. मेरे परिवार में शुरू से ही कला के प्रति हमेशा से ही गहरी दिलचस्पी रही है. यही कारण था कि मैंने भी इस समृद्ध कला को अपना काम बनाया. साल 2018 में पटना आकर मैंने कॉर्पोरेट सेक्टर में नौकरी करने के साथ-साथ तीन बुनकरों की मदद से छोटे स्तर पर  ‘बिहार्ट’स्टोर की शुरुआत की.’’

बिहार की कला को दिलायी देशभर में पहचान

सुमति कहती हैं, ‘‘मैं चाहती थी कि इन कलाओं को एक मॉडर्न रूप देकर आम लोगों से जोड़ा जाये.  लिहाजा, अपने ब्रांड के लिए मैं विशेष रूप से बुनकरों से कपड़ा बुनवातीं और उस पर स्थानीय कलाकारों से सुजनी और ऐप्लिक आर्ट करवाती थी. उन्होंने इस तरह कुर्ता, कुशन कवर जैसी चीजें बनाना शुरू किया. अपने बिजनेस को देशभर में पहुंचाने के लिए मैंने सोशल मीडिया की भी मदद ली. ’’

25 कारीगरों और तीन बुनकरों को दे रही हैं रोजगार  

सुमति बताती हैं, ‘‘सोशल मीडिया पर ‘बिहार्ट’ के बारे में पढ़ने के बाद कई लोग मेरे स्टोर पर आने लगे और धीरे-धीरे मेरे ब्रांड को सोशल मीडिया के जरिये पहचान मिलने लगी. उसके बाद मेरे पास वोग जैसी बड़ी फैशन मैगजीन से फोन आया. फिर मुंबई से एक-दो फैशन ब्लॉगर्स ने भी ‘बिहार्ट’के बारे में समझने के लिए मुझे कॉल किया. इस तरह ‘बिहार्ट’ के कपड़ों के देशभर से ऑर्डर भी मिलने लगे. ’’वे कहती हैं कि मैंने अपने ब्रांड को पूरी तरह से नेचुरल फ्रेंडली बनाया है. मैं धागे के चुनाव से लेकर वेस्ट तक, सबका बखूबी ख्याल रखती हूं. इस तरह आज यह जीरो वेस्ट ब्रांड 25 कारीगरों और तीन बुनकरों को रोजगार दे रहा है. साथ ही मैंने अपनी वेबसाइट भी बनवा रखी है, जहां मधुबनी पेंटिंग, पुरुषों एवं महिलाओं के परिधान, बैग, गुड़िया आदि के शानदार कलेक्शन मौजूद है.

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