National Yuva Diwas Ki Shubhkamnaye, Wishes, Images, Quotes, Messages, Swami Vivekanand Jayanti, Thoughts, Slogan, Speech, National Youth Day, 12 January 2021: कहा जाता है कि किसी देश के युवा ही उसके ढाल होते है. ऐसे में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी स्वामी विवेकानंद जी की जयंती के अवसर पर 12 जनवरी 2021 को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जा रहा है. युवाओं के प्रेरणाश्रोत कहे जाने वाले विवेकानंद जी के कई ऐसे विचार है जिसे आज भी युवा फॉलो करते हैं और अपने जीवन में लागू करते हैं. आज देशभर में विभिन्न हिस्सों में कई तरह के प्रोग्राम, नुक्कड़, सभाएं, स्कूलों-कॉलेजों में भाषण, स्पीच आदि प्रतियोगिताएं होंगी. इसका एकमात्र उद्देश्य है देश के युवाओं में सकारात्मक सोच का उजागर करना. ऐसे में आइये अपनों को भी यहां से भेजें राष्ट्रीय युवा दिवस 2021 (Rashtriya Yuva Diwas 2021) की ढेर सारी शुभकामनाएं...
मनुष्य की सोच उसके चरित्र का निर्माण करती है. अगर ईसा मसीह की तरह सोचोगे और तुम ईसा बन जाओगे. बुद्ध की तरह सोचोगे और तुम बुद्ध बन जाओगे. ईश्वर तक पहुंचने के लिए हमें बाह्य माध्यमों पर निर्भर नहीं होना है. सब कुछ हमारे अंदर ही विद्यमान है.
खड़े हो जाओ,
हिम्मतवान बनो,
ताकतवर बन जाओ,
सब जवाबदारिया अपने सिर पर ओढ़ लो,
और समझो की अपने नसीब के रचियता आप खुद हो
हमारे बाहर की दुनिया वैसी ही है, जैसा हम अंदर से सोचते हैं. हमारे विचार ही चीजों को सुंदर और बदसूरत बनाते है़ं हमारे अंदर पूरा संसार समाया है. बस, हमें चीजों को सही रोशनी में रखकर देखने की जरूरत है.
स्वामी विवेकानंद का कहना है कि मनुष्य की सोच उसके चरित्र का निर्माण करती है. अगर ईसा मसीह की तरह सोचोगे और तुम ईसा बन जाओगे. बुद्ध की तरह सोचोगे और तुम बुद्ध बन जाओगे. ईश्वर तक पहुंचने के लिए हमें बाह्य माध्यमों पर निर्भर नहीं होना है. सब कुछ हमारे अंदर ही विद्यमान है.
प्रेम सर्वत्र व्याप्त है. प्रेम फैलाव है और स्वार्थ सिकुड़न की दशा है. अत: दुनिया का बस एक ही नियम होना चाहिए, प्रेम, प्रेम, प्रेम...! जो प्रेम में रमा है, सही मायने में वही जीता है. जो स्वार्थ में लिप्त है, वह मर रहा है. इसलिए प्रेम प्राप्त करने के लिए प्रेम करो. यही जिंदगी का नियम है.
दुनिया की हर चीज बहुत अच्छी, पवित्र और सुंदर है. अगर आपको कुछ बुरा दिखायी देता है, तो इसका मतलब यह नहीं कि वो बुरा है. संभव है कि आपने उसे सही रोशनी में नहीं देखा हो.
किसी अन्य व्यक्ति को दोष देना गलत है. अगर तुम स्वयं अपने हाथ आगे बढ़ा कर किसी की मदद कर सकते हो तो जरूर करो, अगर नहीं कर सकते हो तो अपने हाथ बांध कर खड़े रहो.
अपने वालों को शुभकामनाएं दो और उन्हें उनके रास्ते जाने दो. आप किसी को अनावश्यक दोष नहीं दे सकते और आप दोष देने के अधिकारी भी नहीं हैं.
हमें यह कतई नहीं सोचना चाहिए कि हमारे लिये, हमारी आत्मा के लिए कुछ भी नामुमकिन है. यह सोच ही सबसे ज्यादा हमें दुख देती है. अगर कोई पाप है, तो वो सिर्फ और सिर्फ अपने आपको या दूसरों को कमजोर मानना है.
सच का महत्व सबसे अधिक होना चाहिए. सच्चाई के लिए कुछ भी छोड़ देना चाहिए, पर किसी के लिए भी सच्चाई नहीं छोड़नी चाहिए
यदि स्वयं में विश्वास करना और
अधिक विस्तार से पढाया और
अभ्यास कराया गया होता,
तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और
दुःख का एक बहुत बड़ा हिस्सा
गायब हो गया होता
एक समय में एक काम करो,
और ऐसा करते समय
अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और
बाकी सब कुछ भूल जाओ
प्रेम सर्वत्र व्याप्त है. प्रेम फैलाव है और स्वार्थ सिकुड़न की दशा है.
अत: दुनिया का बस एक ही नियम होना चाहिए, प्रेम, प्रेम, प्रेम...!
जो प्रेम में रमा है, सही मायने में वही जीता है.
जो स्वार्थ में लिप्त है, वह मर रहा है.
इसलिए प्रेम प्राप्त करने के लिए प्रेम करो.
यही जिंदगी का नियम है.
शारीरिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक रूप से
जो कुछ भी कमजोर बनता है,
उसे ज़हर की तरह त्याग दो.
अनुभव हमारे पास एकमात्र शिक्षक है
हम अपने सभी जीवन के बारे में बात और
तर्क कर सकते हैं,
लेकिन हम सत्य के एक शब्द को नहीं समझेंगे
युवा बनाने में मानवता है
अगर कुछ काम करता है,
तो आप जितना अधिक ध्यान देंगे,
उतना ही बेहतर उत्पाद होगा
तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता,
कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता.
तुमको सब कुछ खुद अंदर से सीखना हैं.
आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नही हैं.
उठो, जागो और
तब तक रुको नहीं,
जब तक मंजिल प्राप्त न हो
ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं.
वो हमही हैं जो अपनी आँखों पर
हाँथ रख लेते हैं और
फिर रोते हैं कि कितना अंधकार हैं.
यदि स्वयं में विश्वास करना और
अधिक विस्तार से पढाया और
अभ्यास कराया गया होता,
तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और
दुःख का एक बहुत बड़ा हिस्सा
गायब हो गया होता.
Posted By: Sumit Kumar Verma