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जानिए! इस बार के अक्षय तृतीया की खास बातें, इसकी पौराणिक कथा और क्‍या करें, क्‍या ना करें

-प्रीति शर्मा- धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया या अक्‍खा तीज का दिन कोई भी काम शुरू करने के लिए मंगलकारी होता है. इस साल आज यानी 21 अप्रैल (मंगलवार) को अक्षय तृतीया मनाया जा रहा है. अक्षय का अर्थ है ‘कभी ना खत्‍म होने वाला’ मतलब इस दिन किया जाने वाला काम निश्‍चित फलदायी […]

-प्रीति शर्मा-
धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया या अक्‍खा तीज का दिन कोई भी काम शुरू करने के लिए मंगलकारी होता है. इस साल आज यानी 21 अप्रैल (मंगलवार) को अक्षय तृतीया मनाया जा रहा है. अक्षय का अर्थ है ‘कभी ना खत्‍म होने वाला’ मतलब इस दिन किया जाने वाला काम निश्‍चित फलदायी होता है.

हिंदू पचांग के वैशाख महीने की शुक्‍ल पक्ष तीसरी तिथि को यह त्‍योहार मनाया जाता है. मान्‍यता यह है कि इस दिन सोने के अभूषणों की खरीदारी करने से आजीवन सुख- संपदा बनी रहती है.
इस साल फीके हैं आभूषण विक्रेताओं के तरफ से आकर्षक ऑफर
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देशभर में कई बड़े और छोटे आभूषण व्‍यापारी इस दिन ग्राहकों को खास छूट देने की पेशकशकरते हैं. ताकि ज्‍यादा से ज्‍यादा संख्‍या में लोग सोने के आभूषणों की खरीदारी कर सकें. लेकिन इस साल सोने के आभूषणों की मांग में ज्‍यादा तेजी देखने को नहीं मिल रही है. इसके पीछे की वजह सोने के दामों में लगातार तेजी हो रहीहै. इस साल बेमौसम बारिश ने भी सोने की चमक को फीकी कर दी है. अक्षय तृतीया के दिन करीब दो तिहाई किसान खरीदारी करते हैं. इस साल फसलों की बबार्दी ने उनकी कमर तोड़ दी है.
वहीं फैशन परस्‍त लोगों के लिए आज सोने का स्‍थान प्‍लैटिनम ने ले लिया है. यह भी वजह है कि इस साल अक्षय तृतीया के त्‍योहार पर आभूषण व्‍यापारी पिछले सालों की तरह ज्‍यादा ऑफरों की बारिश नहीं कर रहे हैं. कयास लगाये जा रहे हैं कि इस साल सोने की खरीद में नौ फीसदी तक की कमी आएगी.
इस दिन जप, तप, दान है फलदायी
माना गया है कि इस दिन किया गया दान-पुण्‍य जप, तप, यज्ञ का फल अक्षुण्णहोता है. कहा जाता है कि इसी दिन सतयुग और त्रेतायुग का आरंभ हुआ था. इसीलिए यह दिन बहुत शुभ माना जाता है. पूरे दिन अक्षय तृतीया की तिथि शुभ मानी जाती है. हालांकि विशेष पूजा अर्चना के लिए पंडित विशेष मुहूर्त की जानकारी देते हैं.
इस बार सुबह 5 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 20 मिनट के समय को विषेश फलदायी माना गया है. इस दिन अपने इस्‍टदेव की आराधना कर मंत्र जाप करें. वैज्ञानिकों का मानना है कि इस दिन सूर्य और चंद्रमा की रौशनी सबसे तेज होती है.
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क्‍या हैं मान्‍यताएं
हिंदूओं और जैन धर्म के अनुयायियों के लिए अक्षय तृतीया का दिन काफी मायने रखता है. अक्षय तृतीया का अक्षय लाभ उठाने के लिए लोग इस दिन आभूषण की खरीदारी से लेकर पूजा-पाठ की विभिन्‍न पद्धतियों को अपनाते हैं. माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्‍मी की विशेष पूजा होती है. घरों में धन-धान्य की कमी ना होने के लिए लोग इस दिन लक्ष्‍मी की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं.
हर साल हिंदू और जैन पचांग में कुछ दिन घटते हैं और कुछ दिन जुड़ते हैं लेकिन अक्षय तृतीया या अक्‍खा तीज का दिन इसमें हमेशा मौजूद रहता है. हिंदू पंचांग में वर्ष के तीन दिनों को बेहद शुभ माना गया है. इसमें हिंदू पचांग के चैत्र माह शुक्‍ल पक्ष की पहली तिथि(वर्ष प्रतिपदा), आश्विन महीने शुक्‍ल पक्ष की दसवीं तिथी(विजया दशमी) और वैशाख माह शुक्‍ल पक्ष की तीसरी तिथि (अक्षय तृतीया) को मंगलकारी माना गया है. यह दिन शादी-विवाह, नया व्‍यापार, कोई अन्‍य शुभ कार्य या लंबी यात्रा करने के लिए उत्‍तम माना जाता है.
पौराणिक मान्‍यताएं
-अक्षय तृतीया के प्रारंभ के पीछे पुराणों में कई मान्‍यताएं हैं. कहा जाता है कि इसी दिन भगवान गणेश और महर्षी वेद व्‍यास ने मिलकर महाभारत की रचना की शुरुआत की थी.
-मान्‍यता है कि चारों युगों में त्रेतायुग और सतयुग का आरंभअक्षय तृतीया के ही दिनहुआ था.
-पुराणों में यह भी कहा गया है कि देवी गंगाअक्षयतृतीया के ही दिन स्‍वर्ग छोड़कर धरती पर अवतरित हुई थीं.
-अक्षय तृतीया को परशुराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है. माना जाता है कि इसी दिन भगवान विष्‍णु के छठे अवतार परशुराम का जन्‍म हुआ था. भगवान परशुराम को महादेव शंकर का अंश भी माना गया है. राजा जनक को इन्‍हीं के द्वारा भेंट किये धनुष पर प्रत्‍यंचा चढ़ाकर श्रीराम ने सीता का स्‍वयंवर जीता था.
-मान्‍यता यह है कि वैशाख की तीसरी तिथि के ही दिन पाण्‍डवों के अज्ञातवास के दौरान भगवान कृष्‍ण ने उन्‍हें अक्ष्‍य पात्र भेंट की थी. इस पात्र की खासियत थी कि यह कभी भोजन से खाली नहीं होता था. तभी से इस तिथि को अक्षय तृतीया के नाम से मनाया जाने लगा.
-कहा जाता है कि सुदामा इसी दिन अपने बाल सखा कृष्‍ण के पास मदद लने पहुंचे थे. अपने मित्र के आतिथि सत्‍कार को देखकर वह भाव विहव्ल हो गये थे और उनसे कुछ मांग नहीं सके. इसके बदले खुद भगवान कृष्‍ण ने ही उनसे अपनी भाभी के तरफ से भेजी गयी भेंट मांगी और सुदामा ने सकुचाते हुए उन्‍हें अपने गमछे में बंधा बचा हुए चुड़ा दे दिया.
अगले दिन घर पहुंचने पर उनकी आंखें फटी रख गयी जब सुदामा ने अपनी पत्‍नी को रानी के वेश में अपनी कुटिया के स्‍थान पर आलीशान महल में देखा. सुदामा समझ गये कि यह भगवान कृष्‍ण की ही कृपा है.

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