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पुरस्कार लौटाने से कुछ हासिल नहीं होता : कमल हासन

हैदराबाद :बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ पुरस्कार लौटाने के तरीके से असहमति जताते हुए अभिनेता कमल हासन ने आज कहा कि पुरस्कार वापस करना कोई समाधान नहीं है क्योंकि ध्यान आकर्षित करने के और भी तरीके हैं. फिल्मकारों, वैज्ञानिकों, लेखकों एवं इतिहासकारों समेत बुद्धिजीवियों की एक बडी जमात ने देश में ‘असहिष्णुता के माहौल’ के विरोध […]

हैदराबाद :बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ पुरस्कार लौटाने के तरीके से असहमति जताते हुए अभिनेता कमल हासन ने आज कहा कि पुरस्कार वापस करना कोई समाधान नहीं है क्योंकि ध्यान आकर्षित करने के और भी तरीके हैं.

फिल्मकारों, वैज्ञानिकों, लेखकों एवं इतिहासकारों समेत बुद्धिजीवियों की एक बडी जमात ने देश में ‘असहिष्णुता के माहौल’ के विरोध में अपने पुरस्कार लौटा दिए हैं.पुरस्कार लौटाने वाले फिल्मकारों में निर्देशक दिबाकर बनर्जी, डॉक्यूमेंटरी फिल्मकार आनंद पटवर्द्धन और निष्ठा जैन समेत अन्य शामिल हैं.

60 साल के तमिल अभिनेता ने कहा, ‘‘पुरस्कार लौटाने से कुछ नहीं होगा. ऐसा करके आप सरकार का या आपको प्रेम के साथ पुरस्कार देने वाले लोगों का अपमान करेंगे। इस पर ध्यान जाएगा लेकिन और भी कई तरीके हैं.” उन्होंने कहा, ‘‘प्रतिभाशाली लोग हैं. पुरस्कार लौटाने की बजाए उनके एक लेख से मुद्दे पर ज्यादा ध्यान जाएगा. उन्हें पुरस्कार अपने पास रखने चाहिए, हमें गौरवान्वित करना चाहिए और कोई भी सरकार जो कम सहिष्णु है उसके खिलाफ लडते रहना चाहिए.” अभिनेता ने कहा कि असहिष्णुता पर बहस 1947 से जारी है और इसपर ‘हर पांच साल पर’ बहस होनी चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘‘आपने बहस अपने हाथों में ले ली है लेकिन यह असहिष्णुता 1947 से है. इसलिए हम दो राष्ट्र बनें. भारत और पाकिस्तान एक साथ हो सकते थे और यह एक शानदार और विशाल देश होता और हम वाणिज्य एवं हर चीज में चीन से लोहा लेते. इस असहिष्णुता ने ही तब राष्ट्र को बांटा था, यह दोबारा इसे ना बांटने पाए.

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