हिंदी फिल्मों में क्रूर सास का किरदार निभाकर मशहूर हुई अभिनेत्री ललिता पवार ने अपने करियर में कई शानदार फिल्में कीं. ललिता पवार 18 अप्रैल 1916 को जन्मीं थी. फिल्मी पर्दे पर उन्हें सबसे क्रूर शासक का टैग मिला. हालांकि कई सॉप्ट किरदार उनके खाते में आये लेकिन उन्हें पहचान निगेटिव किरदारों से मिली. ललिता पवार की एक हादसे के दौरान आंख में चोट लग गई थी जिसके बाद उनका हीरोइन वाला करियर हमेशा के लिए खत्म हो गया.
ललिता पवार आखिरी दिनों में अकेली रहीं. उस दौर में लड़कियों को स्कूल भेजना जरा ठीक नहीं समझा जाता था, लिहाजा उन्हें स्कूल जाना नसीब न हुआ. घर पर रहकर ही थोड़ी-बहुत पढ़ाई की.
ऐसे हुई थी शुरुआत
ललिता पवार ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत महज 9 साल की उम्र में की थी. उन्होंने मूक फिल्म राजा हरिश्चंद्र (1928) से शुरुआत की थी. साल 1931 में ‘आलम आरा’ के साथ फिल्मों को आवाज मिल गई थी. बोलती फिल्मों के उस शुरूआती दौर में कलाकारों को अपने गीत खुद गाने की बाध्यता थी. ललिता पवार खासी अच्छी गायिका थीं, सो इसका उन्हें लाभ मिला. इसके बाद उन्होंने कई चर्चित फिल्मों में काम किया. उनके ‘अनाड़ी’, ‘श्री 420’ और ‘मिस्टर और मिसेज 55’ में निभाये गये किरदारों को आज भी याद किया जाता है.
आंख में लगी चोट और टूटा सपना
साल 1942 में आई फिल्म ‘जंग-ए-आजादी’ के सेट पर एक सीन की शूटिंग के दौरान ऐसा हादसा हुआ कि उनके हीरोइन बनने का सपना हमेशा के लिए टूट गया. दरअसल 80 के दशक के प्रसिद्ध अभिनेता भगवान दादा को इस सीन में अभिनेत्री ललिता पवार को एक थप्पड़ मारना था. थप्पड़ इतनी जोर पड़ा कि ललिता पवार वहीं गिर पड़ीं और उनके कान से खून बहने लगा. सेट पर ही इलाज शुरू हो गया. इलाज के दौरान डॉक्टर द्वारा दी गई किसी गलत दवा के नतीजे से उनके शरीर के दाहिने भाग को लकवा मार गया. लकवे की वजह से उनकी दाहिनी आंख पूरी तरह सिकुड़ गई.
करियर ने बदली करवट
आंख खराब हो जाने के बावजूद ललिता पवार ने हार नहीं मानी. उन्हें हीरोइन को रोल तो नहीं मिलता था लेकिन यहां से उनकी करियर ने करवट बदली. वे हिंदी सिनेमा में एक क्रूर शासक के तौर पर उभरी. लोगों ने उनके अभिनय को खूब सराहा. ललिता पवार ने रामानंद सागर की रामायण में मंथरा का रोल भी किया था. 32 साल की उम्र में ही वह करैक्टर रोल्स करने लगी थीं. उन्होंने लगभग 700 फिल्मों में काम किया.
पर्सनल लाईफ
ललिता पवार ने गणपतराव पवार से शादी की थी. लेकिन गणपतराव ने उन्हें धोखा दिया और उनकी छोटी बहन से अफेयर शुरू किया. ललिता पवार ने कुछ समय बाद उनसे तलाक ले लिया. इसके बाद उन्होंने निर्माता राजप्रकाश गुप्ता से शादी कर ली.
दुखद अंत
24 फरवरी 1998 में अभिनेत्री ने पुणे में अपने छोटे से बंगले ‘आरोही’ में अकेले ही पड़े-पड़े आंखें मूंद लीं. उनके पति राजप्रकाश अस्पताल में भर्ती थे और बेटा परिवार के साथ मुंबई में था. उनकी मौत की खबर तीन दिन बाद मिली जब बेटे ने फोन किया और किसी ने फोन नहीं उठाया. घर का दरवाजा तोड़ने पर पुलिस को उनकी दो दिन पुरानी लाश मिली.