नयी दिल्ली: सदी के महानायक अमिताभ बच्चन का कहना है कि वे अभी भी ‘एंग्री यंग मैन’ के किरदार को बखूबी निभा सकते हैं. एंग्री यंग मैन के किरदारों ने ही उन्हें 70 के दशक में कामयाबी की बुलंदियों तक पहुंचाया था.
अमिताभ ने कहा, ‘‘समय के साथ आपको बदलना होता है. कॉलेज के दिनों में आपका स्वभाव अलग होता है , बाद में अलग. ठीक वैसे ही आपके करियर में अलग-अलग दौर में तरह-तरह के चरित्र आते रहते हैं. लेकिन आप यह नहीं कह सकते कि अब मैं वह किरदार नहीं कर सकता. अगर किसी फिल्म में गुस्से को दिखाना है तो मैं फिर से एंग्री यंग मैन बन सकता हूं. ये पूरी तरह कहानी की मांग और निर्देशक के द्वारा किए गए चरित्र निर्माण पर निर्भर करता है.’’ 71 वर्षीय अभिनेता ने अपने चालीस साल के सफर में कई यादगार किरदार निभाए हैं. जैसे ‘विरुद्ध’ में अपने बेटे के लिए न्याय मांगते पिता, ‘ब्लैक’ में एक गूंगी-बहरी लडकी के शिक्षक, ‘चीनी कम’ में एक आत्ममोहित खानसामा, ‘नि:शब्द’ में अपने से कम उम्र की लडकी के प्रेमी और ‘पा’ में एक प्रोजेरिया के मरीज बच्चे का किरदार, सभी में उन्होंने दर्शकों के दिलों पर राज किया.
बच्चन अपने आप को खुशकिस्मत मानते हैं कि उन्हें उम्र के इस पडाव पर भी इतने प्रयोगवादी चरित्र अदा करने को मिल रहे हैं. वह कहते हैं, ‘‘72 की उम्र में कोई भी रोमांटिक हीरो नहीं बन सकता. इस पडाव पर पहुंचने के बाद आप फिल्मों में चरित्रों के संबंध में खुद ब खुद एक अलग क्षेत्र में पहुंच जाते हैं. लेकिन मैं बहुत खुशकिस्मत हूं कि मुङो हर तरह के किरदार निभाने को मिल रहे हैं.’’
सिने जगत में अपने चार दशकों से अधिक के सफर के दौरान उन्होंने 180 फिल्मों में काम किया है. राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित अमिताभ कहते हैं कि उन्हें आज भी काम बोझ की तरह नहीं लगता और हर सुबह वह खुद को तरोताजा महसूस करते हैं और फिल्म के सेट पर जाने को उत्साहित रहते हैं.अमिताभ कहते है, ‘‘आजकल जब कभी भी काम नहीं होता या छुट्टी होती है तो मैं बस यही सोचता हूं कि क्या किया जाए? मैं निर्णय ही नहीं कर पाता कि मैं परिवार के साथ समय बिताउं, खेलूं, पढूं, टीवी देखूं या क्या करुं. कितनी फिल्मों की पटकथाएं भी होती हैं पढने को.
कभी-कभी इतना व्यस्त होना वरदान के तरह लगता है और मैं बहुत खुश हूं अपने काम से.’’ आखिरी बार वह ‘सत्याग्रह’ में नजर आए थे और जल्द ही वह ‘भूतनाथ रिटर्न्स’ में दिखाई देंगे. लगातार दोनों फिल्मों के राजनीति से प्रेरित होने को वे महज एक संयोग मानते हैं. वे कहते है कि फिल्म ‘भूतनाथ रिटर्न्स’ एक व्यंग्य है जो व्यवस्था में व्याप्त बुराई पर मसखरे अंदाज में चोट करती है. इस फिल्म में बहुत सारा मस्ती-मजा है और बच्चे भी इस फिल्म में हैं.
भूतनाथ रिटर्न्स को नितेश तिवारी ने निर्देशित किया है, जो आने वाले शुक्रवार को रिलीज होगी. यह 2008 में आई फिल्म ‘भूतनाथ’ का रीमेक है. इसमें अमिताभ एक दोस्ताने भूत के किरदार में नजर आएंगे जो झोपड पट्टी में रहने वाले एक बच्चे :पार्थ भलेरो: के साथ मिलकर भ्रष्ट नेता (बोमन ईरानी) और समाज में फलफूल रहीं बुराइयों के खिलाफ लडते नजर आएंगे.